सूना सूना सा है रस्ता
पर देख एक मुसाफिर चला ।
माना कि घुप्प अंधेरा है
पर तू एक दिया तो जला .
लाख हैं चाहें बाधायें
पर आगे बढे ये सिलसिला ।
चांद अमावस का ना हो तो
क्या पूनम की औकात भला ।
तेरे पायल की छम छम
फिर क्या सितार की तान भला ।
पीपल के पत्ते जब डोलें
पंखा पुरवाई का चला ।
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला ।
33 टिप्पणियां:
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
पीपल के पत्ते जब डोलें
पंखा पुरवाई का चला ।
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला।
सही कहा आपने,
बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति,
आभार
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला ..
Dil mein bahut hi madhur ehsaas bharti rachna ... ye sach hai agar aapas ki baat ho rahi hai to duniya ka kya kaam ... kash ye jeevan aise hi aapas mein baaten karte huve kat jaaye ...
चांद अमावस का ना हो तो
badi chunoti he
waqay me bahut sundar photo he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला ।
bhaavon ki sundar abhivaykti
"लाख हैं चाहें बाधायें
पर आगे बढे ये सिलसिला ।
चांद अमावस का ना हो तो
क्या पूनम की औकात भला ।
तेरे पायल की छम छम
फिर क्या सितार की तान भला ।"
SUNDAR....
kunwar ji,
चांद अमावस का ना हो तो
क्या पूनम की औकात भला ।
तेरे पायल की छम छम
फिर क्या सितार की तान भला
" मन को छु गयी ये पंक्तियाँ.."
regards
चांद अमावस का ना हो तो
क्या पूनम की औकात भला ।
सच कहा आपने
और ऐसे सच को शब्दों में बाँधना
बहुत ही दुश्वार
लेकिन आपकी लेखनी को सलाम
सब सहज कर दिखाया आपने
एक स्तरीय रचना पर बधाई .
वाह आशा जी बहुत सुन्दर आशावाद है इस कविता में ।
प्रेरक और मिठास- दोनो का आभास-
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला
आप सबका आभार, मेरा किसी ब्लॉग पर टिप्पणी न देने के बावजूद आप लोगो ने जो उत्साह बढाया उस से अभिभूत हूँ, परंतु ये अकारण नही था वहां से घर बंद करने की तैयारी और यहां आकर जो थकान हुई उसी का दोष है पर अब से नियमीत रहूंगी । आशा है आप स्नेह बनाये रखेंगे ।
सुन्दर लगी कविता - अकेला चले को प्रेरणा देती।
माना कि घुप्प अंधेरा है
पर तू एक दिया तो जला .
लाख हैं चाहें बाधायें
पर आगे बढे ये सिलसिला ।
Sundar aur prerak rachna.badhai.
माना कि घुप्प अंधेरा है
पर तू एक दिया तो जला .
पूरी रचना सकारात्मक संदेश दे रही है.
उम्मीद की बात करती खूबसूरत एहसास भरे लफ्ज़ हैं ! बधाई !
:) कोशिश करने वालो की हार नही होती..
वेरी वेरी पाजिटिव पोस्ट..
प्रशंसनीय ।
सूना सूना सा है रस्ता
पर देख एक मुसाफिर चला ।
माना कि घुप्प अंधेरा है
पर तू एक दिया तो जला .
लाख हैं चाहें बाधायें
पर आगे बढे ये सिलसिला ।
Jijivisha se bharee sanjeedgee! Aprateem rachana!
Aapki sanjeeda lekhani mujhe baar,baar aapke blog pe le aati hai..
जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती कविता .
Kar prayaas badh nirantar,
Apne gantavya ki ore!
Hoaga suraakh aasma mein,
Phenk patthar lagake zor!
Utkrisht!
बहुत सुन्दर एवं प्रेणना देती हुई कविता । बहुत ही सुन्दर भावनायें ।
आशाताई!...इस कविता में ढला हुआ एक एक शब्द अमूल्य रत्न सा है!... बहुत सुंदर अनूभूति कराई है आपने!
चांद अमावस का ना हो तो
क्या पूनम की औकात भला ।
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला ।
बहुत खूब .....!!
येबातें यूँ ही होती रहे .....!!
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत अच्छी लगी यह कविता.....
पीपल के पत्ते जब डोलें
पंखा पुरवाई का चला ।
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला।
bahut hi sundar ,aasha se bhari rachna
जब बात हो बस मेरी तेरी
तो क्या दुनिया की बात भला
-सच्ची बात।
कविता में आशा का भाव तरोताजा करता है मन को..
kaku khub sunder kavita lehale aahe. aaj paheleyan da blog var aala ata niyamit visit kareen. ek da punhaa bhadhai.
very good.
सूना सूना सा है रस्ता
पर देख एक मुसाफिर चला ।
माना कि घुप्प अंधेरा है
पर तू एक दिया तो जला .
लाख हैं चाहें बाधायें
पर आगे बढे ये सिलसिला ।
Purzor lekhan!Kya kamal ho!
सुन्दर रचना !
काय बोलू...... इतकी सुंदर कविता आहे..... शब्द नाहीत...!!
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