सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

आज मै तुमसे मिलूंगी



आज मै तुमसे मिलूंगी प्यार की ऊंचाइयों पर
भावों की नापूंगी मै गहराइयां
और छू लूंगी वे सारे रंग छाये आसमां पर ।

झरने जैसी बहती मेरे हंसी की वह खिलखिलाहट
मेरे होने की अजब परछाइयाँ
बांध लूंगी मै तुम्हे फिर आज बाहों के बिना पर ।

रात से गहरे हैं मेरे बादलों से उडते गेसू
इनमें ही बसती हैं कुछ पुरवाइयां
खुशबूओं से तर हुआ है आज मेरा मन, मनेतर ।

सुबह की लाली है छायी आज मेरी भंगिमा मे
रोशनी की मन में कुछ शहनाइयाँ
आज छेडूंगी अनोखी रागिनी के, मै, मधुर स्वर ।

ये उजासों के खजाने, करेंगे संपन्न हमको
हम मिटा देंगे, जो थीं तनहाइयां
और फिर उडने लगेंगे पंछी अपने आसमाँ पर ।

26 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

प्रेम के सभी रंग, आपकी कविता के संग.

vandana gupta ने कहा…

प्रेमरस मे भीगी सुन्दर प्रस्तुति।

विभूति" ने कहा…

बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

Vaanbhatt ने कहा…

आज मै तुमसे मिलूंगी प्यार की ऊंचाइयों पर...प्रेम का विहंगम चित्रण...

Suman ने कहा…

ये उजासों के खजाने, करेंगे संपन्न हमको
हम मिटा देंगे, जो थीं तनहाइयां
और फिर उडने लगेंगे पंछी अपने आसमाँ पर ।
sundar bhav bhari rachna ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेमपगी सुंदर रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम का यही ऊर्ध्वगामी स्वरूप भाता है...हल्कापन...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

भावपूर्ण ...प्रेमपगे भाव.....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ये उजासों के खजाने, करेंगे संपन्न हमको
हम मिटा देंगे, जो थीं तनहाइयां
और फिर उडने लगेंगे पंछी अपने आसमाँ पर...

प्रेम के सभी रंग, आपकी कविता के संग...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आशा का पैगाम लिए ... प्रेम के रंगों में डूबी लाजवाब रचना ...

Rakesh Kumar ने कहा…

अनुपम आशा की उड़ान.
आपकी सुन्दर प्रस्तुति पढकर
मन प्रसन्न हो गया है.
आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईएगा,आशा जी.

vidya ने कहा…

सुन्दर..
भावभीनी रचना...
सादर.

kshama ने कहा…

सुबह की लाली है छायी आज मेरी भंगिमा मे
रोशनी की मन में कुछ शहनाइयाँ
आज छेडूंगी अनोखी रागिनी के, मै, मधुर स्वर ।

ये उजासों के खजाने, करेंगे संपन्न हमको
हम मिटा देंगे, जो थीं तनहाइयां
और फिर उडने लगेंगे पंछी अपने आसमाँ पर ।
Bahut,bahut sundar!

कुमार राधारमण ने कहा…

प्रेमिल मन प्रेम को अपने में समेट लेना चाहता है। कुछ और की उसे दरकार भी नहीं।

mridula pradhan ने कहा…

meethi.....chashni men doobi hui....

Padm Singh ने कहा…

कविता के समान इसका शीर्षक भी मोहक और स्वप्निल है... बहुत सुंदर

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

सुबह की लाली है छायी आज मेरी भंगिमा मे
रोशनी की मन में कुछ शहनाइयाँ
आज छेडूंगी अनोखी रागिनी के, मै, मधुर स्वर ।

आदरणीया आशा जी अभिवादन ..सुन्दर रचना भाव प्रणय काश ऐसा ही रंग बिखरे प्रेम में तो आनंद और आये ..
गहन अभिव्यक्ति..
भ्रमर ५

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रणय गीत!...मन झुम उठा!

virendra sharma ने कहा…

झरने जैसी बहती मेरे हंसी की वह खिलखिलाहट
मेरे होने की अजब परछाइयाँ
बांध लूंगी मै तुम्हे फिर आज बाहों के बिना पर ।
प्यार का इतना विराट उदात्त स्वरूप वाह क्या बात है शब्द सौन्दर्य देखते ही बनता भाव नृत्य करता है .

Vaishnavi ने कहा…

prem ka utkarsh swaroop,anginit raag or rango se bhara hai e prem,ati sundar rachna.

प्रेम सरोवर ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

P.N. Subramanian ने कहा…

सुन्दर सार युक्त रचना. आभार.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मिलन का अदभुत रंग

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

प्रेमरस में पगी हुई एक-एक पंक्ति।

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..की-बोर्ड वाली औरतें।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

अति उत्तम,सराहनीय प्रेमरस में भीगी प्रस्तुति,सुंदर रचना.....

NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...

avanti singh ने कहा…

waah! prem ras se sraabor pyaari rachna likhi aap ne