रविवार, 30 अप्रैल 2017
बुधवार, 19 अप्रैल 2017
बादलों के उस पार
बादलों के उस पार कोई तो जहाँ होगा,
जहाँ हमारा भी इंतजार हो रहा होगा।
खूबसूरत अलग से झरने होंगे,
रंगों का कोई अनोखा सा समाँ होगा।
हमारे संगी साथी जो यहाँ बिछुड गये, होंगे
धुंआधार बारिशों से धुला
आसमाँ होगा।
रुपये पैसे की जरूरत ही नही होगी,
खाना पीना भी तो मुफ्त ही वहाँ होगा
या फिर भूख प्यास ही नही होगी,
तृप्ति का अहसास ही सदा होगा।
हमारी सोच भी तो इस जहाँ की है,
ना जाने कौनसा नया मंजर वहाँ होगा।
जो भी होगा बहुत खूबसूरत होगा
ये यकीन हमारा भी सही होगा।
बुधवार, 12 अप्रैल 2017
कितना कुछ
तारोंभरा आसमान निहारते हुए
कितना कुछ याद आता है।
परिक्षा के बाद गर्मी की छुट्टियों में
रात छत पर सफेद चादरों वाले बिस्तर पर
बैठ कर बतियाना,
परिक्षा खत्म होने की खुशी और साथ साथ
नतीजे की प्रतीक्षा और तनाव
वह एकदूसरे को ढाढस बंधाना,
हाथों को हाथ में लेकर।
अचानक एक सिहरन, एक बिजली सी महसूस होना
मेरा हाथ छुडाकर नीचे भाग जाना
क्या यही प्यार था,
आज इतने सालों बाद यह याद कर के
हंसी भी आती है और एक बेचैनी भी होती है दिल में
क्या वह प्यार था अगर था तो थोडी सी हिम्मत दिखाने से परवान चढता?
कितना कुछ याद आता है।
परिक्षा के बाद गर्मी की छुट्टियों में
रात छत पर सफेद चादरों वाले बिस्तर पर
बैठ कर बतियाना,
परिक्षा खत्म होने की खुशी और साथ साथ
नतीजे की प्रतीक्षा और तनाव
वह एकदूसरे को ढाढस बंधाना,
हाथों को हाथ में लेकर।
अचानक एक सिहरन, एक बिजली सी महसूस होना
मेरा हाथ छुडाकर नीचे भाग जाना
क्या यही प्यार था,
आज इतने सालों बाद यह याद कर के
हंसी भी आती है और एक बेचैनी भी होती है दिल में
क्या वह प्यार था अगर था तो थोडी सी हिम्मत दिखाने से परवान चढता?
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