शनिवार, 31 मार्च 2012

राम जन्म

अयोध्या आज हुई है धन्य
दशरथ घर गूंजे मंगल गान,
उपजे पुत्र चार कुल दीपक
अतीत का शाप बना वरदान ।

हर्षित तीनों ही मातायें
सुतमुख देख तृप्त मन-काम
राम, लक्ष्मण, भरत शत्रुघन
आज अवध आनंद को धाम ।

कौशल्या, चकित और विस्मित
प्रगट भये करुणा निधान,
धन्य हुई है कोख आज लगि,
सतजन्म पुण्य का ये वरदान ।

पुत्र जन्म उत्सव नगरी में
जन जन हरषे, मन अभिमान
कौशल्या घर प्रभू प्रगट भये
बालक अति सुंदर अभिराम ।

चर्चा करे नगर नर नारी
नंदन, मनमोहक घन-शाम
देखत मन आनंद से डोलत
तन-मन पुलक, अश्रु अविराम ।

मुदित भये महल भीतर सब
नगर भयो आनंद को धाम
सूरज भी रुक गये दो पहर
क्या ऐसा घटगया अनाम ।

सोमवार, 26 मार्च 2012

६ त्रिदल

सिंदूरी आसमान
तुम्हारी चुनरी
फैली हो जैसे

नीला सागर
भूरी रेत
आंखें और दिल ।

सलेटी काला,
रात का साया
गहराता दुख ।

तारे टिमटिम
कोई तो किरण
रोशनी की ।

लंबी रात
बिना बात
खिंचता मौन ।

सुहानी हवा
भोर के पंछी
आस जगाते ।

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

ख्याली पुलाव

नेता जो बेईमान कम होते
लोगों के वे देवता होते ।

छोडते जो पचास प्रतिशत भी
प्रगति में आज हम कहां होते ।

जो लोगों के लिये पुलिस होती,
लोग भी फिक्रमंद ना होते ।

आतंकी पैदा भी तब नही होते
गलत करने से पहले घबराते ।

पढाते शिक्षक जो क्लास में दिल से,
तो कोचिंग क्लास भी कहां चलते ।

पैदावार आती जो सब बजारों में
चीजों के ऊँचे दाम, कयूं होते ।

गोदामों में गेहूं फिर नही सडता
अपने भंडारक ही जो सही होते

सब को जो काम काज मिल जाता
इतने उत्पात तब नही होते ।

न्याय की प्रक्रिया गर आसाँ होती,
इतने अन्याय जग में, क्या होते ?

घूस से काम हम न करवाते
तब तो फिर घूसखोर ना होते ।

ख्याली पुलाव पकाओ मत आशा
इतने सपने, कब, किसके, सच होते ।