शनिवार, 13 दिसंबर 2008

राष्ट्रप्रिय है...


न कोई आयेगा हमको बचाने
न कोई हाथ ही आगे करेगा
जबाँ से ही जतायेंगे हम-दर्दी
मदद शायद ही कोई कुछ करेगा

दूसरे के भरोसे जो रहा है
काज उसका तो डूबा है हमेशा
अगर खुद मे नही है कोई हिम्मत
बिन लडाई ही, वो हारा है हमेशा

हमें अब एकजुट होना पडेगा
और बदलनी होगी किस्मत
ताकि अपने ही दम पे हम खडे हों
हमें खुद की बढानी होगी ताकत

उठे दुश्मन की आँख इससे पहले
डर, दृष्टि जाने का, उसे हो
हमारी एकता की शक्ति पर ही
नाज करने का हक हमको भी तो हो

हम किसी देश के दुष्मन नही हैं
पर अगर दुष्मनी पर कोई उतरे
लगा देंगे अब प्राणों की बाजी
मोल ले लेंगे, पथ में, जो हों खतरे

जवानों पर हमारे नाज़ हमको
अपने भूमी की रक्षा हक हमारा
त्याग जो भी हो करना वह करेंगे
राष्ट्र प्रिय है और राष्ट्र ध्वज है प्यारा