मंगलवार, 26 जनवरी 2016

इक लडकी






गेंहूँ के दाने सी इक लडकी
सुनहरी, चमकती, खनकती।
अपने नसीब से अनजान,
इठलाती, बलखाती, खिलखिलाती।

जानती कहाँ है पिसेगी वो,
पानी में भीगेगी, पिटेगी, मसली जायेगी
सिंकेगी जिंदगी के चूल्हे पर,
दुखों की आग में जलेगी,
परोसी जायेगी किसी के आगे,
फिर भी मुस्कुरायेगी, चाहे म्लान ही क्यूं न हो मुस्कान।

या फिर गाड दी जायेगी जमीन में,
लेकिन उसकी जिजिविषा देखो,
फिर उगेगी, लहरायेगी, खिलखिलायेगी, लौटायेगी तुम्हें सौ गुना।

ये लडकी गेंहूँ के दाने सी।

चित्र गूगल से साभार।

गणतंत्र दिवस की मंगल कामनाएँ।

शनिवार, 16 जनवरी 2016

याद करना मुझे

याद करना मुझे मेरे जाने के बाद।
याद करना मेरी बातें, मेरी आदतें
अपनी चाहतें।
याद करना मेरा सजना, संवरना
घर को सजाना।
याद करना मेरा प्यार, मेरा राग-अनुराग,
मेरा त्याग।
याद करना अपनी लडाई, मेरी बुराई,
थोडी अच्छाई।
मिलन के क्षण, थोडी जुदाई
प्यार की गहराई।
याद कर के खुश होना, रोना नही।
या फिर नही याद करना।
क्यूं कि याद करके दुखी होने से अच्छा है
भूल जाना।

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

शुभ कामनाएँ

उज्वल, शांतिपूर्ण, यशदायी,
नया वर्ष हो सब को सुखमय,
औऱ कभी मुश्किल आये तो
उसका हल निकलना हो तय।

अच्छे नेताओं के हाथ,
करेंगे हम सदा मजबूत 
अपने अपने ही स्तर पर,
हम करेंगे परिश्रम अकूत।

छोटे छोटे लोभ मोह को,
तज ही देंगे हम प्रयत्न से,
तभी तो फिर आगे बढेगी
सच्चाई हर झूटे-पन से।

समय से सारा काम करेंगे,
तब जाकर आराम करेंगे
समय की पहचानेंगे कीमत
समय पर जायेंगे आयेंगे।

पानी, बिजली खर्च तो करेंगे,
नही कदापि व्यर्थ करेंगे,
घर को तो रखते ही हैं साफ
परिसर को भी साफ रखेंगे।

बस के टिकिट, छिलके मूंगफली के
एक थैली में पास रखेंगे
जब भी कूडादान मिलेगा,
उसी में ही उनको फेकेंगे।

प्लास्टिक की थैली का वापर
बहुत ही अब हम कम कर देंगे,
पुरानी पैंट और कप़डों के थैले
सिल कर उनसे ही काम लेंगे।

इन थोडी सी बातों से ही
बहुत बडा बदलाव आयेगा,
भारत के हम लोगों को फिर
विश्व जरूर नक्शे पे लायेगा।


सारे ब्लॉगर बंधु भगिनियों को नये वर्ष की मंगल कामनाएँ।