सोमवार, 16 नवंबर 2009

मिलते रहिये

मिलते रहिये मिलाते रहिये
लोगों से बतियाते रहिये
शायद बात कोई बन जाये !

देखते रहिये दिखाते रहिये
सपनों को चमकाते रहिये
शायद कोई सच हो जाये !

राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये !

बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !

मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये !

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।

28 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये !

bahut hi meaningful aur saarthak kavita.......

अजय कुमार ने कहा…

सकारात्मक सोच और आशा का सन्चार करती रचना

निर्मला कपिला ने कहा…

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
बौत सिन्दर सम्देश देती कविता बधाई

mehek ने कहा…

बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !

मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये !
waah bahut sahi kaha,choti choti baaton mein hi badi baat ho jaati hai,sunder prernadayi rachana.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !

मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये

bahut sundar sandesh kavitaa ke maadhyam se !

संगीता पुरी ने कहा…

सकारात्‍मक सोंच युक्‍त रचना .. बहुत अच्‍छी है !!

Batangad ने कहा…

बढ़िया

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सच कहा आपने...सोच अगर पोजिटिव हो तो सारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं...बहुत प्रेरक रचना है ये आपकी...
नीरज

ghughutibasuti ने कहा…

बढ़िया!
घुघूती बासूती

M VERMA ने कहा…

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
सार्थक सोच की कविता. सुन्दर भाव

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।

सही बात है ऐसे ही तो जीवन जीया जाता है...बढ़िया प्रस्तुति

Abhishek Ojha ने कहा…

लिखते रहिये
पढ़ाते रहिये.

रंजू भाटिया ने कहा…

चलते रहने से मंजिल मिलती है ..अच्छा कहा आपने इस रचना में ..शुक्रिया

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

आशा जी,

आपके नाम के अनुरूप ही आशायें बंधाती कविता बहुत अच्छी लगी।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

शरद कोकास ने कहा…

काम कोई पूरा हो जाये !...इस पंक्ति में' शायद 'नही है इसका मतलब आप बहुत आशावादी हैं ...अरे आप तो हैं ही आशा !!

Sandesh Dixit ने कहा…

बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये


-- hum padte rahenge,aap padhate rahiye :)

www.sandesh.co.nr

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जी जरुर कोशिश रहेगी क्या पता काम कोई हो जाये ......!!

ये महफूज़ साहब को देख हैरानी होती है ...जहां भी जाती हूँ पहली टिप्पणी इन्ही की नज़र आती है ......!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये ..

bahut aasha liye hai aapki rachna ... achaa likha hai aapne ..

daanish ने कहा…

sankalp aur vishwaas ki
sumudhur kehariyoN ko
trangit kartee huee
kaamyaab rachnaa...
bhaav-paksh bahut prabhaavit kartaa hai .
abhivaadan swikaareiN .

रविंद्र "रवी" ने कहा…

आपकी आज्ञा सर आंखो पार मेडम.

Rohit Jain ने कहा…

Kya Baat hai.........bahut khoob hai..

Rohit Jain ने कहा…

Kya Baat hai.........bahut khoob hai..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !

बहुत अच्छे.. आप कभी नियमो मे नही बन्धती और हमेशा कुछ नया हमारे सामने होता है...

बधाई..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
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आपके ब्लाग पर आकर खुशी मिली
सभी गीत प्रेरक हैं
त्रिदल भी अच्छे बने हैं
खासकर यह--
घास पर ओस
धरती के आँसू
छलके छलके ।

padmja sharma ने कहा…

आशा जी
परस्पर संवाद,सपना ,लगन, मंज़िल और भरोसा इन सारी बातों से ही सचमुच बात बनती है .बड़े सलीके से आपने विचारों को गूँथा है .

पंकज ने कहा…

आशा, बेहद आशा लिये कविता. साधुवाद.

Ambarish ने कहा…

हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
acchi rachna acche bhaav ke sath..

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut sundar sandesh kavitaa ke maadhyam se !