अवि-वर्षा की शादी को इस साल १० जुलै को २५ वर्ष पूरे
हुए । अवि (अवनींद्र) मेरा भांजा है । मैं उनके फेस बुक पर
उनके लिये बधाई मेसेज छोडना चाहती थी । वहां अवि के
अकेलेपन को लेकर लिखे हुए कुछ शब्द देख कर मन तो कैसा
कैसा हो गया । अवि अपना बिझिनेस चलाता है और वर्षा दूसरे
शहर में गायनेकोलॉजिस्ट है । घर-संसार चलाना है, दोनो
अपनी अपनी जगह रह कर चला रहे हैं ।
अवि की मनस्थिति कुछ इन शब्दों में बयां हो सकती है ।
अकेलापन मेरा मुझसे, सवाल अक्सर ये करता है,
कि अब घर जाना होगा कब, उदासी घेर लेती है ।
मै अपनी तनहाई में अक्सर खोया रहता हूँ
तुम्हें जब याद करता हूं, उदासी घेर लेती है .
इस मेरी मजबूरी में तुम्हारा साथ ना होता
सोच कर कैसे मैं जीता, उदासी घेर लेती है ।
वो बच्चों की सफलता पर तुम्हारे साथ ना होना
और उनका रूठना मुझसे, उदासी घेर लेती है ।
मिलना दो दिनों का और लंबी सी जुदाई फिर
वापसी पर हमेशा ये उदासी घेर लेती है ।
जिंदगी क्या यही है और ऐसी ही आगे है क्या चलना
इन खयालों के आते ही उदासी घेर लेती है ।
और जब कभी अचानक से तुम आकर के मिलती हो
बादलों में उदासी के, ऱोशनी झिलमिलाती है ।
जिंदगी जो मिली है हँस के ही इसको निभा लेंगे ,
जियें और मुस्कुरायें तो उदासी भाग जाती है ।
बधाई अवि और वर्षा
तुम साथ साथ रहो हमेशा ।