गर्मी में खुशबू वाली, हवा सी, ये बेटियाँ,
सर्दी की धूप गुनगुनी जैसी ये बेटियाँ ।
घर में सुरों की तान सी बहती ये बेटियाँ,
हर रोज़ एक कहानी कहती ये बेटियां ।
जीवन के रंग भी और मिठास बेटियाँ,
हर दिन रचती कोई इतिहास बेटियाँ ।
हर घर का रूप, रंग, और लावण्य बेटियाँ,
कोशिश हमारी हो कि हों सम्मान बेटियाँ ।
ममता की मूरती तो होंगी ही बेटियाँ,
बनें अपनी और हमारी ताकत भी बेटियाँ ।
हों देवी शारदा की उपासक भी बेटियाँ,
करें नाम अपना रोशन दुनिया में बेटियाँ ।
बेटों को हम सिखायें मान करना बहन का,
बेटों से कम कहीं नही, होती हैं बेटियाँ।
नज़ाकत तो मिली है सौगात में इन्हे,
बनें खुद ही अपनी रक्षक हमारी ये बेटियाँ
अपनी हो या पराई हर नारी है इन्सान,
बेटी तेरी या मेरी, इक सी है बेटियाँ ।
तब ही प्रगत और सभ्य देश, ये कहायेगा,
निशंक और निडर जब चल पायें बेटियाँ ।
बेटियों को गर्भ में ही मारने वालों,
दुनिया ही मिट जायेगी जो होंगी न बेटियाँ ।