थोडी सुनी तुम्हारी, कितनी सुनाई अपनी
इस तरह रात गुजरी, इक पलक की झपकनी ।
बरसों से जो दबा कर इस हृदय में रखा था,
हमनें तो दे उंडेला, बाकी रहा छिटकनी ।
चुपचाप ही रहे तुम, न कहा कुछ जबां से,
कानों में दिल बसा कर, सुनते रहे धडकनी ।
जब रात हुई गहरी काजल गया था बहता,
आखों को लग गई थी जैसे कोई टपकनी ।
हाथों से आपने, मेरे अलकों को था संवारा,
उंगली पे आंसुओं को, यूं तोला ज्यूं हिरकनी ।
फिर धीमे से कहा था, मेरे प्राण बसते तुम में,
आंसू से धुल न जाये, तेरे आंख की चमकनी ।
18 टिप्पणियां:
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
गहरे प्रेम की उत्तम अभिव्यक्ति
इसमें कोई संदेह नहीं अभिव्यक्ति में जबरदस्त गहराई है, कोटिश: बधाईयाँ !
हाथों से आपने, मेरे अलकों को था संवारा,
उंगली पे आंसुओं को, यूं तोला ज्यूं हिरकनी ।
फिर धीमे से कहा था, मेरे प्राण बसते तुम में,
आंसू से धुल न जाये, तेरे आंख की चमकनी ।
यही तो प्रेम है औरत के लिये इतना ही बहुत है इस एक बात के लिये वो दुनिया का हर गम सह सकती है। बहुत सुन्दर रचना है धन्यवाद्
चुपचाप ही रहे तुम, न कहा कुछ जबां से,
कानों में दिल बसा कर, सुनते रहे धडकनी ।
जब रात हुई गहरी काजल गया था बहता,
आखों को लग गई थी जैसे कोई टपकनी ।
बहुत अच्छी लगी ये कविता.
फिर धीमे से कहा था, मेरे प्राण बसते तुम में,
आंसू से धुल न जाये, तेरे आंख की चमकनी ।
Waah!
behad behad narm ahsaason ko liye likhi gayee kavita!
चुपचाप ही रहे तुम, न कहा कुछ जबां से,
कानों में दिल बसा कर, सुनते रहे धडकनी ।
bahut hi achchhi kavita aur saath hi badhai mahila divas ki ,vyastta me nahi aa pai isliye mafi chahti hoon .
झपकनी, चमकनी ..वाह कितने ध्वन्यात्मक शब्द हैं ।
hamesha ki tarah bahut pyari si kavita :)
थोडी सुनी तुम्हारी, कितनी सुनाई अपनी
इस तरह रात गुजरी, इक पलक की झपकनी ।
सुन्दर भाव की रचना
प्रेम और मन के अंतरंग में समर्पण का जज़बा इस कविता में परिलक्षित होता है.
गुडी पाडव्या च्या हार्दिक शुभेच्छा, तुम्हाला व जोगळेकर साहेबांना.
man ko bahut hi bha gai aapaki ye rachana behatarin prastuti.
poonam
हाथों से आपने, मेरे अलकों को था संवारा,
उंगली पे आंसुओं को, यूं तोला ज्यूं हिरकनी ।
फिर धीमे से कहा था, मेरे प्राण बसते तुम में,
आंसू से धुल न जाये, तेरे आंख की चमकनी ।
Kitna komal,kitna mohak khayal hai!
बरसों से जो दबा कर इस हृदय में रखा था,
हमनें तो दे उंडेला, बाकी रहा छिटकनी...
बहुत ही अच्छे शब्दों से बुना है इस रचना को ... झपकनी, धड़कनी .... शब्द बहुत ताज़गी भरे हैं ... बहुत लाजवाब ...
"चुपचाप ही रहे तुम, न कहा कुछ जबां से,
कानों में दिल बसा कर, सुनते रहे धडकनी |"
बहुत सुन्दर भावनात्मक रचना ।
हाथों से आपने, मेरे अलकों को था संवारा,
उंगली पे आंसुओं को, यूं तोला ज्यूं हिरकनी ।
फिर धीमे से कहा था, मेरे प्राण बसते तुम में,
आंसू से धुल न जाये, तेरे आंख की चमकनी ।
Kis nazakatse aapne baat kahi hai! Aah!
शब्द शब्द में
मन के जज़्बात झलकते हुए
एक प्रभावशाली रचना .
मन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता
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