रविवार, 18 जनवरी 2009

हमारे तीर्थ......


पिछला पूरा महीना, घूमने फिरने में गया । मुंबई, पनवेल, पुणें, भोपाल, इंदौर, उज्जैन और वापस दिल्ली । इस बार की ये यात्रा तो तीर्थ यात्रा हो गई । पुणें से गाणगापूर गये दत्त महाराज की पादुकाओं के दर्शन के लिये । वहाँ से वापस पुणें आकर वहां से दो दिन घूम कर देखें अष्ट-विनायक फिर उज्जैन में महाँकाल और इंदौर से ओंकारेश्वर । इस सारे पुण्य-कर्म का श्रेय सुहास और विजय को जाता है। वे अमेरिका से केवल इसी कार्य के लिये आये थे । और चूंकि उन्हें घुमाना था हमारे भी तीर्थ हो गये ।

हमारे तीर्थ-स्थल अब किसी भी माने में पवित्र नही रह गये हैं ।न वातावरण न पर्यावरण । सब दूषित ।
इन्सान भी । पंडित लोग इस तरह मोल भाव करते हैं कि मन उचट जाता है । इन्सानों का लालच. मंदिरों के आसपास की गंदगी, नाली स्वरूप नदियाँ, और टूटे फूटे रास्ते । इंदौर उज्जैन के रास्तों में अवश्य सुधार है ।
पर गाणगापूर रोड से गाणगापुर मंदिर तक का रास्ता ..... रास्ता है ही नही केवल गढ्ढे और वे भी बडे बडे । अष्ट विनायक मंदिरों के आसपास की स्थिति थोडी ठीक पर अभी भी करने जैसा बहुत कुछ है । 110 करोड लोगों के देस में सफाई के लिये क्यूं लोग उपलब्ध नही है । परिसर स्वच्छ क्यूं नही रह सकता । और प्रसाधन की जगहों के बारे में क्या कहूं पर कहीं कहीं 1रु. लेकर सफाई की व्यवस्था थी ।
मुझे तो लगता है कि हर भक्त को दर्शन से पहले शुल्क स्वरूप सफाई का काम करना चाहिये कि वह कम से कम मंदिर के प्रांगण में फेंकी गई 10 चीजें उठाकर कूडेदान में डाले, उदाहरणार्थ केले के छिलके, प्लास्टिक की थैलियां, बोतलें, नारियल की जटायें, फूल, पत्ते, मिठाई के टुकडे, मूंगफली के छिलके आदि । मै तैयार हूं झाडू लगाने के लिये भी । यह शायद सबसे बडा पुण्य कर्म होगा । और हमारे मंदिर भी साफ होंगे, यदि मंदिर आने वाला हर व्यक्ति यह करे और फिर एक समय ऐसा आयेगा कि कूडा कूडे दान में ही डलेगा । हर मंदिर में यह सूचना होनी चाहिये कि अगर आप सचमुच चाहते हैं कि ईश्वर आपकी प्रार्थना सुने तो मंदिर का परिसर साफ रखने में मदद कीजीये । कृपया कूडे के रूप में प्रांगण में फेंकी गई 10 वस्तूओं को उठा कर कूडे दान में डालें । इस मामले मं हमें सरदारों से सीख लेनी चाहिये जो कर सेवा करना पुण्य का काम समझते है ।

13 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

aapka anubhaw achcha laga pad ka.....kaar sewa to achchi aadat hai

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

और वापस दिल्ली ...

कहां पर हैं दिल्‍ली में
बतलाइये आशा जी से
मिलने की आस तो बंधे
मीनाक्षी जी भी दिल्‍ली
में ही हैं, आप बतलायें
तो मिल लिया जाये
अवसर क्‍यों गंवाया जाये।

इंतजार 09868166586

P.N. Subramanian ने कहा…

महीनों के बाद आप का लिखा देखा और बड़ी प्रसन्नता हुई. आपने बहुत ही अच्छी बात सुझाई है. हम तो पिक्निक स्थलों पर करते ही थे पर अब आपने मंदिरों की याद दिला दी. इस बारे में सोचा भी नही था. पता होता कि आप लोग भोपाल में हैं तो हम आप से मिल भी लेते.
http://mallar.wordpress.com

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लगा आप का भारत भरमण, एक बात जरुर लिखे आप की आप ने यह सारी यात्रा ट्रेन से की, या कार से, हम भी चाहते है दो चार बार मै पुरा भारत घुमना, ओर हम ६ सप्तहो के लिये ही भारत आ सकते है ज्यादा से ज्यादा, ओर वो भी गर्मियो मे, एक दो सप्ताह घर पर ओर फ़िर एक महीना घुमने के लिये, ओर अगर कोई टुर बगेरा हो तो उस का पता भी जरुर देवे.

बाकी आप की सब बातो से सहमत हू क्योकि मे जब हरिदुवार गया तो इन सब बातो से मेरी भी मुलाकात हुयी थी.
आप की बाकी यात्रा के लिये शुभकामनाये.

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया है. कब यू एस वापस जाना है?

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बहुत बढ़िया यात्रा विवरण . और अच्छी प्रेरक सीख . धन्यवाद.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कमाल है आप हमारे क्षेत्र से गुजरी और बताया भी नहीं...आप को खोपोली के आस पास के मंदिरों की सैर करवाते जिनको देख कर आप को बहुत अच्छा लगता...बाकि जो आपने सफाई वगैरह के लिए कहा वो एक दम सत्य है...गन्दगी और पांडे सारी धार्मिक भावना का कचरा कर दते हैं...सरदारों का वाकई इस बारे में कोई जवाब ही नहीं है...
नीरज

संगीता पुरी ने कहा…

इतने दिनों बाद आपको पढकर अच्‍छा लगा....भ्रमण के बारे में विस्‍तार से जानने की इच्‍छा रहेगी।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

बहुत अच्छा रहा तीर्थ यात्रा का विवरण -दत्त महाराज की पादुका के दर्शन करने की इच्छा हो आई -
स स्नेह
- लावण्या

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर और सुगम अनुभव

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रंजू भाटिया ने कहा…

वाह तभी इतने दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा ..बढ़िया यात्रा चल रही है आपकी ..

M. D. Ramteke ने कहा…

Yes, Your right,

Its part of our nature,

gradually we are changing, but it

may take long time.

Hemant Kumar Dubey ने कहा…

I just happened to read your blog and your view on various topics, your poems, etc. while searching for some information on the web.

Really, the first service to God while we visit the temples or any such place is to clean it. We should atleast do our part, however small it may seem. The one who works for God is really great. Lord Krishna tells in Srimad Bhagwat Gita to do all activities for God. That way, we come nearer to Him.

Jo Bhagawan ke mandir me jhadu laga kar seva karta hai uski kismat ke bure dino paar jhadu lag jati hai, uski jindagi behtar banati hai or Hari ya Bhagawan (jis kisi bhi naam se ham pukaren) uske karib aa jate hain, uski kismat ko chamka detein hain aur apna bana lete hai.

Thanks, regards, and do keep blogging.

Hemant Kumar Dubey
09958698271
www.ramcharitmanas.in