आ गईं तुम
आना ही था तुम्हे
देहरी पर कटोरी उलटी रख कर माँ ने कहा था,
आती ही होगी वह देखना पहुँच जायेगी।
वह भीगी हुई चने की दाल और हरी मिर्च
जो तोते के लिये रखी थी तुमने,वह भी तो रखनी है
उसके पिंजरेमें।
और मंदिर में भगवानजी भी तो प्रतीक्षारत हैं तुम्हारी आरती के लिये।
और हाँ गैस पर दाल चावल का कुकर भी तो रखना है।
रस्सी पर टँगी साड़ी भी तो तहाकर रखनी है।
और मैं जो यहाँ बाँहें फैलाये खड़ा हूं तुम्हारे लिये
कि तुम आओ तो तुम्हें बाँहों में भर लूँ
अरे अरे यह क्या, अच्छा.......
अ रे अरे अरे....,
आना ही था तुम्हे
देहरी पर कटोरी उलटी रख कर माँ ने कहा था,
आती ही होगी वह देखना पहुँच जायेगी।
वह भीगी हुई चने की दाल और हरी मिर्च
जो तोते के लिये रखी थी तुमने,वह भी तो रखनी है
उसके पिंजरेमें।
और मंदिर में भगवानजी भी तो प्रतीक्षारत हैं तुम्हारी आरती के लिये।
और हाँ गैस पर दाल चावल का कुकर भी तो रखना है।
रस्सी पर टँगी साड़ी भी तो तहाकर रखनी है।
और मैं जो यहाँ बाँहें फैलाये खड़ा हूं तुम्हारे लिये
कि तुम आओ तो तुम्हें बाँहों में भर लूँ
अरे अरे यह क्या, अच्छा.......
अ रे अरे अरे....,