पिछली बार हमने आपको मुन्नार की सैर कराई थी ।
दूसरे दिन सुबह हमें टेक्काडी के लिये निकलना था पर हमारे इग्लू होटल के स्वागतिका ने हमे बताया कि हमें चाय और काजू मुन्नार से ही खरीदना चाहिये तो दूसरे दिन यानि १८ को भारी नाश्ता कर, आज तो दोसे मिले थे , चल पडे । टेक्काडी जाते हुए पहले हमारे ड्राइवर हमें एक बडी सी दूकान में ले गये दूकान अच्छी थी चीजें भी खूब थीं पर महंगी लगी, काजू ४६०रु किलो । पर काजू बढिया थे बडे बडे और स्वादिष्ट । वहां से चाय, काजू और बहुत से तेल खरीदे । ब्राम्ही, आर्थऑयल, निलिनि ऑयल, मसाज ऑयल इत्यदि । सांबार और रसम के मसाले भी खरीदे । और फिर चल पडे टेक्काडी की और यह मसालों के लिये प्रसिध्द है । मुन्नार से टेक्काडी ३-४ घंटों की ड्राइव है । रास्ते में रुक कर चाय की जगह नारियल पानी का मजा लिया । बीच में एक जगह केरल के खास लाल केले दिखाई दिये वे खाये स्वाद काफी अच्छा था ।
टेक्काडी शुरु होते ही जगह जगह स्पाइस गार्डन के बोर्ड दिखाई दे रहे थे । इसकी सैर के लिये बडा सा टिकिट होता है पर है तो देखने वाली चीज । हमें तो पहले होटल जाना था और रूम हाथ में लेने थे । यहां हमारा होटल था माइकेल्स इन । यहां कमरे अपेक्षाकृत छोटे थे पर साफ सुथरे थे ।
वहां गये और चाय पी कर निकल पडे स्पाइस गार्डन देखने । हमारे ड्राइवर हमें एक spice Garden ले गये वहां हमने मसालों का दाम पता किया तो बहुत महंगे थे पर थे बढिया, क्या खुशबू थी । इलायची १२०० रु. प्रति किलो । हमने मसाले तो नही खरीदे । अब तक हम जान गये थे कि दुकान मालिक और ड्राइवरों में कमिशन और ग्राहकों का लेन देन होता है । पर बगीचा देखना तय किया टिकिट था २००रुं प्रति व्यक्ति हमने जब कहा कि हमारे बजट में नही बैठता तो तुरंत दाम १५०रु प्रति व्यक्ति हो गया । पर हमारे साथ जो गाइड दी थी वह बहुत ही प्यारी थी ।(वि़डियो)
अपना काम अच्छे से अच्छा करना चाह रही थी और कर भी रही थी । उसने हमें हर पेड और पौधे की जानकारी दी । दालचीनी का पेड जिसकी छाल दाल चीनी होती है और पत्ते तेज पत्ता । जायफल का फूल ही जावित्री कहलाता है । इलायची के पौधे, ब्राम्ही का पौधा, लौंग का पौधा भी देखा पर लौंग निकाली जा चुकी थी । असली रबर का पेड भी देखा जो हम अपने बगीचे में लगाते हैं वह तो शोभा का पेड है । इसके अलावा, इनसुलिनका पौधा भी देखा जिससे मधुमेह का इलाज होता है ।
कॉफी के पेड देखे जिसमे हरे और लाल फल लगे थे । हमें पता चला कि दो तरह की कॉफी होती है एक देसी और दूसरी अरबी , अरबी कॉफी का फल बडा होता है । उसने बीज निकाल कर दिखाये और बताया कि जब तक बीज सुखा कर भून कर पाउडर नही बनता आपकी कॉफी तैयार नही हो सकती । काली मिर्च दिखाई (फल लगे हुए) उसने ये भी बताया कि इसकी खेती नही होती ये सब प्राकृतिक रूप से उगते हैं । हींग जो कि पेड का सूखा हुआ रस होता है जैसे कि गोंद । तकनीकी भाषा में इसे Resin कहते हैं । नारियल के पेड तो जैसे गिनती में ही नही आते थे । राम तुलसी का पेड भी देखा, अब तक तो पौधे ही देखे थे, उसके पत्ते भी काफी बडे थे । लेमन ग्रास भी देखा । अननास के पौधे देखे उसमे अननास लगे हुए । एक जगह एक खूबसूरत पेड पर बना घर (कमरा) था वहां भी गये । (विडियो )
वहां से गये पेरियार लेक (पेरियार वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी) बडी उम्मीदें लेकर गये थे कि शेर, हाथी, बाय़सन देखने को मिलेंगे । टिकिट लेने के लिये ही इतनी भागमभाग करनी पडी यहां नही वहां नीचे नही ऊपर करके खिडकी तक पहुंचे उसके पहले फॉर्म भरने पडे कि यदि कुछ होता है तो किसे सूचित करना है आदि । टिकिट लेकर पहले खाना खाने के लिये सरकारी केंटीन में गये । खुली अच्छी जगह थी खाना भी ठीक था पर इतने बंदर कि बैठ कर खाना मुश्किल हो रहा था । कुछ गोरे विदेशी भी थे जो हाथ में लकडी लेकर बंदरों को भगा रहे थे । पर बंदर भी ढीठ थे । बडे तो बडे छोटे छोटे बच्चे भी छलांगे मार मार कर खाना छीनने आते । खैर खाना तो हमने खा ही लिया । किर वापिस आकर बोट के लिये जेटी पर आ गये ।
थोडी देर के इंतजार के बाद बोट में बैठे किनारे की सीट पकड कर, कि कुछ दिखे तो फोटो ले सकें । पहले तो हमे लाइफ जैकेट पहनाये गये फिर बोट चली । हम गरदन मोड मोड कर कोशिश करते रहे कि कोई तो कहीं तो दिखे पर कहाँ । धूप में बैठे बैठे आंखें चुंधिया गईं पर बहुत दूर से थोडे हिरन और जंगली भैसे ही देख पाये । वापिस गाडी तक पैदल आना पडा क्यूंकि पार्किंग बाहर था ।(विडियो )
पर लेक अच्छा था और बोटिंग का मज़ा तो हमने ले ही लिया !!!! शाम को वापिस आये माइकेल्स इन मे । सौभाग्य से खाना अच्छा था तो मूड ठीक हो गया । अर्चना चाहती थी कि कथाकली डांस का प्रोग्राम देखें पर समय था साढे पांच बजे का और पांच बजे तो हम होटल पहुंचे ही थे और चाय की तलब थी तो उसे मायूस करना पडा । फिर खाना खाने के बाद मार्केट निकल गये । मसाले की दूकानों से लौंग इलायची खरीदी दाम यहां अपेक्षाकृत सही थे । ड्राइवर यह कहके कि वह कल सुबह हाजिर हो जायेगा हमसे छुट्टी लेकर मुन्नार चला गया था । आगे और पैदल चलते गये कपडों की बहुत सी दुकानें थीं पर सब कश्मीरी माल । केरल से कश्मीरी कपडे दिल्ली ले जाना तो बनता नही था । तो घूम घाम कर वापिस आये थक तो गये ही थे तो पडते ही सो गये ।
आज १९ तारीख, आज हमें कोवालम जाना था । तो हम बढिया सा ब्रेकफास्ट कर के निकलने ही वाले थे । रिसेप्शन पर चाभियां देने और बिल निपटाने गये तो पता चला कि हमारे बिल मे ब्रेकफास्ट का बिल भी लगा दिया गया था जब कि ब्रेकफास्ट कायदे से फ्री होना चाहिये था। हमारे पैकेज में जो था । खैर बडी फोना फोनी हुई और फिर बात सुलझ गई पर फिर भी माइकेल-इन वाले भुनभुना रहे थे कि मेक माय ट्रिप वाले हमेशा ऐसा ही करते हैं, आप तो यहां पेमेंट करो फिर उनसे दिल्ली में ले लेना पर हमने कहा नही ये मसला आपका और मेक माय ट्रिप वालों का है आप निबटो हमें तो ये पता है कि हमारे स्टे में ब्रेकफास्ट शामिल है । खैर बिल दिया और निकले । (क्रमशः)
15 टिप्पणियां:
achi jaankari di aapne asha mummy ji
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
शानदार लेख ,रोचक .पठनीय और दर्शनीय भी
आनन्द आ गया केरल का जी..बहुत बढ़िया वृतांत!!
जबरदस्त आपने अनीस स्टार स्टार खरीदा या नहीं ?
रोचक जानकारी आशा जी , इस इलाके ( पेरियार) के समीप कोट्टायम के पास वक्थानाम नामक जगह तक मैं भी गया हूँ !बहुत सुन्दर हरा भरा प्रदेश है !
बढ़िया यात्रा रही आपकी जान आनंद हुआ ! शुभकामनाएं !
दोनो व्रतांत आज ही पढ़े हैं .... आपके साथ साथ केरल को और जान गये .... सुंदर लिखा है ...
रोचक
सच आप की guide बहुत अच्छी थी.
उसकी हिंदी बड़ी प्यारी लगी सुनने में.
विडियो बहुत अच्छी लगीं.
कोवालम की यात्रा के विवरण की प्रतीक्षा रहेगी .
केरल पोपुलर है ब्लॉग जगत के यात्रा वृतांतों में. बढ़िया लग रहा है आपके साथ घूमना.
ham aapke sath to nahi hai par ghar baithe hi baithe keral ghumane ka aanand le rahe hai saath me bahut hi achhi jankariyan bhi.
poonam
प्रशंसनीय ।
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