फैले संध्या रंग क्षितिज पर
सिंदूरी, गुलाबी गहरे
इन रंगों का साथ क्षणों का
छायेंगे धीरे धीरे अंधेरे
ऊदी और सलेटी बादल
परदे से, ढक लेंगे नज़ारे
सांवली रजनी के चुनरी में
टंक जायेंगे झिल मिल तारे
दिन की चहल पहल कोलाहल
शाम की वो रंगीन फिज़ाये
झट से रीत बीत जायेंगी
गहन रात के वारे न्यारे
अजीब सी सिहरन लगती है
देह सिमटने सी लगती है
आशंकाओं की परछाई
दीवारों पर घिर आती हैं
ह्रदय उछल कर मुंह को आता
हाथ पांव नम हो जाते हैं
अज्ञात हवाओं के झोकों से
बर्फीली ठंडक आती है ।
इन सब में चुपचाप खडी मैं
दीवार से सहारा लेकर
छत गिरने के इंतजार में
निश्चल, विवश और भय कातर ।
इतने में इक किरण कहीं से
पडती है मेरी आँखों पर
कहती है, मै हूँ ना मन में,
फिर तुमको बोलो किसका डर ।
इसी रोशनी को मन में रख
जीवन में आगे जाना है
और अंत में भी हम सब को
इसी उजाले में जाना है ।
17 टिप्पणियां:
आँखों से बहता विश्वास..
एक हसीन सुबह कर रही होगी इंतजार
क्यों चिंता के कोहरे में ढकी, आशा प्रभात ?
बहुत सार्थक चिंतन है ताई ...
prernadayee.....
इसी रोशनी को मन में रख
जीवन में आगे जाना है
और अंत में भी हम सब को
इसी उजाले में जाना है ..
सच है ... रौशनी रहे जीवन के आस पार तो अन्तः रोशन हो जाता है जीवन ...
इन सब में चुपचाप खडी मैं
दीवार से सहारा लेकर
छत गिरने के इंतजार में
निश्चल, विवश और भय कातर ।
इतने में इक किरण कहीं से
पडती है मेरी आँखों पर
कहती है, मै हूँ ना मन में,
फिर तुमको बोलो किसका डर ।
इसी रोशनी को मन में रख
जीवन में आगे जाना है
और अंत में भी हम सब को
इसी उजाले में जाना है । .... प्रेरणा देते भाव
Andhere to bade tezeese chha rahe hain!
बहुत बेहतरीन और प्रेरणादायी
रचना...
:-)
अहसास और विस्वास से भरी प्रेरक प्रस्तुति,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
इसी रोशनी को मन में रख
जीवन में आगे जाना है
और अंत में भी हम सब को
इसी उजाले में जाना है ।
जीवन को प्रेरित करने वाली सुंदर रचना
छोटी सी बूँद भी आशा की बड़ी बड़ी सीख दे जाती है !
बहुत खूबसूरत पंक्तियां :
किरण एक होती है काफी
बेड़ा हो जाता है पार
अगर समझ में है आ जाती !
सुन्दर !
wonderful creation..
इतने में इक किरण कहीं से
पडती है मेरी आँखों पर
कहती है, मै हूँ ना मन में,
फिर तुमको बोलो किसका डर ....
मन के हारे हार है मन के जीते जीत को चरितार्थ करती पंक्तियाँ .....!!
इसी रोशनी को मन में रख
जीवन में आगे जाना है
और अंत में भी हम सब को
इसी उजाले में जाना है ।
प्रेरणा देती हुई सुंदर कविता।
इतने में इक किरण कहीं से
पडती है मेरी आँखों पर
कहती है, मै हूँ ना मन में,
फिर तुमको बोलो किसका डर ।
बहुत सुन्दर भावमय प्रेरक प्रस्तुति.
शब्दों और भावों का अनूठा चित्रण
निराशा को दूर कर,आशा का संचार करती
प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार,आशा जी.
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