वेदना संवेदना है
क्रोध है और कामना है
मोह है और भावना है
मद है कुछ अवमानना है
प्रेम है सद्भावना है
इनके चलते मै सिरफ
इन्सान हूँ यह मानना है ।
हाथ मेरे कर्मरत है
चल रहा जीवन का रथ ये
जो नियत है मेरा पथ है
है नरम या फिर सखत है
मन कभी रत और विरत है
इनके चलते मै फकत
बस हूँ इक लम्हा ए वकत ।
खुशियां भी हैं और गम भी
आंख य़े होती है नम भी
ताल, सुर हैं और सम भी
धूप और बारिश की छम भी
कभी ज्यादा कभी कम भी
इनके चलते मैं छहों ऋतुएं हूँ
हूँ ना एक कम भी ।
सब को खुशियां बांट दूं मै
पीर सबकी हर सकूँ मै
हार हूँ या जीत हूँ मै
इस जहां की रीत हूँ मै
मौन हूँ और गीत हूँ मै
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर ।
चित्र गूगल से साभार
25 टिप्पणियां:
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर ।
बहुत सुंदर प्रार्थना प्रभु से ...
सुंदर भाव ...सुंदर अभिव्यक्ति ....
बढिया कविता
उत्कृष्ट रचना ....
गुण अवगुण की खान तन, मन संवेदनशील ।
इसीलिए इंसान हूँ , दीदी मस्त दलील ।।
खुशियां भी हैं और गम भी
आंख य़े होती है नम भी
ताल, सुर हैं और सम भी
धूप और बारिश की छम भी.....kya sunder shabd sanyojan hai.....
यही ख्याल उत्कृष्ट है ...
सार्थकता लिए सशक्त लेखन
बहुत सुन्दर....
इस जहां की रीत हूँ मै
मौन हूँ और गीत हूँ मै
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर,,,,
सुंदर भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST : गीत,
आज 28- 09 12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
.... आज की वार्ता में ... व्यस्तता नहीं , अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है .... ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
सब को खुशियां बांट दूं मै
पीर सबकी हर सकूँ मै
हार हूँ या जीत हूँ मै
इस जहां की रीत हूँ मै
मौन हूँ और गीत हूँ मै
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर ।
बहुत प्रवाह युक्त रचना ... बेहतर बनने की ललक जगाती हुई ॥
हर दिन थोड़ा बेहतर..
सुन्दर भावनाएं व्यक्त करती
बहुत सुन्दर , उत्कृष्ट रचना...
:-)
इस कविता में शब्द मानो नृत्य कर रहे हैं।
अभिलाषा
गहन और भावपूर्ण विचारों से परिपूर्ण रचना बहुत अच्छी है |
आशा
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर...हमारा कम्पटीशन खुद से ही है...किसी और से नहीं...
सुन्दर,प्रेरक और अनमोल प्रस्तुति है आपकी.
सरल सरल शब्दों में गहन गहन बातें बतलाती.
हार्दिक आभार,आशा जी.
बेहतर से भी बेहतर यानि बेहतरीन , आज आपके सभी ब्लाग्स देखे
धन्यवाद
बहुत उम्दा!!
हर वक़्त पहले से बेहतर होते ही जाना है...
मन कभी रत और विरत है इनके चलते मै फकत बस हूँ इक लम्हा ए वकत !
वाह!वाह! बहुत खूब.
अच्छी लगी कविता .
सब को खुशियां बांट दूं मै
पीर सबकी हर सकूँ मै
हार हूँ या जीत हूँ मै
इस जहां की रीत हूँ मै
मौन हूँ और गीत हूँ मै
हर जनम में हो सकूं मैं
पहले से कुछ अधिक बेहतर ।यही कामना है इस दिल की भी ..बहुत बढ़िया लिखा है आपने
प्रेरणादायक सुन्दर अभिव्यक्ति. आपको नमन है.
आपकी हर कृति में सुन्दर दर्शन होता है.
सुन्दर भाव,अनुपम अभिव्यक्ति.
आभार,आशा जी.
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