हर पोर मेरा, खिलता है एक कली की तरह।
ज्यूं छिटक जाये अमावस को चांदनी गोरी,
जगमगाते हो, हमेशा ही तुम, दिवाली की
तरह।
किसी लमहे-उदास को लगे, खुशी की नजर,
मेरी उजडी सी जिंदगी, तुम गुलाली की
तरह।
हमें तुम्हारी रुसवाइयाँ भी हैं मंजूर,
जो वादा कर लो, मिलोगे फिर, सबा की तरह।
कर लेंगे इंतज़ार, हम भी कय़ामत का सनम,
जो तुम बन के खुदा बख्श दो नबीं की तरह।
गजल जैसी, प्रेम, भावना