शनिवार, 18 अप्रैल 2015

तुम सुंदर हो ।




तुम सुंदर, तुमसे ये जग सुंदर
इस जग की सब बातें सुंदर
नदिया, पर्वत, बादल सुंदर
पशु, पक्षी और जंगल सुंदर
सागर, बालू, सीपी सुंदर
लहरातीं फसलें सुंदर
इस धरती की गोदी सुंदर
और आसमान की छत सुंदर
चंदा, तारे, बादल सुंदर
सूरज की किरणें सुंदर
बारिश की बूंदे सुंदर
पवन के झकोरे सुंदर
बिजली की चमकारें सुंदर
बादल की गड गड सुंदर
तेरा वह शांत रूप सुंदर
रौद्र रूप भी तो सुंदर
मै भी सुंदर, वह भी सुंदरं
तेरा प्रकाश सबके अंदर
हरलो मानव मन की कालिख
कर दो उसको निर्मल सुंदर
क्यूं कि तुम सुंदर हो।


चित्र गूगल से साभार।