ओ सिंह , उठो, जवाब दो दुष्मन को ।
त्यजो दुविधा, कि क्या करूं, कैसे करूं ?
वही करो जो करना चाहिये , जो शास्त्र कहते हैं ।
वही करो जो ईश्वर ने कहा है, गुरू ने, संतों ने कहा है ।
वैसे ही करो जो इन परिस्थितियों में उचित है जैसा शास्त्र कहते
हैं ।
मत भूलो कि देश की रक्षा ही तुम्हारा धर्म है ।
डरो नही युध्द करो, युध्द अनिवार्यता है जीवन की ।
यह युध्द तुम पर, हम पर लादा जा रहा है । देश के प्रति कर्तव्य
है तुम्हारा कि उठो और युध्द करो ।
आत्मरक्षण अनिवार्यता है । युध्द में जीतोगे तो सत्ता पाओगे और
नाम भी ।
नही तो तुम्हारे मित्र और शत्रु दोनों तुम्हारी निंदा करेंगे,
इतिहास भी तुम्हें माफ नही करेगा ।
तुम्हारे कायरता की गाथा नमूद करेगा ।
महाभारत युध्द में कम विनाश नही हुआ फिर भी तो हम आज संख्या में
बुलंद हैं ।
इस संख्या की लाज रखो । युध्द करो ।
युध्द करो ताकि जनता समझे स्वतंत्रता का महत्व ।
अभी कोई कृष्ण नही आने वाले तुम्हारे लिये, ये जनता ही है
तुम्हारे कृष्ण ।