बुधवार, 12 सितंबर 2007

प्रार्थना






देह दीप जले मेरा, यह प्रकाश का घेरा तेरे लिये ।
जीवन का यह सुमन चरणों में अर्पण बस तेरे ही ।
तन-मन का यह चंदन, इससे ही हो अर्चन प्रभु तेरा ।
हाथ जुडे मेरे नित, तेरे ही वंदन में प्रभु मेरे ।
यह शीश झुके सदा चरणों मे तेरे ही नित्य प्रभू ।
और तेरा आशिर्वच बने मेरा कवच इस जग में ।

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आज का विचार
मन की बात मानो ।
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आज का स्वास्थ्य सुझाव
सुबह सुबह खुली हवा में दस लंबी सांसे लो ।

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