रविवार, 7 सितंबर 2008

अलास्का क्रूझ-५



सुबह सुबह सब लोग जल्दी उठे । उतरने से पहले नहाना तथा ब्रेक फास्ट करना था । तो जल्दी से तैयार हुए नाश्ता किया और १३ वे डेक पर आकर खडे हो गये ।(देखें विडियो )

शिप की चाल अब धीमी हो गई थी और बस अब आने ही वाला है केचिकन ऐसा लगते लगते पूरा एक घंटा बीत गया तब जाकर केचिकन की कोस्ट लाइन दिखना शुरू हुई ।(देखें विडियो )

इसके करीब आधे घंटे बाद हमारा शिप डॉक हुआ । और हम अपने अपने आय कार्ड और मनी बैग लेकर क्यू में लग गये ताकि उतर सकें । केचिकन के लिये हमने कोई शिप के द्वारा आयोजित टूर के टिकिट नही लिये थे क्यूं कि वे थे मोटर बोट से वॉ’टर वर्ल्ड की सैर , या प्रायोजित टूर । हमने तय किया कि हम उतर कर टैक्सी लेंगे और सारा केचिकन घूम आयेंगे । तो उतरे बाहर निकलते हुए हम में से हर एक को कुछ कूपन मिले वे हमने एकदम सम्हाल कर रख लिये । उतरने के बाद पता चला यहाँ टैक्सी नही है टूरिस्ट बसें हैं और घोडे की बग्घी है । पर दोनो ही बहुत महंगी थीं ३०$ से ४० $ प्रतिव्यक्ती । थोडे और आगे बढने पर हमें टूरिस्ट इनफॉर्मेशन सेंटर दिखा । वहाँ पता चला कि हम १ $ प्रति व्यक्ती देकर एक घंटे तक सारा केचिकन घूम सकते हैं । यह हमें एकदम पसंद आ गया और हम बस स्टेंड पर आकर खडे होगये । पता चला कि बस आने में अभी २० मिनिट हैं उतने में हमें वह दूकान दिख गई जो हमें कूपन के ऐवज़ में फ्री ब्रेसलेट देने वाली थी । और थी भी बिल्कुल ५ मिनिट के रस्ते पर तो मैं और जयश्री दोनो फटाफट जाकर वो ब्रेसलेट ले आये । किसी काम का नही था पर रख लिया कि पोतियों के लिये खेल ही सही । अब तक थोडी थोडी बारिश भी शुरू हो गई थी । वापिस स्टॉप पर आये तब तक बस का भी समय हो चला था और थोडी ही देर में वह आ भी गई । और हम सब बस मे आराम से बैठ गये । बस चली और हमे ड्राइवर बताता जा रहा था कि कौन जगह क्या है ।(देखें विडियो )

सुंदर सा शहर है केचिकन ।. पहाडी घुमाव दार रास्ते । बर्फ से ढके पहाड और नदी झरने और नेटिव अमेरिकन संस्कृति को दर्शाते हुए टोटम पोल । और ढेर सारी हरियाली तथा सुंदर सुंदर फूल ।बीच में एक जगह पानी के पास से बस जा रही थी तो पता चला कि यहाँ नदी में सोना भी मिलता है ।
तो केचिकन तो देख लिया बस में बैठे बैठे । शिप के पास ही आखरी स्टाप था तो उतर कर
वापिस शिप पर । जल्दी जल्दी लंच के लिये गये और बढिया सा खाना खाया तरह तरह के आईसक्रीम और कुकीज भी थीं तो सोचा क्यूं न डिझर्ट भी हो जाये । विजय को आइसक्रीम का बडा शौक था । तो वे तो रोज ही तरह तरह की आइसक्रीम ट्राय करते थे ।
और क्यूंकि केचिकन देख कर थक गये थे तो दोपहर में सोने का कार्यक्रम बना था । शाम को चाय के बाद थोडा डेक पर चले । इतने मे डिनर टाइम हो गया । हमारी जिंदगी जैसे थोडी थोडी खाने के बीच बीच में ही चल रही थी । हम डिनर के लिये जा रहे थे कि हमारी एक सहयात्री ने कहा,” अरे इतनी भूक लग रही है, पिछले १५ मिनटों से मैने कुछ भी नही खाया है”। कहा तो गया था ये मजाक में, पर सचाई इससे बहुत अलग नही थी । पर फॉर्मल डिनर का हमें फायदा ही हुआ कि हम थोडा, कम से कम डिनर पर, ओवर-ईटिंग से
बच गये ।
हमारे गोवानीज़ वेटर ने जब देखा कि हम देसी लोगों को रोज़ रोज के इस साहबी खाने में कुछ मजा नही आ रहा तो उसने कहा कि वह अपने हेड-वेटर से बात करके हमारी पसंद का
खाना बनवाने की कोशिश करेगा । पर खाना अच्छा ही था सिर्फ वेज़ लोगों के लिये वेरायटी थोडी कम हो जाती थी ।
उस दिन डिनर के बाद मूवी दिखाने वाले थे, कसीनो रॉयल । तो सबने मूवी देखी जो १० बजे खत्म हुई । कमरे में आकर हमनें अब तक की अपनी की हुई सारी शूटिंग देखी और सो गये । कल हमें देखना था हबर्ड ग्लेशीयर । इसके लिये हमें कहीं उतर कर नही जाना था । शिप में बैठे बैठे ही देकना था इसे ।(देखें विडियो)

ग्लेशियर होता क्या है इसके बारे में जानकारी देने के लिये सुबह एक लेक्चर भी अरेंज किया था शिप पर ।
ग्लेशियर एक बडी सी खूब धीरे बहने वाली बर्फ की नदी होती है जो बर्फ के सतह पर सतह जमा होने से बनती है यह ग्लेशियर अक्सर वातावरण के दाब से प्रभावित होता रहता है । जिससे बर्फ के बडे बडे शिला खंड या छोटे छोटे टुकडे टूट कर गिरते रहते हैं ।ठूटते समय इनमें से कभी धीमी तो कभी तेज विस्फोट की तरह आवाजें निकलती रहती हैं । इन शिलाखंडों को आइसबर्ग कहते हैं । आइस बर्ग का केवल दसवां हिस्सा ही पानी के ऊपर तैरता है ऐसा समुद्र के पानी और शुध्दबर्फ के घनत्व में फर्क के कारण होता है ।(देखें विडियो )

दूसरे दिन सुबह देखा कि शिप बिलकुल पतली सी पानी की लेन में से जा रहा है । इसको इन वॉटर्स कहते हैं । समुद्र तो लग ही नही रहा था । पर हम बालकनी छोडकर गये ही नही कहीं, ब्रेकफास्ट और लंच पर भी खिडकी के पास ही जगह ढूढ ली । धीरे धीरे पतली गली छोडकर शिप थोडे चौडे पानी में आगया और पानी में बर्फ के छोटे छोटे टुकडे दिखाई देने लगे ।
धीरे धीरे इन टुकडों की संख्या और आकार बढने लगे । शिप मे से तो यह ऐसा लग रहा था जैसे अस्पताल का कचरा समुद्र में फेंक दिया हो । पर हमारा शिप बहुत सम्हाल सम्हाल कर धीरे धीरे चल रहा था ताकि किसी बर्फ की शिला से टकरा ना जाये ।(देखें विडियो )

और थोडी ही देर में जिसका सुबह से इन्तजार था वह हबर्ड ग्लेशियर दिखाई देने लगा । एक लंबी चौडी बर्फ की शिला की तरह ही दिख रहा था वह जिसका ओर छोर दिखाई नही दे रहा था । कितनी तो इसकी सतहें थीं, और कितने तो रंग दिख रहे थे इन बर्फ के सतहों में नीले रंग का बर्फ जो सबसे पुरानी पर्त को दर्शा रहा था ( ग्लेशियर की यह सतह करीब ४०० साल पुरानी है )।, और सफेद रंग का बर्फ सबसे नवीन पर्त को । बीच बीच में हरे और मटमैले रंग भी थे जो बर्फ में अटके हुए वानस्पतिक अवशेषों को दर्शा रहे थे ।(देखें विडियो )

हबर्ड ग्लेशियर एक टाइडल वॉटर ग्लेशियर है जो करीब १२२ किलोमीटर लंबा है । इसका मूल स्त्रोत समुद्री सतह से ११,००० फीट ऊँचा है । यह ग्लेशियर अभी भी बढता जा रहा है ।
जब कि दूसरे ग्लेशियर कम होते चले जाते हैं ।
जीवन में पहली बार ग्लेशियर को देखा । हमारा शिप करीब आधा मील दूरी पर था । शिप भी चारों तरफ से घूम घूम कर ग्लेशियर दिखा रहा था तोकि कोई भी देखने से वंचित ना रह जाये । हम भी भाग भाग कर सब तरफ से व्यू देख रहे थे और तसवीरें खींच रहे थे ।(देखें विडियो )

हम में से हर एक ने बहुत सारी तसवीरे खींचीं और ग्लेशियर के बैकग्राउंड में अपनी अपनी खिंचवाईं भी । काफी देर तक करीब डेढ घंटा वहां रुकने के बाद शिप धीरे धीरे चल पडा । बाकी सारा दिन कैसे बीता पता ही नही चला ।
शाम को डिनर और उसके बाद का एन्टरटेनमेंट तो अच्छा था ही हमारा सबका ग्लेशियर को लेकर बातों का सेशन भी बढिया रहा । कल देखना था जूनो या जुनोऊ, अलास्का की राजधानी उसी की खुशी में रात बीत गई ।
(क्रमश:)

8 टिप्‍पणियां:

जितेन्द़ भगत ने कहा…

aapney ग्‍लैशि‍यर देखा, so lucky,
continue.....

रंजू भाटिया ने कहा…

रोचक लगी यह यात्रा आपके लफ्जों और चित्रों के संग

डॉ .अनुराग ने कहा…

rochak vivraan ,bahut khoob....jaari rakhe....

mamta ने कहा…

वीडियो के साथ यात्रा विवरण और भी रोचक लग रहा है। अगली कड़ी का इंतजार है।

और भालू का कूद-कूद कर मछली पकड़ना । :)

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

बड़ा ही रोचक लगा विवरण. धन्यवाद!

मेनका ने कहा…

nice trip :)...enjoy the moments.

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

bahut hi rochak vivran. dhanyawad.

बेनामी ने कहा…

Aasha Ji,
Aapke sansmarn likhne ka jawab nahi. Padte hue aisa lag raha tha mano hum bhi aapke group me.n shamil hai.n.
Jankariyo.n se bhari rochak sansmarn ke liye badhi evm dhanyavad.