मन उदास तो उदास मैं भी
मन रोया मैं रोई
मन जागा तो जागूं मै भी
मन सोया मैं सोई
मन खुश तो झोलीभर खुशियाँ
मैं भरकर ले आई
मन दुख गया तो फिर सुख कैसा
सुख की नही परछाई
मन उमंग से भरी पतंग सा
उडता फिरे आकाश
बिन कारण मुसकाऊं मै भी
घर में भरूं उजास
मन प्रसन्न तो फिर मै भी
खनकाऊँ चूडी पायल
मन के संग संग नाचूं गाऊँ
मन की बस मै कायल
किसने देखा है इस मनको
भेद ये किसने जाना
वैसे तो बचपन का साथी
फिर भी है अनजाना
आज का विचार
हमेशा अच्छा सोचिये, इससे आपकी प्रतिकार प्रणाली स्वस्थ रहेगी
आज का स्वास्थ्य सुझाव
हीमोग्लोबीन बढाने के लिये खजूर तथा अंजीर का सेवन भी हितकारी है ।
5 टिप्पणियां:
सवेरे सवेरे इस कविता के निमित्त केनोप्निषद याद हो आया - किसने इस मन को भेजा है? किसने प्रथम सांस दी!
बहुत सुन्दर रचना. सुन्दर विचार एवं सुझाव. आभार एवं बधाई.
सुन्दर सुकोमल मनोभाव... जो मन को न जान पाये.....
फ़िर भी तन से चाहे भाग ले कोई.. मन से भाग न पाये
सुंदर!!
मन को परिभाषित करने की एक कोशिश मैने भी की थी या यूं कहें कि मन ने कुछ शब्द दिए थे अपने आप को ढालने के लिए!!
मन चंचल है।एक जगह स्थिर नहीं रह सकता।मन को लेकर की गई आपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है।
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