मंगलवार, 26 जुलाई 2011

चलते रहिये चलते रहिये -7 कैप टाउन –रॉबिन आयलैन्ड


सुबह उठे चाय पी, बालकनी मे बैठ कर समंदर देखा । मन ललचा गया तो कमरे से बाहर निकल कर बीच पर गये । बीच तक पहुँचने के लिये कोई 30-35 सीढियाँ थीं । विजय (76 साल) ने कहा कि एक बार आ गया मै, अब और नही आउँगा । हमें भी थोडी मुश्किल तो हुई पर मज़ा बहुत आया । (विडियो) । 1


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वापिस आकर नाश्ता किया तैयार हुए और 11 बजे निकल पडे ।
गाडी की कमान सुरेश ने संभाली । हमें जाना था वॉटर फ्रंट । यानि समंदर पर । जहां से बोट रॉबिन आयलैंड जाती है । रॉबिन को यहां रॉबेन लिखा जाता है । स्पेलिंग है ROBBEN हम Robin ढूँढ रहे थे तो मिल ही नही रहा था । खैर बाद में मिल ही गया । मैप में रास्ता कितना आसान लगता है पर गाडी चलाते हुए ढूँढना कितना मुश्किल । पहले तो एक जगह हमारी गाडी का कोई पार्ट निकल कर गिर गया सुरेश गाडी से उतर कर बहुत दूर तक पीछे देख भी आये पर कुछ भी दिखा नही । वह तो तीन दिन बाद जब गाडी वापिस करने गये तब पता चला कि व्हील कैप गिर गया था । फिर आगे हमें वॉटर फ्रंट तक का रास्ता ही ना मिले । एम -6 जिस पर हम चल रहे थे वह टेबल माउन्टेन के बाद अचानक खो गया फिर एक जगह गाडी ( एन वन street पर) रोकी, सुहास ने कहा, सुरेश रुको गाडी मै चलाती हूँ फिर पूछते पूछते पहुँचे वॉटर फ्रंट, वहां नेल्सन मंडेला गेट-वे गये । रिसेप्शन पर ही पता चला सारे बोट-टिकिट बिक चुके हैं । अब कोई सीट नही । “हाय राम अब दोबारा इसी रास्ते से आयेंगे “? हमारे बहुत बहुत अनुनय करने पर रिसेप्शनिस्ट बोली, “ठीक है आप टिकिट विन्डो पर जाकर खडे हो जाइये, यदि कोई कैन्सलेशन रहा तो आपको मिल सकता है टिकिट”। (विडियो) । 3

हालांकि हमारे पास दो दिन और थे पर एडम और एमी हमारे पास आने वाले थे और उनके साथ और और जगहें देखने का कार्यक्रम तय था । मै और विजय बैठ गये बैंच पर और सुहास और सुरेश टिकिट विंडो पर अपना भाग्य आजमाने खडे हो गये । बोट एक बजे निकलने वाली थी । बैठे बैठे मैं तो ऊब गई थी तो वहां एक स्लाइड शो ही देख लिया रॉबेन आयलैन्ड के बारे में । एक चित्र प्रदर्शनी भी लगी थी मैने कहा कि मै देख आती हूँ तो विजय बोले अभी वो दोनो आ जायेंगे, कहीं जाने की जरूरत नही है । एक बजने में दस मिनिट कम थे कि दोनों लोग आ गये, चलो चलो टिकिट मिल गये, फिर भागते भागते (!!!) बोट तक पहुँचे और सवार हो गये । क्या आश्चर्य कि करीब आधी बोट खाली थी, बहुत ही अजीब लगा । खैर हम तो बोट पर सवार हुए थे, तो इस बात को नजृर अंदाज किया । खूबसूरत पहाड और नीले समंदर की तस्वीरें लेने में व्यस्त हो गये । (विडियो) । 4


ये कोई 45 मिनिट का नौका प्रवास था ।येS S बडी बडी लहरें उठ रही थीं कि हमारी इतनी बडी मोटराइज्ड बोट भी हिचकोले खा रही थी । सुहास की तबियत खराब हो गई बोट की वजह से । 5-6 लौंग खाने के बाद थोडा चैन मिला । दो महिलाओं नें बडी आस्था से उसे पूछा फिर मोशन सिकनेस के लिये गोलियां भी दीं और कहा वापसी पर बोट में चढने से पहले खा लेना । सुहास भूल गई ये बात अलग है ।
जब हम रॉबिन आयलैन्ड पहुँचे तो बोट से उतरते ही देखा कि बसें हमारे लिये तैयार थीं ताकि हम रॉबिन द्वीप का एक चक्कर लगा सकें । यह द्वीप दूसरे महायुध्द के इतिहास का साक्षी रहा है यहां हमने उस समय की दो तोपें देखीं । हमारा गाइड काफी जानकार आदमी था उसने हमें डच और ब्रिटिश लोगों के जमाने का इतिहास बताया और किस तरह इन लोगों ने यहां के लोगों को गुलाम बना कर रखा सारी दौलत हथिया ली और खुले आम वर्णभेद किया । हमारा सबसे पहला पडाव था सुबुक्वे जी का घर । हम बाहर के लोग सिर्फ नेल्सन मंडेला को ही जानते हैं । सुबुक्वे भी दक्षिण अफ्रीका के प्रसिध्द स्वतंत्रता सेनानी थे । ये पैन अफ्रीकन कॉंग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे हाँलाकि इससे पहले वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में ही थे जिसके अध्यक्ष नेल्सन मंडेला थे । पर कुछ वैचारिक मतभेदों के चलते उन्होने अपनी अलग पार्टी बनाली । कह सकते हैं कि ये गरम दल के थे और मंडेला नरम दल के । इनके उग्र विचारों के चलते इन्हे कई सालों तक ऱॉबिन आयलैन्ड पर ही एक घर में कैद रखा । (विडियो) । 5

मंडेला जी को कुल 27 साल जेल में रखा जिसमे से 18 साल वे रॉबिन आयलैन्ड पर सुरक्षित विभाग में बंद रहे इन सब कैदियों से मजदूरी करवाई जाती थी । पत्थर तोडना गिट्टी बनाना, सडकें बनाना ये काम करवाये जाते थे । ये जेल भी इन्ही कैदियों से बनवाया गया और उन्ही को इसमें बंद करके रखा । शुरुआती दिनों में राजनीतिक बंदियों को दूसरे बंदियों के साथ ही रखा जाता था । बाद में ब्रिटिश सरकार को डर लगा कि ये राजनीतिक बंदी दूसरे बंदियों को ना बरगला लें । इसी कारण इन राजनीतिक बंदियों को अति सुरक्षित ए, सुरक्षित बी और ग्रूप जेल सी, ऐसे तीन विभागों में बाँटा गया हमें कैदियों के सेल देखने को मिले नेल्सन मंडेला जहां कैद थे वह सेल (कोठऱी) भी देखा । हाल ही में पढा कि मिशेल औबामा खराब मौसम के चलते रॉबिन आयलैंड तो नही जा सकीं पर मंडेला जी से उनके प्रीटोरिया के घर में मिल कर आईं, जब वे जून में दक्षिण अफ्रीका के टूर पर गईं थीं ।
हमें कैदियों को जो प्रतिदिन का खाना दिया जाता था उसकी भी जानकारी मिली । अति-सुरक्षित जेल में खतरनाक बंदियों को रखा जाता था जो कि अपनी कोठरी में एकदम अकेले रहते थे, इसमें उनकी फोटो समेत सारी जानकारी भी रहती थी ।
बी सेल में थोडे कम खतरनाक बंदी रखे जाते थे, ये भी अकेले ही रहते थे । मंडेला जी का सेल बी विभाग में था । सी विभाग मे कोठरी हॉलनुमा थी और इसमें 30-40 कैदी एक साथ रहते थे । कैदी पहले तो दरियों पर सोते थे पर बादमें इन्हे बंकर बेड दिये गये थे ।
औरतों को अलग जेल में रखा जाता था । पहले कोढियों को भी इसी द्वीप पर रखा गया था । यह सब देख कर दिल भर आया और वह सब जो हमने ब्रिटिश राज के बारे में पढा था याद आ गया ।
बहुत ही बुरा लग रहा था कि भारत की तरह ही यहां भी गरीब और दलित अभी भी स्वतंत्रता के फल चखने को तरस रहे हैं । सबसे ऊपरी पोस्ट्स पर अब भी गोरों का कब्जा है । वैसे ही सोने, हीरे, व प्लेटिनम की खदानें भी अंग्रेज या डच लोगों के कब्जे में हे ।
जब हम बोट पर वापिस आ रहे थे तब हमने 5-6 छोटे पेंगुइन पक्षी देखे । उनकी तस्वीरें भी लीं । इसके पहले एक जगह स्प्रिंग बक हिरण भी देखे । आप भी देखें (विडियो) । 6

बोट से हम वापिस आये तब तक पांच बज चुके थे । कार तक आते आते और आधा घंटा लग गया । मज़ा तो इसके बाद आया । हम जैसे ही बाहर निकले हमें एम 6 पर जाने के लिये दाहिने मुडना था पर हम बाये मुड गये । और आगे तक हम चलते चले गये पर कोई एक्झिट ही ना मिले मजबूरन सीधे सीधे कोई 4-5 मील निकल गये । जगह नई, रास्ते अनजाने और ऊपर से सबने बताया हुआ कि किसीसे कुछ पूछना नही । रात को तो बिलकुल नही । अंधेरा होने लगा था, फिर तय हुआ कि हम तो गलत जा रहे हैं और सीधे चलते गये तो शायद जोहान्सबर्ग पहुँच जायेंगे । हमें यह भी बता रखा था कि हमारे अपार्टमेन्ट में सिक्यूरिटी अलार्म हे जो आठ बजे के बाद एक्टिवेट हो जाता है । फिर एक जगह एक्झिट लेकर हम एक मॉल में गये और वहां पता किया । पता चला कि हम तो एकदम उलटा आ गये हैं और हमें वापिस वॉटर फ्रंट तक जाना पडेगा फिर वहां से एम 6 लेकर हम लुडाडनो जा सकते हैं । डर खूब लग रहा था पर जान मुठ्ठी में लेकर सब बैठे रहे और सुहास गाडी चलाती रही । वॉटर फ्रंट पहुंच कर थोडी राहत हुई फिर एम 6 मिल ही गया और थोडे पहचाने नाम आने लगे । करते करते रात 8 बजने में 2 मिनिट कम पर हम अपार्टमेन्ट पहुँच गये और कोई अलार्म भी नही बजा ।
(क्रमशः)

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

चलते रहिये चलते रहिये -6 कैप टाउन - कैप-ऑफ गुड होप


चौबीस तारीख को सुबह ही हम तैयार होकर एयर पोर्ट रवाना हुए । वर्किंग डे होते हुए भी एमी ने मेहमान नवाजी पूरी तरह की और हमें टोस्ट और ऑमलेट का नाश्ता खिलाया । चूंकि यह एक वर्किंग डे था एडम ने हमारे लिये टैक्सी बुलवाई थी । पर किसी वजह से वह आई ही नही तो बेचारे एडम को ही हमें छोडने आना पडा । उसके लिये अपने ऑफिस में फोन कर के उसने कहा कि वह एक घंटा देरी से आयेगा । हाँलाकि उस हफ्ते के लिये वही बॉस था, उसके बॉस दौरे पर थे । हमारी केप-टाउन जाने वाली उडान साउथ अफ्रीकन एयर लाइन्स की थी । हमने टिकिट डी. सी. से कैप टाउन तक का ही लिया था और जोहान्सबर्ग में सफर तोड लिया था (Break journey ) । इससे हमने काफी पैसे बचा लिये थे । अब कैप टाउन से हमें सीधे ही डी सी वापिस जाना था (!!!!!) ।
इस उडान पर हमें कोई परेशानी नही हुई हम अंतर्राष्टीय प्रवासी जो थे । उडान अवश्य एक घंटा देरी से उडी । वेजीटेरियन खाना, चाय कॉफी जूस सब कुछ था । कोई दस बजे हम कैप टाउन पहुँच गये । वहाँ एयर पोर्ट से बाहर आते ही कार किराये से ले ली । छह दिन के 2,780 रैन्ड लगे (400$ ) ।यहां हमने Service apartment 6 दिनों के लिये लिया था उसके 720$ हम पहले ही दे चुके थे । हमारा यह अपार्टमेन्ट, 80-विला हारग्रीव्ज, एकदम लुडाडनो (spelling Llandudno) बीच पर था । बालकनी में से समुद्र के दर्शन हो जाते थे । यहां सुहास ने ड्राइव किया । अपार्टमेन्ट सुंदर था । दो बेड रूम्स, एक किचन कम लिविंग कम डाइनिंग रूम, दो बाथरूम्स,हमारे लिये एकदम बढिया । चाय कॉफी दूध सब की शुरुवाती व्यवस्था थी । पर हमें तो खाने का भी सोचना था । सुरेश और सुहास सामान लाने गये और मै और विजय रुक गये मैने सबके लिये चाय बनाई हमारे पास बिस्किट नमकीन वगैरा था वह निकाला । जब ये लोग वापिस आये तो फ्रोझन पास्ता भी लाया था वही बनाकर खाया । (विडियो) 1

फिर मैप देख कर कल का प्रोग्राम तय किया कि कल हम कैप ऑफ गुड होप याने कि आशा अंतरीप देखने जायेंगे इसका रास्ता चैपमन्स पीक होकर ही जाता है जो कि एडम ने हमें बताया था कि बहुत ही खूबसूरत है । सुबह उठे और बाहर बालकनी में बैठ कर चाय पी, तैयार हुए और नाश्ता कर के चल पडे । साउथ अफ्रीका में यह ठंड का मौसम होता है । और यहां तो हमारे और एन्टार्क्टिका के बीच में केवल समुद्र ही था । इस बार ड्राइव करने की बारी सुरेश की थी । हमारे अपार्टमेन्ट का रास्ता काफी घुमावदार और नीचे जाने वाला था तो बाहर निकलने के लिये चढाई होती थी । सुरेश धीरे धीरे आगे बढे और फिर हम अपने रास्ते पर लग गये । यह हमारी ड्राइव दुनिया की सबसे खूबसूरत ड्राइव थी । हमने लुडाडनो से एम 6 रोड पर शुरुवात की हौट बे से आगे निकले और यहीं से हमारी चैपमन्स ड्राइव शुरु हो गई जो हमें नूरडॉक तक ले गई । इसे सिर्फ खूबसूरत कहना इसको कमतर आँकना होगा । एक तरफ विशाल पर्वत माला और दूसरी तरफ गहरा नीला उफनता हुआ समंदर । साँस खींच कर नयनों में भर लें ऐसे दृष्य । 2, 3 (विडियो)



इस 9 किलोमीटर की ड्राइव में कोई 114 घुमाव थे और यह राह एक तरफ तो एटलांटिक सागर को बाहों में लेकर चलती है और दूसरी तरफ पर्वतों से बातें करती हुई । यह एक बहुत ही रोमांचक और आल्हददायक अनुभव था ।(विडियो) 4, 5




प्रकृती का ऐसा अद्भुत रूप जादू सा कर रहा था । आगे कैप ऑप गुड होप तक जाते जाते और भी अपूर्व पर्वत शिखर दिखें । हम चलते चले गये बिलकुल पश्चिमी तट के आखरी बिंदु तक । जिसे दुनिया का आखरी छोर भी कहा जाता है । कैप ऑफ गुड होप जिसे पार कर वास्को द गामा भारत पहुँचे । 6 ,(विडियो)

वहां बफेलो-फॉन्स्टीन विजिटर्स सेंटर था, वहां के हिल साइड कैफे में रुके । क़ॉफी नट्स और चॉकलेट बार खरीदे और नाश्ता किया, खूब भूख जो लग आई थी । वहीं पर व्हेल के जॉज (Jaws) और वर्टीब्रे सजाये हुए थे । वहां से आस पास के पौधे देखे एक लाल फूलों वाला पौधा था जिसका नाम है फिनबोस ।
वहां से फिर गये टेबल माउन्टेन नेशनल पार्क । टेबल माउन्टेन तो लुडान्डो से पास ही था पर उसी के नाम पर ये नेशनल पार्क बना है यहां से शिखर तक जाने के लिये पैदल भी चढ सकते हैं और एक ट्रेन भी जाती है । हमने तो ट्रेन के टिकिट खरीदे और ऊपर गये, यह था केप पॉइन्ट । कमाल का व्यू था एक तरफ हिंद महासागर दूसरी तरफ एटलांटिक महासागर और बीच में ये कैप पॉइन्ट जहां हम खडे थे । वहीं से दूर समंदर में एक जगह खूब फेना और एक्टविटि दिखी, वहां चार से पांच व्हेल्स थीं । थोडे थोडे अंतराल के बाद खूब फव्वारे बना रहीं थीं, 7 (विडियो)


उनका ब्रीडिंग सीझन चल रहा था । कभी कभी उनकी पूंछ दिखाई दे जाती थी । बहुत देर तक वहां रुक कर इसका आनंद उठाया । एक छोटासा काला पक्षी जमीन पर फुदक रहा था उसे सुहास ने एक काजू दिया तो लेकर तेजी से दूर भाग गया । वापसी का सफर भी उतना ही रोमांचक था । हमें साइमन टाउन रुकना था पेंगुइन्स (छोटे वाले) देखने के लिये पर कहीं दिखे ही नही । पर वही सारा प्राकृतिक रोमांचक सौंदर्य पहाड और महासागर देखते देखते वापिस आये । इस बार सुहास हमारी सारथी थी । शब्दों में इस प्राकृतिक वैभव को बांधना कठिन है आप देखें कैमरे ने कितना न्याय किया है । (विडियो) 8 ,9 (विडियो)




हमारे तजवीजी घर पर वापिस आये और खाने का इन्तजाम किया । थोडी देर टीवी देखा । कल हमें जाना था रॉबिन आयलैन्ड जहां नेलसन मंडेला को ब्रिटिश सरकार ने कैद किया था । अपनी कुल 27 साल के कैद वर्षों मे से 18 साल उन्होने इस जेल में बिताये । उसके लिये रास्ता देखा । मैप पर मार्किंग की और सो गये ।
(क्रमशः)

बुधवार, 13 जुलाई 2011

चलते रहिये चलते रहिये 5 -अफ्रीकी सफारी (पेलिनबर्ग)



सुबह जल्दी जल्दी तैयार हुए नाश्ता किया और निकल पडे । (विडियो) 2

इस बार सुहास हमारे साथ नही आई क्यूं कि उसने नाइजिरिया मे रहते सफारी की थी पर विजय हमारे साथ ही थे । हमें जाना था पेलीनबर्ग नेशनल पार्क । रास्ते में हमने वुलवर्थ नाम के दुकान से लंच का सामान खरीदा । जब हम पार्क के अंदर दाखिल हुए तो बडी देर तक कुछ भी नज़र नही आया फिर दो झेब्रा दिखे पर बडी दूर से । फिर अचानक दो तीन झेब्रा और दिखे एक बच्चा भी था । इस बार इनके दर्शन अच्छे से हुए । प्रकृति ने क्या क्या सुंदर दर्शनीय जानवर बनाये हैं । सफेद शरीर पर चमकदार काली धारियां खूब सज रही थीं । आगे जा कर हमने एक जगह देखी, रेस्तराँ था, वहां जानवरों के सिर लगे हुए थे चारों तरफ बरामदे की दीवारों पर । वहां की बालकनी से चारों तरफ का नजारा देखा ये काफी खुली खुली जगह थी और सबसे महत्वपूर्ण, यहां प्रसाधन गृह भी थे ।
फिर वहाँ से निकल कर आगे बढे तो देखे जिराफ, कोई 5 से 6 जिराफ थे, एक बच्चे के साथ था शायद थी । फिर दो जिराफ देखे एक दूसरे को प्यार से सहला रहे थे । लैमार्क के अनुसार धरती पर खाना धीरे धीरे कम हो गया तो जिराफों में गर्दन लंबी हो गई ताकि वे पेडों के पत्ते खा सकें ।(विडियो)3

उन्हे देखते देखते ये बात एकदम से याद आ गई । बहुत देर तक जिराफ देखते रहे फिर आगे बढे तो फिरसे झेब्रा दिखें । आगे दिखा भैंसा और घोडे के बीच का एक जानवर जिसको यहां कुडु कहते हैं और अंग्रेजी में ब्लू वाइल्ड बीस्ट कहते हैं । ये दिखता तो भैंसे की तरह है पर इसके आयाल होती है घोडे की तरह ( MANE) । बीच में लंच खाने रुके यहाँ सारी सुविधा थी जैसे रेस्ट एरिआ में होती है और लंच भी हमारा शानदार रहा एडम के सौजन्य से । वेज नॉनवेज दोनो तरह का पास्ता दही, फल, शैंपेन और केक भी । वहां कुछ बंदर आगये एक ने तो एडम का केला छीन लिया । हम वापस गाडी में बैठ कर आगे सडक पर आये तो एक कुडू हमारी गाडी के एकदम सामने आ गया एडम ने ब्रेक लगाया और उसे रास्ता पार करने दिया तब हम आगे बढे (विडियो) । फिर देखे हिरण जिन्हे स्प्रिंग बक कहते हैं ।
आगे जाते जाते हमें एक रस्ते का दो राहा मिला इनमे से एक रास्ता कच्चा था पर एडम ने कहा यहीं से चलते हैं । और कितना सही निर्णय रहा ये । हमें आगे दिखे बहुत से कुडु, शुतुरमुर्ग और इम्पाला हिरण, इनकी तो पूरी टोली थी । थोडे आगे गये तो गेंडे दिखे दो थे मजा ही आ गया । (विडियो) 4

पहलो तो हमें पीठ ही दिखाते रहे पर फिर चेहेरा भी दिखा ही दिया । और आगे आये तो एक सुंदरसा पीजेन्ट पक्षी दिखा उसका आधा चितकबरा रंग और नीला सिर कमाल का सुंदर था फिर देखे मीरकेट जो नेवले की तरह थे पर थे धारीदार । पूरी बारात थी इनकी तो और ऐसे सरसरा कर भाग रहे थे । आप भी मजा लें । (विडियो) 5

फिर एडम ने सुरेश से गाडी चलाने को बोला क्यूं कि कल हमें केप टाउन जाना था और हमने तय किया था कि हम किराये की गाडी लेकर घूमेंगे क्यूं कि शोफर के साथ टैक्सी काफी महंगी बैठ रही थी । यहां दिल्ली में तो गाडी चलाई हुई थी पर काफी साल हो गये थे छोडे हुए । तो सुरेश ने करीब 20 मिनिट गाडी चलाई और अंत में दिखा एक जंगली सूअर।(विडियो)6

फिर वापिस एडम जी ड्राइविंग सीट पर और हम घर वापिस । इधर सुहास ने भी एमी के साथ ट्रेनिंग ले ली थी यह हमें घर जाकर पता लगा । अमेरिका में दाहिनी तरफ का ड्राइविंग होता है और यहाँ अफ्रीका में बायीं तरफ का भारत की तरह ।
(क्रमशः)

बुधवार, 6 जुलाई 2011

चलते रहिये चलते रहिये 4 –चीता पार्क


हम वापिस लौटे 21 को और 22 को सुबह हमे जाना था चीता पार्क देखने । विजय ने कहा कि चलना बहुत पडेगा तो मै घर में आराम करता हूँ और शाम को थाइ-मसाज के लिये जाऊंगा । आठ बजे पहुंचना था, तैयार होते होते साढे सात बज गये तो लगा हम समय से न पहुँच पायेंगे, पर एडम ने क्या गाडी चलाई है करीब 150 किलोमीटर प्रति घंटा । 1

तभी तो हम 70 -75 किलो मीटर दूर के चीता पार्क समय से पहुँच गये । वहां गये तो कॉफी तैयार थी कॉफी पीकर थोडा पार्क के बारे में और चीतों के बारे में जानकारी हासिल की । 2

ये तो हम सभी जानते हैं कि चीता सबसे तेज जानवर है । यह भी जाना कि अफ्रीका में भी इनकी संख्या काफी कम हो रही है भारत से तो ये लुप्त ही हैं । यहां उनका प्रजनन और संवर्धन किया जा रहा है । यहां कोई तीन मादाएं है और दो या तीन नर हैं 3-4 बच्चे भी हैं । वे बता रहे थे कि ज्यादा तर ये चीते प्यार समझते हैं और कहना मानते हैं पर कभी कभी गुस्सा हो जाते हैं तब उन्हे अकेले छोडना चाहिये नही तो नोच खरोंच लेते हैं । एक लडकी के हाथ में जो हमारी गाइड भी थी बैन्डेज बंधा देख कर विश्वास हो गया ।
फिर हमने चीतों को उनके पिंजरे मे देखा । एक चीते के धब्बे कुछ अलग तरह के थे कुछ लंबे से । चीतों के बच्चे बहुत प्यारे थे । अब हमें उस जगह ले जाया गया जहां चीते दौडने वाले थे । कुछ कुछ डर तो था मन मे । हमे एक छोटी सी बाड के आड खडा कर दिया । हमें शुरु में ही बाताया था कि एक बेट नुमा चीज, जो मांस के टुकडे जैसी दिखने वाली, प्लास्टिक की होती है, मोटराइज्ड पुली से फर्राटे से दौडाई जाती है (70 कि.मी./ घंटा )और चीता उसके पीछे भागता है और उसे पछाड देता है । हमें बताया गया कि आज तीनो चीतनियां ही दौडेंगी क्यूं कि चीतों का मूड नही है । वैसे चीतनियाँ कम एकाग्र होती हैं चीते अपने लक्ष से ध्यान नही हटाते । हम वहाँ खडे होकर इंतजार कर रहे थे और हमारी गाइड लडकी हमें हर चीतनी के बारे में बताती जा रही थी । उसकी बात खतम करके वह चीतनीयों को लाने चली गई । उनके गले में पट्टा डाल कर उन्हे जीप में बिठा कर लाया जाता है । हमें बताया गया था कि हम ज्यादा हिले डुलें नही बस चुप से खडे रहें । पहले एलन को लाया गया और फिर प्यार से पट्टा खोल दिया गया । वह मीट का टुकडा (झूटा) फर्राटे से दौडा और चीतनी छलांगे लगाते हुए उसके पीछे यह सब मानों दो चार सेकंड में हो गया । इसी तरह थोडे थोडे अंतराल से दो चीतनियां और दौडी । इनके नाम थे ग्रॉस और बिग गर्ल । हर बार वही उत्कंठा आशंका और रोमांच । बहुत मज़ा आया । दौड के बाद चीतनियों को सचमुच का मांस तोहफे में मिला । (विडियो)3

यहां से हम एक हॉल में आकर बैठे जहां चीतों के बारे में एक फिल्म देखी । इस दौरान एक बडा सा चीता तेज तेज बाहर बगीचे में घूम रहा था ।4

मूवी के बाद हमारी गाइड और सूचना अधिकारी लडकी चीते को लेकर आई और एक टेबल पर लिटा दिया फिर बारी बारी सारे ग्रुप्स के लोग गये और चीते के साथ फोटो खिंचवाई और उसकी पीठ पर हाथ फेरा । हमने भी यह सब किया । 5 6 7 8(विडियो)







इसके बाद हमे एक आधी बंद गाडी में बिठा कर सफारी करायी गई । सफारी में सबसे पहले हमने देखे इम्पाला हिरण । इसका नर बहुत खूबसूरत होता है उसके सींगों की वजह से । फिर देखी जंगली बिल्ली । 9 10 11





यह देखने में तो आम बिल्लियों की तरह होती है पर इसके कान अंदर से गुलाबी होते है । खूंखार होती हैं । फिर देखे दक्षिण अफरीका के गिध्द । यहां गिध्दों की आठ प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें से सात लुप्तप्रायः (endangered ) हैं।
यहां पर एक बडे गिध्दों की एक प्रजाति हैं । इन गिध्दों के बारे में हमारी गाइड नें बडी रोचक जानकारियां दीं । ये गिध्द इस पार्क में भी अच्छी तरह प्रजनन कर रहे हैं। ये सबसे बडे गिध्द हैं जिनका वजन दस किलो के लगभग होता है । खुले पंखों का विस्तार 2.8 मीटर होता है । 12

ये काफी मोटी चमडी को भी छील सकते हैं । नर और मादा देनो मिल कर बच्चों का संगोपन करते हैं और इनकी जोडी आजीवन रहती है अगर साथी की मृत्यु हो जाये तो ये शोक में डूब जाते हैं । गिध्दों की एक छोटी प्रजाती भी यहां पाई जाती है जिनकी चोंच मोटी चमडी नही छील सकती इससे भूखों मरने की नौबत आ सकती है, तो ये शुतुरमुर्ग के अंडे को चोंच से पत्थर उठा कर मार मार कर कमजोर करते हैं और बाद में चोंच से छेद कर के सारा अंडा जो काफी बडा होता है खत्म तर देते हैं (मुर्गी के करीब 24 अंडों के बराबर माल इसमें होता है ) । शुतुरमुर्ग के ये अंडे वहां हमारे विक्टोरिया फॉल्स के होटल में भी सजा कर रखे थे आपने भी नोटिस किया होगा। यहां इन पर सुंदर सुंदर पेंटिंग भी की जाती है और बेचे जाते हैं ।
फिर हमने देखा एक भूरा लकडबघ्घा या हाइना । जो पहले तो छुपता रहा पर फिर सामने आ गया । हमारी गाइड इन सब के बारे में बताती जा रही थी । इसके बाद देखे जंगली कुत्ते । बाप रे ! क्या लडते हैं और क्या बखेडे करते हैं । खाना खाते वक्त बाप को खाने ही नही देते यदि वह खाने में मुह डालता है तो उसे काट कर भगा देते हैं । आप देखें बेचारा चुपचाप एक और खडा है । 13

यहां हमने शुतुरमुर्ग भी देखें । इसके बाद हम एक खुले से मैदान में गये और वहां हमारे लिये चीतों को बुलाया गया । बहुत देर मनाने के बाद आये, खाना खाया और क्या पोज दी हैं एकदम मैजेस्टिक, आप भी देखिये । हम बंद गाडी मे थे और ये खुले ।14

चीता पार्क की प्रवेश फीस थी 258$ चार व्यक्तियों के लिये । सफारी पूरी होने के बाद हम यहां के दुकान में गये । बेटों के लिये टी शर्टस् और पोते पोतियों के लिये चीता और जंगली कुत्ता खरीदा ( स्टफ्ड टॉयेज)। 15

( दो स्टफ्ड खिलोने और दो टी शर्ट्स की कीमत थी 450 रैंड यानि करीब 65 डॉलर । फिर एडम हमें फ्ली मार्केट ले गया वहां कुछ छोटी मोटी खरीदारी की । साउथ अफ्रीका काफी महंगा है यूरोप से भी, जो कि अमरीका से महंगा है । अब तक चार बज चुके थे और भूख जोरों की लगी थी तो एक ओपन एयर रेस्तराँ में पिज्झा खाया और अमेरुला वाइन पी जो दूध या आइसक्रीम में डाल कर पीते हैं । यह यहां के अमेरूला नामक फलों से बऩाई जाती है । कहते हैं कि इन फलों को खा कर हाथी, बंदर आदि जानवर मतवाले हो जाते हैं । ये अमेरूला कडवी थी पर अच्छी थी (विडोयो) । घर आये । थक तो गये ही थे । कल हमें जाना था सफारी पर । एडम ही गाडी लेकर ले जाने वाला था । मै कीमतें बता रही हूँ कि यदि आप में से कोई जाये तो अंदाजा रहे ।
(क्रमशः)