हर बार लगाई उम्मीद कुछ अच्छा होने की
न हुआ अब तक, अब तो कुछ हो जाये।
हरबार किया भरोसा हर शख्स के वादे पर,
अब कोई तो इन्साँ, वादा करके निभा जाये।
झूट और मक्कारी की दुनिया है बहुत देखी
अब तो दीनो-ईमान की दुनिया नजर आये।
बहुत दिन जी लिये फुटपाथ औ सडकों पर,
सर पे हमारे भी अब एक छत तो बन जाये।
रोटी कपडा मकानों के वादे सुन लिये बहुत,
दो वक्त का निवाला तो हर-एक को मिल जाये।
हमारे नौनिहाल भी इसी देश के बच्चे हैं,
उनके भी लिये पढने की व्यवस्था तो हो जाये।
चुनाव तो हो जायेंगे, नारे होंगे ठंडे,
इस देश को अब सच्ची सरकार तो मिल जाये।