गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

दशहरा

कोई भी केवल राम नही
है सिर्फ न कोई रावण
दोनों ही हैं अपने अंदर
दोनो ही अपने तन मन

आज दशहरे के अवसर पर
और रोज ही इसके आगे
भीतर का रावण जीतें हम
चाहे वह कितना ही भागे

तभी मना पायेंगे हम
सही माने में दशहरा
और बाधेंगे अपने सिर पर
राम के जीत का सेहरा

आज का विचार
अच्छी खबर ये है कि बुरी खबर अच्छी में बदली जा सकती है ।

स्वास्थ.सुझाव

वृक्क (किडनी) की पथरी तोडने के लिये चार भिंडी काट कर एक ग्लास पानी में डाल कर रात भर
छोड दें. दूसरे दिन सुबह भिडी को उसी पानी में मसल लें और पानी छान कर खाली पेट पी लें। ऐसा १०-१५ दिन करें पथरी टूट कर निकल जायेगी ।

12 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

नमस्कार, आप ने कविता बहुत ही सुन्दर ढगं से लिखी है, बहुत अच्छी लगी....भीतर का रावण जीते हम.... क्या बात है.
धन्यवाद.
ओर आप को ओर आप के परिवार को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं

betuki@bloger.com ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता।

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Ashaji, bahu bar try kiya magar aapki post padh nahin pata hun kyonki mere laptop par khulti nahin hai, kya koi font ki problem hai. Kya guide karengi? mujhe jyada jankari nahin hai. main do mahine se hi hun blog par

डॉ .अनुराग ने कहा…

आप को ओर आप के परिवार को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

ashaji,
bahut achchi kavita likhi aapney. dashara per meine apney blig per ek lekh liha hai. aapki rai mere liye mahatvpurn hogi.

http://www.ashokvichar.blogspot.com

श्यामल सुमन ने कहा…

आशा जी,

अच्छी रचना है। साथ में स्वस्थ रहने की जानकारी भी। यानि दोहरा लाभ। बधाई।
किसी ने ठीक ही कहा है कि-

ये तुमसे किसने कह दिया कि मर गया रावण।
हमारे देश में अब भी जनाब जिन्दा है।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

सुंदर कविता स्पष्ट भाव सार्थक सुझाव . बधाई स्वीकारें
समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारे और
पढ़ें उद्धव ठाकरे के बयां मुंबई मेरे बाप की पर एक रचना

Satish Saxena ने कहा…

बहुत बढ़िया आशा जी !

BrijmohanShrivastava ने कहा…

रावण को हम जीतेंगे चाहे कितना ही भागे तथा अपने अंदर राम और रावण दौनो हैं अच्छा लगा चित्र भी सुंदर

RADHIKA ने कहा…

बहुत अच्छी और सारगर्भित कविता .

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

कबीरा पर आगमन का धन्यवाद | आप की की कविता 'जिंदगी '
अच्छी लगी , आम आदमी की रोज़मर्रा ज़िन्दगी में वोह भी महा नगरों में तो और भी जो घट रहा है ,पर बड़ी अच्छी नज़्म ,वो भी आम आदमी की भाषा में ऐसी घटनाओं के प्रति उसकी प्रतिक्रिया सहित ; लिखी है :बधाई||| चुरा कर ले जा रहा हूँ |
कबीरा कालचक्र चौपाल इन तीनों स्थानों में से किसी पर मुलाकात होगी | अभी बहू [छोटे भाई की पत्नी]से ज्ञात हुआ कल करवा चौथ है अर्थात ' लक्ष्मी दीपोत्सव ; दिवाली का पाख चल रहा है दीवाली की अग्रिम बधाई