बुधवार, 10 सितंबर 2008

अलास्का क्रूझ-६



सुबह हमेशा की तरह उठे और चाय नाश्ता निपटा कर तैयार हो गये । (देखें विडियो )

यहाँ जूनो के लिये
भी हमने शिप द्वारा आयेजित कोई टूर्स के टिकिट नही लिये थे । यही सोचा था कि बस या टैक्सी लेकर घूमेंगे । जैसे ही जूनो के पोर्ट पर शिप ने डॉक किया हम सब भी और सारे लोगों के साथ शिप के बाहर आ गये । अब हम एक अनुभव लेकर तैयार थे तो इनफॉर्मेशन सेंटर ढूँढ निकाला । (देखें विडियो )

वहाँ पता चला कि हम एक टैक्सी ( भाडा १ घंटे का ५५ $ ) लेकर २ घंटे में जूनो के महत्वपूर्ण स्थान देख सकते हैं । जूनो अलास्का की राजधानी है । यह माउंट जूनो और गस्टिनोउ कनाल के बीच में बसा हुआ है । जनसंख्या करीब ३०,००० । यहाँ के लोगों के जीवन यापन के साधन हैं टूरिज़म, मछली उद्योग और माइनिंग । शुरु शुरु में यहाँ नदी के पानी में सोने के नगेट्स मिल जाते थे पर बाद में वे कम हे गये तो माइनिंग से सोना निकलने लगा । और गोल्डरश भी अलास्का का तभी शुरू हुआ । जूनो में भी एक बहुत बडा ग्लेशियर है जिसका नाम है मेंडेनहाल ग्लेशियर, एक और भी है लेमन ग्लेशियर दोनों ही सडक से ही दिखाई देते है । जूनो से पहले अलास्का की राजधानी सिटका थी जो हमे कल देखना है । अलास्का में कई हजार साल तक तो ट्लिंगित इंडियन लोगों का ही राज़ रहा पर बादमें रशियाने इसपर अपना अधिकार कर लिया । १८६७ में यूनाइटेड स्टेट्स ने इसे खरीद लिया पर अमेरिकन यूनियन में इसका विलय १९४९ में जाकर हुआ । रिचर्ड हैरिस और जोसेफ जूनो नामक दो अमेरिकन प्रवासी यहाँ सोने के खोज में आये थे । यहाँ के मूल निवासियों ने ही उन्हे सोना खोजने की राह बताई । पहले कई सालों तक जूनो का नाम हैरिसबर्ग भी था जो १८३१ में बदल कर जूनो सिटी रख दिया और बाद में रहा केवल जूनो, जोसेफ जूनो के नाम पर।

हम बाहर निकल कर आये थे तो वहां हमें एकदम सामने ही एक बडी सी दूकान भी दिखी थी जिसमे से हम गिफ्ट्स खरीद सकते थे । सोचा पहले सैर हो जाये फिर करेंगे खरीदारी ।
थो हमने एक टैक्सी की, टैक्सी का नाम था ग्लेशियर टैक्सी सर्विस। टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि करीब दो घंटे में वह हमें बिअर फेक्टरी और ग्लेशियर दिखा सकता है और साथ ही बॉल्ड ईगल भी । क्रूझ शिप की तरफ से ग्लेशियर पर चलना तथा कुत्तों की गाडी की सैर भी आयोजित थी, पर कीमत थी ३५०$ प्रति व्यक्ती और हम सीनीयर सिटिझन्स कहां ग्लेशियर पर चलते वलते । तो हमारे लिये हमने यह टैक्सी वाला ऑप्शन ही ठीक समझा ।
पहले हम गये मेंडेनहाल ग्लेशियर । इसे हम बहुत ही पास से देख पाये । इस के पास ही एक जल-प्रपात भी था जिसका पानी नीचे आकर एक तालाब का रूप ले रहा था और इस तालाब के ऊपरकी तरफ था ग्लेशियर वैसा ही मोटे बर्फ की शिलाखंड सा बहुत से लेयर्स वाला । और वैसे ही नीले सफेद थोडे से हरे और मटमैले रंगों के परतों वाला । (देखें विडियो )

और बहुत ही पास से हम इसे देख रहे थे, लग रहा था कि थोडी कोशिश से हम इस पर चढ भी सकते हैं । बहुत देर तक इस ग्लेशियर को देखते रहे , ढेर सारी तसवीरें लीं ऐसा नजारा एक बार अलास्का छोडने पर कहाँ मिलने वाला था । वहाँ आसपास घूमते रहे, फिर हमने वहाँ एक पॉरक्यूपाइन भी देखा और कोशिश की उसके फोटो ले सकें ।
बहाँ से फिर हम गये बीअर फैक्टरी- नाम था अलास्कन ब्रूअरी । वहाँ जाते ही हमारा स्वागत फ्रेश बीअर से से हुआ और फिर हमें डिस्टिलरी दिखाई गई । और एक बडा ही रोचक लेक्चर सुनने को मिला । लेक्चर देने वाला बडा ही मजाकिया किस्म का आदमी था ।(देखें विडियो )

फिर ब़ॉल्ड ईगल देखने गये । असल में यह ईगल कोई गंजा वंजा नही होता, क्यूंकि इसका सर सफेद होता हैं इसी कारण दूर से यह गंजा लगता है । इनकी खूब सारी तस्वीरें लीं । वापिस इनफॉर्मेसन सेंटर पर आये तो वहाँ रशियन डांसर्स का ट्रूप आया हुआ था उनके साथ फोटो खिंचवाये ।(देखें विडियो )

य़ह सब करते करते भूख लग आई थी और अभी तो शॉपिंग भी करनी थी । तो उसी टैक्सी से वापिस आये पोर्ट पर और शॉप में जाकर बेटों, बहुओं और पोतियों के लिये थोडे बहुत गिफ्ट आयटम्स लिये और वापस अपने अड्डे पर । लंच किया ।
खरीदारी को दुबारा देख कर एप्रिशिएट किया । शाम को फॉर्मल डिनर में हमें मिला भारतीय खाना । मसाले वाली आलूगोभी, बैंगन का भर्ता और दाल, साथ में पराठे । गोवानीज़ वेटर ने(देखें विडियो )

सचमुच ही अपना वादा निभाया था । खूब एन्जॉय किया और स्वीट डिश के रूप में पेश की गई खीर । खाने के बाद देखा रंगारंग कार्यक्रम और फिर वापिस अपने अड्डे पर । कल हमे देखना था सिटका । अलास्का की पुरानी राजधानी
तो दूसरे दिन सुबह सुबह तैयार होकर निकल पडे सिटका देखने । यह हमारा आखरी पडाव था इसके बाद तो एक दिन सफर और फिर वापिस वेनकुअर । सिटका भी केचिकन तथा जूनो की तरह बहुत खूबसूरत है । पहाडी घुमावदार रास्ते बर्फ से ढके पहाड और सुंदर सुंदर छोटे छोटे घर । सिटका जाने के लिये हमे हमारे शिप से हमें एक छोटी बोट में बैठना पडा जो हमे सिटका ले गई ।
सिटका का नाम यहां के मूल निवासियों की भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है द्वीप के बाहर बसे लोग । यह पहले रशियन अख्तियार में था इसीसे यहाँ रशियन तथा मूल अमेरिकन निवासियों की मिलीजुली संस्क़ृति दिखती है । शुरु में यहां की आमदनी भी सोने की माइनिंग तथा मछली उद्योग से ही होती थी । यहां की जनसंख्या है केवल ८००० और इनमे करीब १८% यहां के मूल निवासी हैं ।(देखें विडियो )

सिटका में हमने फिर टैक्सी ली टैक्सी चालक एक लडकी थी नीना उसकी टैक्सी पर भी नीनाज टैक्सी लिखा हुआ था । उसने कहा कि वह हमें पहले ग्रिजली बेअर दिखाने ले जायेगी और बाद में यहाँ की चॉकलेट फेक्टरी । बाकी चीजों के लिये तो आपको हेलीकॉप्टर या बोट राइड लेनी होगी । हम ने व्हेल वॉचिंग पहले केपकॉड में भी की थी तो सोचा चलो ठीक है ।

तो पहले गये हम भालू देखने । वहां के प्रवेश द्वार पर ही एक तालाब मे खूब सारी बत्तखें थीं
हमें देखते ही खाना मांगने लगीं । हमारे पास तो कुछ था भी नही उन्हें देने के लिये पर वहां के जेनीटर ने बताया कि आज इनका ब्रेकफास्ट लाने वाला आदमी लेट हो गया है इसीसे इतना चिल्ला रहीं हैं । वैसे भी इन्हें आप कुछ खाने को नही दे सकते । बाद में भालू भी देखे बडे बडे पर थोडे सुस्त से थे ।(देखें विडियो )

थोडी देर वहां रुक कर फिर चॉकलेट फेक्टरी गये । जातेही हमें सेंपल के तौर पर एक एक चॉकलेट मिली । बाद मे फेक्टरी भी देखी और चॉकलेट भी खरीदे । छोटी सी फेक्टरी थी इसे देख कर सालों पहले ग्वालीयर में देखी जे बी मंघाराम की बिस्किट फेक्टरी की याद आ गई । (देखें विडियो )

टैक्सी से वापस अपने ठिकाने आगये जहाँ से हमें बोट में बैठ कर शिप तक पहुंचना था ।
इस बार हम खाना खाकर विजय के साथ कसीनो भी गये पर किसी को भी खेलना आता नही था । विजय से ही सीख कर थोडी देर खेले, जब एक डॉलर खत्म हो गया तो वापिस रूम पर आ गये । डेक पर गये एक केबल कार ऊपर जा रही थी उसकी तस्वीरें खींचीं ।
कल सारा दिन शिप पर ही रहना था और फिर परसों सुबह वापिस वैनकुअर । हमने तय किया कि कल भी हम सारा शिप एक बार फिर से घूम कर देखेंगे कुछ चीजें खरीदेंगे अगर ठीक लगीं तो और क्रूझ का भरपूर मजा लेंगे क्यूं कि कल के बाद तो इस शिप को, इस वीआयपी ट्रीटमेन्ट को अलविदा कहना है । और हाँ अपना सोने का नेशनल प्रोग्राम वह भी करना ही है ।
और सब कुछ ठीक वैसा ही किया । पर हमें और भी बहुत से काम करने थे मसलन सारे वेटर्स और अटेन्डन्टस को शिप के नियमानुसार टिप देनी थी । इन लोगों की तनखा तो बहुत कम होती है टिप्स पर ही सारा दारो-मदार रहता है । इसलिये शिप का मेनेजमेंट आपको इस संबंध में गाइड करता है । तो हमने वे फॉर्मस भरे और उनके सर्विसेस के लिये उन्हे नवाजा भी । वाकई बहुत अच्छी सर्विस दी सबने हमारे अटेंडेन्ट Clemence तो पता नही कितनी बार हमारा कमरा ठीक करता रहता था । जब भी हम बाहर से आते कमरा और बाथरूम हमेशा चकाचक मिलते । (देखें विडियो )

रोज ताजे फूल और फल लाकर रखता और केन्डीज़ भी । उसी तरह हमारे फॉर्मल डाइनिंग रूम का गोवानीज़ वेटर Marvin, हमारे लिये आउट ऑफ वे जाकर पसंद का खाना पेश करता । वह रहने वाला भी ठाणे का था जहाँ हमारे देवर देवरानी का घर है तो थोडा भावनात्मक जुडाव भी हो गया था । और हाँ जनरल डाइनिंग के स्टर फ्राय बनाने वाले बंगाली बाबू पॉल जी को कैसे भूल सकते हैं हमे देखते ही बढिया सी स्टर फ्राय पेश करते थे । और हाँ हमें बैग्स भी तो पैक करनी थी ।

(क्रमश:)

9 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

सुंदर जानकरी ..साथ साथ घूमा लिया आपने हमें भी ..शुर्किया

जितेन्द़ भगत ने कहा…

मजेदार सफर, जारी रखें। धन्‍यवाद।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बहुत रोचक लगा जी।
आपने मंघाराम की बेकरी का नाम लिया तो मुझे अपनी एक पोस्ट याद हो आयी!

डॉ .अनुराग ने कहा…

मजेदार सफर........

mamta ने कहा…

वाह खूब मजा आ रहा है आपके साथ घूमते हुए।

कोई goan डिश खाई या नही ?

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

apne yatra ki badhiya rochak janakari di hai. padhakar achcha laga. bahut badhiya. dhanyawad.

शोभा ने कहा…

वाह! आपने तो पुरी यात्रा ही करवा दी. बहुत खूब. बधाई.

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ी मजेदार सैर करा रही हैं आप. जारी रहिये.

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मेनका ने कहा…

safar enjoy kijiye :)