Samay ki dhara bahati hai
Nirantar abadhit.
Main to usability ek choosing boond
Jo ho jayegi jalashay men samarpit.
Ya dhara me awashoshit.
Nahi janati kya hai niyati
Par achcha lagata hai
Samay ki dhara men is boond Roop me
Nirantar behana.
बूँद समय की धारा बहती है, निरंतर अबाधितमैं तो उसकी एक छोटी सी बूँद,जो हो जायेगी इस जलाशय में समर्पित।नहीं जानती, क्या है नियतीपर अच्छा लगता है,समय की धारा में यूँ बूँद रूप में बहना।
ये कविता पता नहीं क्यों रोमन फॉन्ट में ही प्रकाशित करनी पड़ी।अब टिप्पणी तो देवनागरी में कर सकती हूँ तो उसी को टिप्पणी रूप मेंप्रकाशित किया है ।
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2 टिप्पणियां:
बूँद
समय की धारा बहती है, निरंतर अबाधित
मैं तो उसकी एक छोटी सी बूँद,
जो हो जायेगी इस जलाशय में समर्पित।
नहीं जानती, क्या है नियती
पर अच्छा लगता है,
समय की धारा में यूँ
बूँद रूप में बहना।
ये कविता पता नहीं क्यों रोमन फॉन्ट में ही प्रकाशित करनी पड़ी।
अब टिप्पणी तो देवनागरी में कर सकती हूँ तो उसी को टिप्पणी रूप में
प्रकाशित किया है ।
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