रविवार, 27 सितंबर 2009

शुभ दशहरा


माँ, नौ दिन तक आपने सेवा का अवसर हमें दिया, आज आपके गमन का दिन है । ह्रदय आपके जाने से द्रवित है । आपके आने और रहने की खुशी को भी हम मन में समेटे हुए हैं । आशा करते हैं कि आशिर्वाद रूप में हमें आप से असीम शक्ति प्राप्त हो और शत्रू का निर्दालन करने में हम सक्षम बनें ।

आज विसर्जन दिवस
जन-ह्रदय व्यथित द्रवित
माँ इतनी खुशी देकर
जाना ही क्यूं है उचित ?
नौ दिन कैसे बीते
देह मन आनंदित
ढोल नगाडे बाजे
आरती और शुभं-गीत ।

(विडिओ देखें)


जाने के दिन पर माँ,
देकर जाना आशीष
जन-शक्ति, सैन्यशक्ति
देशभक्ति हो जागृत ।
ऐसा हो गर्जन कि
शत्रू हो आतंकित
हम रहें तैयार सदा
देश रक्षण हितार्थ ।
आप सबको दशहरे के पावन पर्व की शुभ कामनाएँ ।।

9 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आपको भी नवरात्री एवम दशहरा पर्व की शुभ्कामनाये,
ये पर्व आपके लिये मन्गल्मय हो,

mehek ने कहा…

aapko bhi vijayadashmi ki bahut shubkamnaye.

Alpana Verma ने कहा…

आशा जी ,विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!.बहुत ही सुन्दर रचना और विडियो भी.आभार.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

जाने के दिन पर माँ,
देकर जाना आशीष
जन-शक्ति, सैन्यशक्ति
देशभक्ति हो जागृत ।
ऐसा हो गर्जन कि
शत्रू हो आतंकित
हम रहें तैयार सदा
देश रक्षण हितार्थ ।

हम भी इसी बव से आपके साथ हैं........
हार्दिक आभार

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

सर्वत एम० ने कहा…

सर्वप्रथम आपको ईद, नवरात्र एवं विजयादशमी की शुभकानाएं, देर से सही किन्तु मन से. आपकी कविता ने मां की विदाई जीवंत कर दी. यू ट्यूब तो सोने पर सुहागे का काम कर गया. आपकी लेखनी जीवंत रहे, यही कामना है.

Prem Farukhabadi ने कहा…

विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!

शोभना चौरे ने कहा…

आशाजी
आपके ब्लॉग पर देर से आना हुआ |\देर से ही विजयादशमी कि बधाई
|माँ इतनी खुशी देकर|
जाना ही क्यूं है उचित ?
सचमुच माँ जब ९ दिनों तक रहती है तो मानो घर में खुशिया ही खुशियाँ रहती है और विसर्जन के बाद एक शुन्यता आ जाती है
पर फिर एक आशा जन्म लेती है माँ फिर आएगी | वीडियो अभी खुल नही रहा है |
आभार