ये जगमगाता चांदनी का दरिया 
और उसमें दमकता सा तुम्हारा चेहेरा
ये अनोखी सी मदभरी ठंडक 
अपनी नजदीकियों की ये गरमाहट ।
ये शरद की लुभावनी सी ऋतु
ये फिज़ा भी महकती महकाती
ये चारों और बिखरी सुंदरता
चांदनी में कुछ और ही चमचमाती 
।
जुबाँ खामोश, आँख बात करती सी
उंगलियां हाथों में थरथरातीं सी
ये हलकी सी होंटों की जुंबिश 
जुल्फों की छांव घने बादल सी ।
ये प्यारे पल हमारे प्रेम-पगे
इनको हमेशा जहन में रख्खेंगे
फिर चाहे आये अंधेरी अमावस कोई
रोशनी से उसको भी नहला देंगे ।

