हम स्वतंत्र हैं, कुछ भी करने
के लिये ।
सडक पर थूकने के लिये,
मूंगफली के छिलके फैलाने के लिये,
हल्दीराम के ठोंगे फेंकने के लिये,
अपने घर का कूडा करकट रास्ते पर डालने के लिये,
ऑफिस की स्टेशनरी घर लाने के लिये,
प्रॉजेक्टस् के पैसे में से अपना कट लेने के लिये,
स्कूल के बच्चों से अपनी आटाचक्की चलवाने के लिये,
क्लास में ना पढाने के लिये,
ट्यूशन पढने ना आने वाले बच्चों को फेल करने के लिये,
कोर्स परीक्षा के आस पास जैसे तैसे खत्म करवाने के लिये,
मटीरियल में मिलावट करने के लिये,
सामान बेच कर रसीद ना देने के लिये,
मनमाने दाम वसूल ने के लिये,
देश के लोगों का पैसा अपनी जेब में भरने के लिये,
वादे सिर्फ करने के लिये,
काम करने के लिये घूस लेने के लिये,
घटिया सामान लोगों के गले उतारने के लिये,
अपने हक से ज्यादा पाने के लिये,
वोट पाने के लिये नोट देने के लिये,
दादागिरि करने के लिये,
अपना हक जताने के लिये,
हर दिन गलत काम करने के लिये,
कमजोर पर अत्याचार करने के लिये,
नारी को पांव की जूती समझने के लिये,
जबरन पैसा वसूलने के लिये,
किसी की जान तक लेने के लिये,
और पता नही कितना और क्या क्या करने के लिये ,
पैसा और पॉवर, है न हमारे पास ।
हम स्वतंत्र नही (?) हैं,
अपने परिवार और देश में सबको समान अधिकार देने के लिये,
अपने खिलाडियों को सुविधाएं देने के लिये,
सिपाहियों को उमदा हथियार देने के लिये,
युध्द के समय सही एक्शन का आदेश देने के लिये,
उनके परिवारों की देखभाल के लिये,
अपनी सीमाओं की रक्षा के लिये,
अपने नागरिकों के सुख सुविधा का सामान जुटाने के लिये,
उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिये,
ऩारी को भी इन्सान समझने के लिये,
पीने का साफ पानी देने के लिये,
रोशनी देने के लिये,
सबको कम से कम दो जून की रोटी उपलब्ध कराने के लिये,
सब को शिक्षा और रोजगार का समान अवसर देने के लिये,
स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिये,
आतंकवाद से निपटने के लिये,
असमानता हटाने की कोशिश करने के लिये,
अच्छे और सच्चे लोगों को बढावा देने के लिये,
ईमानदारी से अपना काम करने के लिये
नही हैं हम स्वतंत्र,
पॉवर जो नही है, और पैसा, वो कहां है हमारे पास,
सब स्विस बैंक में जो रख दिया है ।