मंगलवार, 5 जनवरी 2010

देख लो


मौत में भी जिंदगी को देख लो
गम के पीछे की खुशी को देख लो ।
मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।
खुशियां तो होती हैं बूंदे ओस की
दुख मरुथली रेत है तुम देख लो ।
आदमी की बात तो करते हैं वे
आदमी को दफन करता देख लो ।
मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।
हम अगर नुकसान से हों बेखबर
महल आशाओं के ढहते देख लो ।
धरती घूरा बन रही है क्या करें
सांस में घुलता प्रदूषण देख लो ।
बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो

32 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।

बहुत गहरे भाव की पंक्तियाँ हैं। वाह क्या बात है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

अजय कुमार ने कहा…

बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो

यथार्थपरक रचना

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

बिल्कुल हकीकत दिखा दी आपने

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर रचना!!


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मौत में भी जिंदगी को देख लो
गम के पीछे की खुशी को देख लो ।
मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।
खुशियां तो होती हैं बूंदे ओस की
दुख मरुथली रेत है तुम देख लो ।
आदमी की बात तो करते हैं वे
आदमी तो दफन करता देख लो ।

बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ... यथार्थपरक रचना...

संजय भास्‍कर ने कहा…

मौत में भी जिंदगी को देख लो
गम के पीछे की खुशी को देख लो ।
................लाजवाब पंक्तियाँ ........

Alpana Verma ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।

मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।

waah! kitni umda baat kah di aap ne!
waah!
bahut hi gahra chintan hai aap ki rachna mein.

Naye saal ki shubhkamnayen.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खुशियां तो होती हैं बूंदे ओस की
दुख मरुथली रेत है तुम देख लो ।
आदमी की बात तो करते हैं वे
आदमी को दफन करता देख लो ...

जीवन के अनुभवों से बुनी लाजवाब रचना .......... बहुत अच्छे शेर हैं ........

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अदभुत, चित्र और कविता दोनों।
--------
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?

shama ने कहा…

मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।

Kya khoob likhtee hain aap!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वाह........लाजवाब

Akanksha Yadav ने कहा…

बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो
...Behad sundar bhavabhivyakti.

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।

waah..

alka mishra ने कहा…

सांस में घुलता प्रदूषण देख लो ।

बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही

आपकी भावनाएं वाकई आदरणीय हैं

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपकी भावनाएं वाकई आदरणीय हैं

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 ने कहा…

बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो ..लाजवाब रचना..

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो
बहुत बढिया. वैसे सभी शेर बहुत शानदार है,

निर्मला कपिला ने कहा…

च्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो

मौत में भी जिंदगी को देख लो
गम के पीछे की खुशी को देख लो ।
वाह पूरी रचना लाजवाब है समाज का आईना दिखाती हुई

निर्मला कपिला ने कहा…

हाँ एक बात बताना भूल गयी मैं मार्च मे USA -- कैलिफोर्निया जा रही हूँ आपसे पता नहीं कितनी दूर होगा। पास हुया तो मिलूँगी। शुभकामनायें

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो ।
waah! kya baat kahi hai.

खुशियां तो होती हैं बूंदे ओस की
दुख मरुथली रेत है तुम देख लो ।

मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।

बहुत खूब कही है सचाई ...लाजवाब.

ज्योति सिंह ने कहा…

मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो
bahut hi sundar rachna padhkar man khush ho gaya ,kisi se bahut tarif suni rahi aapki rachna ke baare me aur sunte hi aai aur sukhad ahsaas ki anubhuti hui .

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मोहतरमा आशा जी, आदाब
क्या खूब मंज़र पेश किया है आपने...
मौत में भी जिंदगी को देख लो
गम के पीछे की खुशी को देख लो....
क्या शेर कहा है, वाह-
मेरे तेरे आंसुओं का मोल क्या
उनका हंसना कीमती है देख लो
और ये-
मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।

जिन्दगी का खूब फलसफा बयान किया है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

alka mishra ने कहा…

आदरणीय आशा जी ,
जोड़ों के दर्द के लिए एक सरल सी दवा और है---
१०० ग्राम मेथी के दानों को एक चम्मच घी में अच्छी तरह भून लीजिये ,फिर उनका चूर्ण बना लीजिये ,रोज सुबह खली पेट एक चम्मच [६ ग्राम ] पानी से निगल लीजिये
बहुत आराम मिलेगा ,सिर्फ जोड़ो के हीनहीं कई और दर्द भी गायब हो जायेंगे.

रचना दीक्षित ने कहा…

हर बात सोलह आने सच है बहुत कुछ कह गए वो चंद भीगे हुए से शब्द बहुत सटीक
वाह !!!!! क्या क्या कह दिया. बेमिसाल

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो
...मार्मिक अभिव्यक्ति..सुंदर नज्म.

रंजू भाटिया ने कहा…

सच कहती सुन्दर रचना ..यही आज का सच है शुक्रिया

sandhyagupta ने कहा…

Motiyon ki tarah bhavon ko piroya hai.Bahut khub.

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

खुशियां तो होती हैं बूंदे ओस की
दुख मरुथली रेत है तुम देख लो ।

मैने कब चाहा था कोई आसमां
पांव से धरती खिसकती देख लो ।


सुन्दर भाव्

shama ने कहा…

हम अगर नुकसान से हों बेखबर
महल आशाओं के ढहते देख लो ।
धरती घूरा बन रही है क्या करें
सांस में घुलता प्रदूषण देख लो ।
बच्चों को तो सपनों से फुरसत नही
बुजुर्गों का दम निकलता देख लो
Harek pankti dohrayee ja sakti hai! Bahut khoob!
Gantantr diwas kee anek shubhkamnayen!

संजय भास्‍कर ने कहा…

विजय विश्व तिरंगा प्यारा ,झंडा ऊँचा रहे हमारा
गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाए*

P.N. Subramanian ने कहा…

बेहद सुन्दर यथार्त. आभार

daanish ने कहा…

zindgi
aur zindgi ka phalasphaa
sabhi kuchh padhaa ja sakta hai
iss anoothi rachnaa meiN
abhivaadan .