शनिवार, 17 जुलाई 2010

बार्सीलोना -2





बार्सीलोना -2
हमारा अगला पडाव था पार्क जो फिर एन्तोनियो गाउदी साहब ने ही डिझाइन किया था । इसका नाम है ग्युएल पार्क । इसको वर्ल्ड हेरिटेज पार्क घोषित किया गया है । इस पार्क का मुख्य प्रवेश द्वार सीढियों से होकर एक सौ खंबों वाले बरामदे में ले जाता है । और बहुत सुंदर सुंदर  भित्ती चित्र है जो पॉटरी के टुकडों से बनाये गये है । गाउदी साहब की कल्पना यहां बेलगाम दौडी है । हमने सबसे ऊपर जाकर बार्सीलोना शहर का दृष्यावलोकन किया और वहां के सुन्दर शिल्प भी देखे ।वहीं पर कुछ संगीतकारों का ऑर्केस्ट्रॉ भी सुना आप भी लें इसका आनंद । पार्क की सैर कर के हम बहुत थक गये थे पर घर जाने से पहले थोडा दूध, ब्रेड, फल, सब्जी वगैरा लेनी थी तो ग्रोसरी स्टोर का स्टॉप लिया, घर गये खाना बनाया और खाया यहां हम ज्यादा तर चावल, दाल, सब्जी, सलाद, और थोडी ब्रेड ऐसा ही खाना खाते थे क्यूंकि आटा तो मिलता नही था और किसी मे भी घूमने के बाद रोटियां सेंकने की ताकद नही थी । पर एनातोली कहां हमे छोडने वाले थे, उन्होने तो दिल्ली मे हमारा खाना देखा था तो पूछ ही लिया ,”You don’t  make  rotees in US ? हमने कहा, ” we do, but we do not know where to get flour here.”  यहां तो प्रकाश भाउजी की चांदी थी रेड वाइन काफी सस्ती थी तो ऐश ही हो गई ।

अगले दिन हमे जाना था मॉन्ट सेराट देखने ।  पहले पहल नाम से तो पता नही चल रहा था है क्या चीज पर एक लंSSSबे ड्राइव पर जो कि वहां जाने का रास्ता था एनातोली ने बताय कि ये मॉन्टसेराट एक खूबसूरत पहाड है ।
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मान्ट यानि पहाड (माउंट) और सेरात या सेराट यानि आरी की तरह सेरेटेड । रास्ता बहुत ही खूबसूरत था यहां के छत्री नुमा पाइन जगह जगह नजर आ रहे थे । जैसे जैसे पहाड नजदीक आता गया हम ऊSह आSह करके उससे प्रभावित होते रहे । पहाड पर एक  Monastry  भी है । हमें लगा कि यहां शायद बौध्द भिक्षु रहते होंगे पर ख्रिस्चियन लोगों की ही Monastry   होती है  उसी तर्ज पर वह बौध्दों के मठ को भी मोनेस्ट्री  कहते हैं । वहां मेरी का काले पत्थर से बना स्टेचू भी है । मंदिर ही समझो । स्पेन में कैथलिक  लोग ही हैं इसीसे चर्चेज भी कैथलिक ही हैं उन्हे मूर्तियों से कोई परहेज नही है । खूब सारे स्टेचूज जीजस के खास शिष्यों के भी थे । अन्हे ही शायद एपॉस्टल कहते है । मॉन्ट सेराट के चोटी पर जाने के लिये एक ट्रेन भी है पर उस दिन वो बंद थी । हमने ट्रेन के फोटो तो खींच ही लिये जो कि रुकी हुई थी । उस मोनास्ट्री के परिसर में खूब घूमे घाटी की और पहाड की ढेर सारी तस्वीरें खींची । आप भी लीजिये विडियो का मजा (विडियो ) ।  मुझे विश्वास है कि आपको भी आनंद आयेगा । वहीं मॉन्ट सेराट पर हमने लंच किया  ।  शाम के लगभग वापिस आये । खाना तो बनाना ही था समय समय पर भूख जो लगती थी ।
दूसरे दिन हमें बार्सीलोना शहर देखने जाना था  हॉप ऑन हॉप ऑफ बस लेकर ।
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तो एनातोली साहब ने हमे टूरिस्टिक बस पर छोडा और हम बस लेकर चल दिये इस के दो स्पॉट कथीड्रल और पार्क तो हमारे देखे हुए ते तो उतरना नही था । हम तो बस में बैठे बैठे ही बार्सीलोना घूम लिये ।ऑलिम्पिक स्टेडियम, समंदर और पियर जहां से कल हमे क्रूझ लेनी थी देखा । खूब सारी सेल बोटस् मोटर बोटस् लगी हुई थीं वहां , पेलेसिओ रिआला यहां का महल, एक स्पेस शिप की तरह की बिल्डिंग, तरह तरह के स्कल्पचर्स जिसमे एक लॉबस्टर भी था । बारसीलोना के रास्ते, इमारतें । हमने जो देखा आप भी देखिये । (विडियो )332_430_2





घर आने के बाद खाना पीना किया । रास्ते मे हमने कैन्टक्की फ्राइड चिकन हमारे मेजबान के लिये ले लिया कि बेचारे इतने दिनो से हमारे साथ घास फूस खा रहे हैं आज इनकी पार्टी कराते हैं । पिर हम गये बार्सी लोना के सबसे महंगे घरों के इलाके मे । हमने तो बजार जाना चाहा था ताकि हम बच्चों के लिये कुछ ले लेते लेकिन एक ही दूकान मे खरीदारी के बाद हम वहां गये । कैमेरा नही था ये बहुत ही खला । बेहद खूबसूरत बागीचे और समंदर के किनारे बसे घर देखते ही बनते थे । खैर नेत्र सुख हमें तो मिल गया ।  431_482_1


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घर आये और समंदर पर गई खाली सुहास और बाकी लोगों ने खाना बनाया शाम का । और अपनी अपनी पैकिंग भी करनी थी क्यूंकि एनातोली हमे ८ बजे सुबह ही पियर पर छोडने वाले थे । उन्हे कार जो वापिस करनी थी ।  उसी दिन शामको एक बडा हंगामा हुआ चेकिंग तो हो गया क्यूंकि टिकिट नंबर वगैरा सब लिखे हुए थे प्रकाश भाउजी के पास, पर जब सबके टिकिट देखने की बारी आई तो हमारा तीनों का यानि जयश्री, मै, और सुहास टिकिट ही नही था जिसके साथ लगेज टैग्ज भी थे । तो सब परेशान । मैने तो यहां तक कह दिया कि अब तो आप तीनों ही जाओगे क्रूझ पर । फिर सब ने सोचा कि चैक इन तो हो गया तो अब टिकिट की जरूरत नही होगी और तीन लगेज के टैग्ज तो हमारे पास थे ही ।एनातोली ने कहा कि आप लोग अपना सामान तीन बैग्ज में करलो । तीन बैग्ज यहीं मेरे घर में छोड दो फिर मै जब आपको लेने आऊंगा तो हम लोग सीधे एयर पोर्ट जा कर आपका सामान लॉकर में डाल देंगे ताकि घर से चलने पर हमारे पास तीन ही बडे बैग्ज रहेंगे । Boon in disguise होगया क्यूं कि यह दूसरी कार थी तो अच्छी पर थोडी छोटी थी तो ६ बैग्ज और ६ हैन्ड लगेज नही आ पाते । खैर रात को सो गये दूसरे दिन जल्दी जो उठना था । (क्रमशः)   

15 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अब लग रहा है कि घूमने के लिये लोन ले ही डाला जाये।

P.N. Subramanian ने कहा…

आपके वीडीओस से तो हमें लगा की हम भी भ्रमण कर रहे हैं. आभार.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आशा जी
अभिवंदन
बार्सिलोना घुमाने के लिए आभार
इस तरह के आलेख जहां नवीनतम जानकारियाँ उपलब्ध करते हैं , वहीं हमें भी दुनिया की सैर करने के लिए प्रेरित कर्त्ये हैं .
- विजय तिवारी " किसलय "

kshama ने कहा…

Abhi jaldi jaldi me dekha hai..ise dobara gaur se dekhungi aur padhungi!

मनोज कुमार ने कहा…

संग्रहणीय प्रस्तुति!

Abhishek Ojha ने कहा…

यूरोप घुमने का आनंद घर बैठे ! वाह !

निर्मला कपिला ने कहा…

वीडिओ और यात्रा विवरण बहुत सजीव सा लगा। शुभकामनायें

Science Bloggers Association ने कहा…

इस सुंदर नगर से परिचय कराने का आभार।
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नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

मैडम,
नेत्र सुख आपने ही नहीं हमने भी ले लिया है, इतने खूबसूरत वीडियो जो लगा दिये हैं आपने।
बहुत अच्छा वर्णन किया है आपने, आभार।

Alpana Verma ने कहा…

इस सुहाने सफर में आप ने कई परेशानियां भी देखीं..पिछली पोस्ट में पढ़ा था कि किराये वाली गाडी अच्छी नहीं थी ,टायर बदलना पड़ा,पार्किंग करते समय टकरा भी गयी थी!और अब आप तीन लोगों के टिकट गायब?अगली पोस्ट में ही पता चलेगा कि आप ने कैसे मेनेज किया होगा?चेक इन के बाद टिकट की जरुरत पड़ी होगी?--
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विडियो सभी बहुत अच्छी लगीं .आप के साथ दुनिया का यह हिस्सा हम भी घर बैठे घूम रहे हैं.बेशक बहुत सुन्दर जगहें हैं.
आभार.

SATYA ने कहा…

क्या खूब वर्णन किया है आपने,
आपकी वजह से हम भी घूम लिए,
आभार...

ज्योति सिंह ने कहा…

main to iske baare me kuchh nahi janti rahi ,itna sab kuchh padhkar dekh kar adbhut laga .sundar post rahi .

seema gupta ने कहा…

बार्सिलोना की इतनी खुबसूरत सैर कराने का आभार....सच बेहद रोमांचक चित्र...

regards

हिन्दीवाणी ने कहा…

शानदार यात्रा वर्णन। कई नई बातें मालूम हुईं।

अरुणेश मिश्र ने कहा…

रोचक यात्रा प्रसंग ।
ज्ञानवर्धक ।