सोमवार, 22 जून 2009
दुख क्या है ?
दुख क्या है—अभाव अनुभूती
चाह अगरचे ना हो पूरी
छिन जाये कोई वस्तू प्यारी
कोई प्रिय विछोह हो जाये
पीडा असहनीय हो जाये
हो शरीर की या ह्रदय की । दुख क्या है..
बींमारी—अभाव स्वास्थ्य का
वियोग क्या- अभाव प्रिय जन का
असफलता- यश का अभाव है
अपूर्णता चोट का भाव है
न्यून्यता है कमी पूर्ण की । दुख क्या है..
इस दुख को हम सुख में बदलें
कमी को अधिकता दें चलें
बीमारों को स्वास्थ्य मिले और
असफलता को यश में बदलें
कर लें अपनी ही क्षति पूर्ती । दुख क्या है..
विरही को उसका प्रिय मिल जाये
माँ को नन्हा शिशु मिल जाये
घावों पर लगायें मरहम
पौधों को पानी मिल जाये
करें प्रार्थना उस ईश्वर की । दुख क्या है..
रविवार, 7 जून 2009
याद आया
वो गुज़रा जमाना याद आया
वो पुराना फसाना याद आया।
यारों जो हमारा साझा था
दोस्ती का वो तराना याद आया ।
वो खींचना टांगे बंदों की,
उनकी चुस्ती ढहाना, याद आया।
वो बनाना कागजों के तीर
और लडकियों पे निशाना याद आया ।
वो देना जाँ भी दोस्ती के लिये
और वादे निभाना याद आया ।
किताबों को रख के सिरहाने
लेना, सपने सुहाने याद आया ।
उनका आने का वादा करके फिर
वो बहाना बनाना याद आया ।
वो जयप्रकाशजी का आंदोलन
और नारे लगाना याद आया ।
दूध में पानी ही मिलाता था
वो प्यारा सा ग्वाला याद आया ।
दोस्तों, अब हम क्या कहें तुमसे
कितना वो जमाना याद आया ।
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