गुरुवार, 27 सितंबर 2007

बुरे फँसे बेचारे




मौज और मस्ती
तब जो थी सस्ती
जोशे जवानी
सारी मनमानी

होटल सिनेमा
लंच डिनर खाना
प्यारी प्यारी बीवी
नया नया टीवी

जब जो चाहा
वो ही तो पाया
इससे ही पनपा
प्यार जो इनका

गुल खिला प्यारा
मुन्ना हमारा
तब से है हाथ में
और है साथ में

दूदू की बोतल
और पेसीफायर
बैग में डाय़पर
और थोडे वायपर

थोडे से बिब
और दो चार पोंछे
कहाँ गये मस्ती के
दिन हम यूँ सोचें

नींद गई रातकी
चैन दिन का गया
यार इनका तो
हाल बुरा हो गया

कहाँ थे ये
और पहुँचे कहाँपर
छोडो जी इन्हें
इनके ही हाल पर



आज का विचार
यत्न, यत्न, यत्न.........यश ।

स्वास्थ्य सुझाव
खाना ... दिन में भरपेट रातमें आधा पेट।

सोमवार, 24 सितंबर 2007

हालात




ये किसने हमारे आईने पे धूल बिखरा दी
कि इसमें अब चेहेरा हमे अपना नज़र आता नही।
हम इस कदर भटक गये हैं अपनी राहोंसे
इन अजनबीं राहों पे अपना कोई नज़र आता नही।
हर शख्स सहमाया हुआ, हर सांस है अटकी हुई
हर दर पे हैं पहरे लगे, रस्ता कहीं जाता नहीं।
शक ने किया है काम वो दुश्मन न कर पाया कोई
हुआ गैर सा अपना शहर पहचाना भी जाता नही।
कौन हैं ये लोग, हैं किस मुल्क से आये हुए
चेहेरा न कोई नाम है, घर-बार का भी पता नही।
किसने बहा दी खून की नदियाँ मेरे इस देश में
हैवान है, शैतान है इन्साँ तो हो सकता नही।
हिन्दू था वो, मुस्लिम था वो, ईसाइ था या सिख था वो
मासूम सा इन्साँ था वो, जो था अभी पर अब नही।
अल्लाह कहो, ईश्वर कहो, वाहेगुरू, ईसा कहो
सबका है वो भगवान जो हममें ही बसता है कहीं।
मज़हब वो क्या मज़हब है जो बांटे दिलों को नाम पर,
मज़हब तो वो मज़हब है जो हमें राह दिखलाता सही।

आज का विचार
क्रम महत्वपूर्ण है उसका ध्यान रखें।


स्वास्थ्य सुझाव
शहद का प्रयोग खूब करें।

मंगलवार, 18 सितंबर 2007

हे राम




कहते हैं वो कि कौन राम बतला दो
कहाँ है नाम इतिहास में ये दिखला दो
अब कैसे समझाँयें समझदारों को हम
है हिम्मत तो राम नाम को तुम झुटला दो

सिर्फ भारत में नही और दूर बाहर भी
गूँजता नाम जिनका वे तो अपने राम ही थे
तुम्हारी हस्ती जिनके दम से है उन्ही बापू के
दिलों-जबाँ पे जो बसते थे अपने राम ही थे

ऐसे राम थे ही नही कैसे कहा जाता है
जिन्हे कबसे आदर्श जाना जाता है
जिनका आदर्श से कोई नाता नही
उन के मुँह से ही ये निकल सकता है

बिन किये राम-राम जिन का दिन नही जाता
ऐसी जनता को अब कैसे मुँह दिखाओगे
छीन कर इनसे इनकी आस्था को
क्या कभी मत बटोर पाओगे

राम किसी इतिहास के मोहताज नहीं
वे तो करोडों दिलों के स्वामी हैं
जन्म से अंत तक जो साथ रहें
वे राम स्वयं-सिध्द नामी हैं


आज का विचार
सोच कर बोलो कहीं पछताना ना पडे ।


स्वास्थ्य सुझाव
गहरे रंग की सब्जियाँ व फल खाँयें।

रविवार, 16 सितंबर 2007

बीत गया सावन




बीत गया सावन, साजन फिर भी नही आये
मेरे इस उदास मन को अब कुछ भी ना भाये

ना चूडी ना बिंदिया पायल ना कजरा ना गजरा
ना सतरंगी सोन चुनरिया ना जयपुर का घगरा
इन सब चीजों के माने क्या जब कोई देखन ना आये ।

सूना सूना घर ना सोहे बाकी सब के रहते
जिनसे मेरी लगन लगी है वे क्यूं यहाँ न रहते
किसके लिये सजाऊँ काया जब कोई देखन ना आये ।

सूखे केश आँख में पानी, दुनिया जैसे हुई वीरानी
कडवी लगे सखियों की बानी, बिन राजा मै कैसी रानी
ना भाये अब मेले ठेले जब मेरे साजन ना आये ।



आज का विचार

समय एक परि-कल्पना है । तुम्हारा समय आज है और अभी।



आज का स्वास्थ्य सुझाव
थकान अनुभव करने पर हल्का व्यायाम करें । रक्त संचालन सुधरने से जाती रहेगी ।

शामें





उदास उदास शामें और खाली पन्नों से दिन
कैसे भरेंगे तुम्हारे बिन



हर पल आती तुम्हारी याद
हर घडी तुम्हें पाने की साध
तुम्हारे न होने का अहसास
काश तुम अभी होते पास
तो पलक झपकते बीत जाते
साल, फिर क्या महीने, क्या हफ्ते, और क्या दिन ।

वो मुस्कुराने का अंदाज़ तुम्हारा
वो हर गम को मज़ाक में उडाना तुम्हारा
जीने का अपना एक खास तरीका
हर कोई कैसे हो तुम सरीखा
सब के बसका नही है सहज रहना खुशी में और उसके भी बिन ।

ये कैसी आहट ये कैसी आवाज़
ये कैसे लगा बजने मन का साज़
क्या सचमुच मैने सुनी दस्तक
या फिर है मेरा ही शुबहो-शक
कया मेरी आंखे देख रहीं है सपना या सच में तुम ही हो धिक धिन।
खूबसूरत शामें और चहके चहके दिन
भर गये तुमसे ही सबके बिन


आज का विचार

जो भी करो मन से करो।

स्वास्थ्य सुझाव
आँखें थकने पर जोर से भींच कर खोलें । ऐसा पांच बार करें ।

गुरुवार, 13 सितंबर 2007

सौगातें




खनकती आवाजों में तुतली सी बातें
खिल खिल हँसी की प्यारी बरसातें


रुठ कर अकडनें की
जिद में मचलने की
पाँव पटकने की
गुस्से की घातें

सजने सँवरनेंकी
ठुमक कर चलनें की
इठलाकर आँखों को
मटकाने की बातें

पायल के छुन छुन की
चूडी के खन खन की
रिबिनों की बिंदियों की
हील्स की बातें

बुलाने पर न आने की
दूर दूर जाने की
न देखूँ तो चुपके से
आने की बातें

गल-बहियों की
मनुहारों की
कितने दुलारों की
पोतियों से दादी को
मिलती सौगातें

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आज का विचार
ज्यादा सोचो मत, कर डालो।
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आज का स्वास्थ्य सुझाव
बंद नाक खोलने के लिये पंधरा बार नाक को ऊपर से नीचे रगडो ।

बुधवार, 12 सितंबर 2007

प्रार्थना






देह दीप जले मेरा, यह प्रकाश का घेरा तेरे लिये ।
जीवन का यह सुमन चरणों में अर्पण बस तेरे ही ।
तन-मन का यह चंदन, इससे ही हो अर्चन प्रभु तेरा ।
हाथ जुडे मेरे नित, तेरे ही वंदन में प्रभु मेरे ।
यह शीश झुके सदा चरणों मे तेरे ही नित्य प्रभू ।
और तेरा आशिर्वच बने मेरा कवच इस जग में ।

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आज का विचार
मन की बात मानो ।
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आज का स्वास्थ्य सुझाव
सुबह सुबह खुली हवा में दस लंबी सांसे लो ।

मंगलवार, 11 सितंबर 2007

तुमने कहा था


12 सितंबर 2007
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तुमने कहा था तुम करोगी इंतजार
फिर क्या हुआ कैसे टूटा ये तार

जिसने कभी गुनगुनाये थे तराने
लिखे थे गीत, सुनाये थे फसाने
वही करने लगा हिसाब किताब
कहाँ गुम हुए वे सारे ख्वाब

जिसे कविताओं में शब्दों से सजाया
जिसे अपने ह्रदय में बसाया
जिस पर की न्योछावर हर सांस
जो था अपना ओर हम उसके खास

आज कैसे आम हो गये
किसके अब ऊँचे दाम हो गये
ये रोशनी, ये सजावट, ये चमकार
किसके लिये हैं अब ये बाहों के हार

खडा हूँ मै तमाशाई बनकर
कोई और ले गया मेरा दाना चुनकर

तुमने कहा था तुम करोगी इंतजार



आज का विचार

खूब देखो सपने, पर चुनो उन्हे जो हैं तुम्हारे अपने ।



आज का स्वास्थ्य सुझाव

हर एक घंटे बाद आधा गिलास पानी पीयें ।

शनिवार, 8 सितंबर 2007

सपने




मेरे सपनों के गुलाब
खिलते हैं हरे आसमां की नीली घास पर ।
सुबह के सूरज की लाली और गीले बादल
भरते हैं उनमें रंग और सुगंध ।
एक लंबे सफर पे चल पडी हूं मैं
और मेरे साथ हैं मेरे जैसे सपनों के दीवानें ।
मुझे इंतजार तो है पर कोई जलदी नही है
तुम अपने समय से ही आना
मैं खुश हूं अपने सपनों के साथ
यही तो हैं मेरे अपने मंजिल के आने तक।