गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

शरद की दूधिया चांदनी



शरद की दूधिया चांदनी
और उसमें नहाये से तुम
नीम की फुनगी पे चांद
और मेरे कितने पास तुम
दिल में जज्बातों की हलचल
बिलकुल अनजान उससे तुम
मेरी आँखों का सुख चैन
और सुकून भी दिल का तुम
कहूँ आज कैसे ये तुम से
कि दिल का अरमान भी तुम
तुम ही समझ लेना इसको
अब ये दिल जाने या तुम

आज का विचार
चाँद की असलीयत जान कर भी वह उतना ही खूबसूरत लगता है
जितना पहले लगता था ।

स्वास्थ्य सुझाव
शरद पूर्णिमा को चांद की रोशनी में दूध या खीर ठंडी कर के पीना
स्वास्थ्य वर्धक है । दूध को औटा कर या खीर बना कर बाहर छत पर
या बालकनी में चांद निकलने के बाद रख दें ताकि चांद की किरणें
पतीली के अंदर पडें, ३-४ घंटे कमसे कम उसे रख कर चांदनी में
ही ठंडा करें फिर आधी रात को पीयें । इसके साथ गाने की महफिल
भी जमाई जा सकती है । हमारे घर में यह किया जाता था तो मैं
भी करती हूँ । और वाकई दूध का स्वाद बढ जाता है ।

18 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

बहुत अच्छी रही आपकी कविता का स्वाद और शरद पूर्णिमा की जानकारी।

Udan Tashtari ने कहा…

जितने बढ़िया कविता, उतना ही बेहतरीन आज का विचार.

कामोद Kaamod ने कहा…

बेहतरीन कविता, उत्तम विचार
उस पर स्वास्थ्य विचार
आपका बहुत बहुत आभार

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

खीर को पारदर्शक शीशे के ढक्कन से ढक कर रखा जाए जैसा फ्रिज के सब्जीपात्र के ऊपर होता है। कविता सुंदर भाव लिए है।

seema gupta ने कहा…

नीम की फुनगी पे चांद
और मेरे कितने पास तुम
दिल में जज्बातों की हलचल
बिलकुल अनजान उससे तुम
" these words have deep penetrated in my heart, so loving"

Regards

रंजू भाटिया ने कहा…

सुंदर कविता लगी और विचार बेहद अच्छा

Aruna Kapoor ने कहा…

uttam kriti aur saath mein behtarin aajaka vichaar!...dhanyawad Ashatai!...mere naye post par aane ka nimantran hai!

डॉ .अनुराग ने कहा…

सही चांदनी बिखेरी है

RADHIKA ने कहा…

बहुत ही सुंदर कविता ,और बहुत ही अच्छा विचार

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद साथ मै स्वास्थ्य सुझाव ओर विचार के लिये फ़िर से धन्यवाद
थोडा समझा कर बताते तो अच्छ था कि शरद पूर्णिमा को चांद की रोशनी में दूध या खीर खाने से क्या लाभ होता है, ओर क्या सारी रात यह चांद की रोशनी मे रखे??या सिर्फ़ चांदनी मे जा कर ही खानी है, ठंडी कही भी करो?? जरुर बताये
आभार

जितेन्द़ भगत ने कहा…

गजल में खो सा गया। बहुत उम्‍दा रचना।

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

अछ्ची रचना है आपकी

श्यामल सुमन ने कहा…

आशा जी,

कहूँ आज कैसे ये तुम से
कि दिल का अरमान भी तुम
तुम ही समझ लेना इसको
अब ये दिल जाने या तुम

भावपूर्ण पंक्तियाँ। पढकर अच्छा लगा। कहते हैं कि-

खुशबू तेरे बदन की मेरे साथ साथ है।
कह दो जरा हवा से तन्हा नहीं हूँ मैं।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

BrijmohanShrivastava ने कहा…

शरद पूर्णिमा पर सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""

L.Goswami ने कहा…

हमारे यहाँ भी खीर रखी जाती है बाहर.
आपकी बात से सहमत हूँ की उसका स्वाद और अच्छा हो जाता है.हमारे यहाँ ताम्बे के बर्तन मे रखने की परम्परा है.

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Pahli baar aaya is blog pe. Swastya sujhav ne prabhavit kiya. Kathit aadhunik samaj mein ab in rashmon ki yaaad hi kise hai. Apni virasat ko saja karne aap mere blog par bhi aamantrit hain.

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

शरद की दूधिया चांदनी
और उसमें नहाये से तुम

तुम ही समझ लेना इसको
अब ये दिल जाने या तुम
बहुत अच्छे भाव हैं

रेवा स्मृति (Rewa) ने कहा…

नीम की फुनगी पे चांद
और मेरे कितने पास तुम

Very beautiful...Gaon ki yaad dila gayi.