बुढापे में भी सुख होता है।
सुख- किसी भी बात की जल्दी ना होने का,
सुख- कोई जिम्मेवारी ना होने का,
सुख- दोपहर में किताब लेकर लेट पाने का,
सुख- नाती पोतों को प्रति-दिन बडा होते देखने का,
सुख- नातेरिश्ते में गप्पे लगा पाने का,
सुख- दोस्तों से लंबी बातें कर पाने का,
सुख छुट्टी ही छुट्टी होने का,
सुख सिर्फ ३० से ५० प्रतिशत किराये में इधर उधर घूम पाने का,
सुख- फटी बिवाइयों में घंटों मरहम मलने का,
बुढापे में भी सुख होता है, सिर्फ उसे मजे लेकर भोगना आना चाहिये।
चित्र गूगल से साभार