इस दिल से निकलेंगी दुआएं,
चाहे तुम रूठे रहो
हम ना छोडेंगे मनाना, चाहे तुम झूटे कहो।
हम को तो बस आप ही हैं इस बडे संसार में
बिन सहारे के रहे तो, दिल के टूटे ही कहो।
जिनके भरोसे रह रही है जनता भारत देश में
वही छीनें उसका सब कुछ, तो
लोग लुटे ही कहो।
लडकियां हों आधुनिक या देसी हों परिधान में,
ऱास्ते सुनसान हों तो, गुंडे छूटे ही कहो।
कैसे तो निर्लज हैं हम लोग और नेता सभी
लुटती इज्जत नारियों की, कहें खूंटे से रहो।
बच्चे तक तो नही बचते हैं इनकी हवस से अब
कुचला बचपन, मसला यौवन, (इन्हे)भाग के फूटे कहो।
लडकियों अब काम नही चलना हो कर के छुई मुई
अपनी हिम्मत अपनी ताकत बढाने में जुटे रहो।
अब हमे ही सोचना होगा सुधार के लिये
स्कूल हो या घर हो अपना नीति के बूटे लहो।