मंगलवार, 30 जुलाई 2013

सुबह






स्वर्णिम प्रभात में धीरे धीरे घुलता अंधकार
पक्षियों का कलरव, गमले में खिलता गुलाब
नल में पानी की आवाज
गैस पे पत्ती के इंतजार मे खौलता पानी,
कप में चम्मच की टुनटुन
दरवाजे की घंटी का संगीत
दूधवाला, अखबार
हाथ में चाय का कप
बाहर छज्जे पर एक कुर्सी
उस पर  मेरा बैठना
और....

सुबह सार्थक हो जाती है ।




चित्र गूगल से साभार ।

शनिवार, 20 जुलाई 2013

उदासी

अवि-वर्षा की शादी को इस साल १० जुलै को २५  वर्ष पूरे
हुए । अवि (अवनींद्र) मेरा भांजा है । मैं उनके फेस बुक पर
उनके लिये बधाई मेसेज छोडना चाहती थी । वहां अवि के
अकेलेपन को लेकर लिखे हुए कुछ शब्द देख कर मन तो कैसा
कैसा हो गया । अवि अपना बिझिनेस चलाता है और वर्षा दूसरे
शहर में गायनेकोलॉजिस्ट है । घर-संसार चलाना है, दोनो
अपनी अपनी जगह रह कर चला रहे हैं ।

अवि की मनस्थिति कुछ इन शब्दों में बयां हो सकती है ।



अकेलापन मेरा मुझसे, सवाल अक्सर ये करता है,
कि अब घर जाना होगा कब, उदासी घेर लेती है ।

मै अपनी तनहाई में अक्सर खोया रहता हूँ
तुम्हें जब याद करता हूं, उदासी घेर लेती है .

इस मेरी मजबूरी में तुम्हारा साथ ना होता
सोच कर कैसे मैं जीता, उदासी घेर लेती है ।

वो बच्चों की सफलता पर तुम्हारे साथ ना होना
और उनका रूठना मुझसे, उदासी घेर लेती है ।

मिलना दो दिनों का और लंबी सी जुदाई फिर
वापसी पर हमेशा ये उदासी घेर लेती है ।

जिंदगी क्या यही है और ऐसी ही आगे है क्या चलना  
इन खयालों के आते ही उदासी घेर लेती है ।

और जब कभी अचानक से तुम आकर के मिलती हो
बादलों में उदासी के, ऱोशनी झिलमिलाती है ।

जिंदगी जो मिली है हँस के ही इसको निभा लेंगे ,
जियें और मुस्कुरायें तो उदासी भाग जाती है ।



बधाई अवि और वर्षा
तुम साथ साथ रहो हमेशा ।




शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

नेचुरल ब्रिज




हाल ही में हम बस इत्तफाक से एक खूबसूरत जगह पर पहुंच गये कोई जाने का प्लान नही था । हम तो कुसुम ताई से मिलने ब्लेक्सबर्ग गये थे । वे अब अमरीका के पश्चिमी किनारे पर बसने जा रही हैं । बेटा वहां पोर्टलेन्ड में है तो अब इस उम्र में बेटे के पास रहना चाहते हैं वे और अरुण राव दोनो । वहां से वापिस आ रहे थे मार्टिन्स बर्ग सुहास के यहां । रास्ते में एक रेस्ट एरिआ में रुके तो मैने कुछ प्रेक्षणीय स्थलों की जानकारी के ब्रोशर उठा लिये ।
विजय, सुहास के पति कार चला रहे थे । अचानक हमने देखा कि  अगला एक्झिट नेचुरल ब्रिज का है तो मैने कहा," अरे नेचुरल ब्रिज",  तो सुहास ने एकाएक विजय से कहा ले लो एक्झिट, जल्दी । विजय ने एक्जिट तो लिया पर भुनभुनाये," ऐसे कोई एक्जिट लेता है क्या " और इस तरह हम इस खूबसूरत जगह पर आ ये । एक्जिट से ज्यादा दूर नही थी ये जगह बस 4-5 मिनिट के ड्राइव पर ही थी । आप भी जा सकते हैं I -81 से नेचुरल ब्रिज का एक्जिट लेकर ।

नेचुरल ब्रिज एक भूगर्भशास्त्रीय आश्चर्य है जो जेम्स नदी के ब्लू रिज पहाड के खोदने से बना है । ये जो एक पुल सा दिखाई देता है वह वास्तव में एक गुफा या सुरंग की छत है,  गुफा के अवशेष के रूप में यही बचा है । यह कोई २१५ फीट ऊंचा और ९० फीट चौडा है । इसे वर्जीनिया के प्राकृतिक ऐतिहासिक स्थल का दर्जा मिला है ।

कहते हैं यह यहां के मूल निवासियों ( मोनेकन कबीला ) का श्रध्दास्थान है उनके पोहाटन कबीले पर विजय का प्रतीक । यह श्वेत वर्णीयों के यहां आने से पहले की बात है ।

ऐसा भी माना जाता है कि अमरीकी के प्रथम राष्ट्रपती जॉर्ज वाशिंगटन यहां सर्वेयर के रूप में आये थे और उन्होने ब्रिज के एक पत्थर पर अपना नाम उकेरा था । उनके नाम के आद्याक्षर वाला पत्थर यहां मिला भी था । Vdo 1 नीचे दी हुई लिंक क्लिक करें
थॉमस जेफर्सन  अमरीका के तीसरे राष्ट्रपती ने १७७४ में किंग जॉर्ज III से २० शिलिंग में  १५० वर्गफीट जमीन खरीदी थी जिसमें यह नेचुरल ब्रिज भी शामिल था । उन्होने ही इस जगह को साफ सुथरा करवा कर एक केबिन बनाया जहां वे तफरीह के लिये आया करते थे । कहते हैं वे अपना पत्थर इस ब्रिज तक उछाल पाये थे ।

आज इस जगह को काफी विकसित किया गया है । इसका टिकिट २१ $ प्रति व्यक्ति लगता है इसमें हम  एक खूबसूरत ट्रेल पर चलने का सुखद अनुभव ले सकते हैं और नेचुरल ब्रिज, सेडार क्रीक, लेस फॉल्स तथा मोनेकन गांव देख सकते हैं । २८ डॉलर का टिकिट लेने पर केवर्न और बटर फ्लाय गार्डन भी देख सकते हैं पर चलना काफी पडता है । नीचे दी हुई लिंक क्लिक करें
हम तो केवल नेचुरल ब्रिज और सेडार क्रीक ही देख पाये और चलने की हिम्मत नही थी  । नेचुरल पुल की सुन्दरता का मज़ा आप भी लें ।







मंगलवार, 2 जुलाई 2013

जगरात



आओ जगरात करें
कोई तो बात करें
हाथ ले हाथ, करें
बैठ के साथ करें
लोगों की, अपनी भी
बात इक साथ करें
आओ जगरात करें ।

बात तारों की करें
इन बहारों की करें
अपने प्यारों की करें
जीत हारों की करें
सच्चे यारों की करें
राजदारों की करें
इक मुलाकात करें
आओ जगरात करें ।

पक्के वादों की करें
कच्चे धागों की करे
अपनी यादों की करें
कुछ इरादों की करें
बंद साजों की करे
खुले राजों की करें
भेंट सौगात करें
आओ जगरात करें ।

बात सपनों की करें
अपने अपनों की करे
धडकनों की भी करें
बचपनों की भी करें
बहते नयनों की करे
मीठे बयनों की करे
हंसी के साथ करें
आओ जगरात करें ।

भोर जो होने लगे
रात जब खोने लगे
किरणों में नहा लें हम
खुशियों को पा लें हम
मन को बस साफ करें
कही सुनी माफ करे
दोनों इक साथ करें

आओ जगरात करें ।