रविवार, 10 मई 2009

माँ, तुमने

माँ, तुमने
सही मेरी कितनी ही शैतानियाँ
और अनदेखी सी कर दीं कितनी ही नादानियाँ
डाले परदे मेरी कितनी ही बदमाशियों पर
और फिर बांटीं हमेशा दु:खभरी तनहाइयां

पऱ अकेले में सदा ही दी समझ पहचान की
क्या सही है क्या गलत है, मान की अपमान की
तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता, मै तेरा ही साज़ हूँ ।

आज का विचार
जब आप कुछ पाना चाहते हैं तो सारा ध्यान उसीपर केंद्रित करें, आप अवश्य सफल होंगे ।
स्वास्थ्य सुझाव
चुकंदर को उबाल कर सलाद में खाइये ये हीमोग्लोबीन की मात्रा बढाता है ।

15 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

माँ के चरणों में नमन करता हूँ और मदर्स डे की शुभकामना .

Alpana Verma ने कहा…

'तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ । '
ati sundar!


bahut hi bhaavbhari kavita hai Asha ji.

aur chukundar khane ka labh bhi bataya.dhnywaad.

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!!

मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर लगी यह माँ पर लिखी पंक्तियाँ ..आज का विचार बहुत सही अच्छा लगा

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मन में लागी लगन
जलती रहे यादों की अगन

रक्‍तप्रवाह अगर डांवाडोल हो तो .......

Abhishek Ojha ने कहा…

'धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ ।' ये पंक्ति सबसे सुन्दर लगी.

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है ...

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है शुभकामनायें

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

सच में आदमी जो सफलत्ता पाता है उसमें मां का योगदान सर्वोपरि होता है।

Shikha .. ( शिखा... ) ने कहा…

'तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता मै तेरा ही साज हूँ ।'

Sach kaha aapne.. aur bahut khoob andaaz mein kaha... Dhero Shubhkaamnaaye..

बेनामी ने कहा…

Hridaysparshi

Vinay ने कहा…

माँ को समर्पित इस रचना ने मन मोह लिया

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

माँ, तुमने
सही मेरी कितनी ही शैतानियाँ
और अनदेखी सी कर दीं कितनी नादानियाँ
डाले परदे मेरी कितनी ही बदमाशियों पर
और फिर बांटीं हमेशा दु:खभरी तनहाइयां

मातृ दिवस पर सुन्दर अभिव्यक्ति...!!

बेनामी ने कहा…

Bahut sundar abhivyakti.Ek anurodh hai.Kripya comments par blogger ke alawa kam se kam openid ke madhyam se comment ka option bhi de dein.

Scorpion King ने कहा…

"Beautiful Poem about " MAA " kitne hi parde daale tumne meri badmaashiyon per. Sach kaha, hum aksar use hi bhool jaate hain jisne humein jeevan ka pehla kadam, pehli aawaaz, pehla shabd diya aur na jaane kitni aawazon ki bheed ko apna lete par shanti evum sukoon maa ki god mein hi milta hai"