चलना है चलते ही जाना है दस कोस
मां की खबर मिली है,
किसी किसी गांव से होकर
उस तक पहुँची है आज ।
भीमा कहता है, छोटे को
लेकर चली जा तू, मैं देख लूंगा बच्चों को
माँ की हालत कहीं ज्यादा न बिगड़ गई हो ।
चल रही है वह टूटी फूटी आधी अधूरी खबर के सहारे
गाँव, खेत, जंगल पार करती । सोचती है कब मिली थी आखरी ।
अचानक एक गांव में झुग्गियाँ नजर आती हैं उसके अपने लोगों की
यहीं होगा शायद भाई का झोंपडा ।
पूछती पूछती अचानक पहुँचती है एक उखडे पाल के पास
कुछ पहचान की निशानियाँ देख कलेजा धक से रह जाता है
फूट फूट के रो पडती है, कैसे चली गई री , मेरी बाट नही जोही ।
आँखों से आंसू की नदी बह निकलती है ।
पता चलता है पिछले बुध को ही चली गई माँ,
भाई भी पाल उखाड कर चला गया ।
हताश, बच्चे को छाती से चिपकाये
चलने लगती है सावरी, उलटी दिशा में पांव खींचते हुए ।
और मै सोचती हूँ कि जब मेरे माँ के जाने की खबर आई थी
तो दूरी से विवश मैं, न जा सकी न आँसू ही बहा सकी,
पैसे की गरमी से सूख जो गये थे ।
16 टिप्पणियां:
बहुत ज़ज्बाती रचना
मार्मिक भी
संवेदना से भरपूर रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
mere blog par aane ke liye dhnywad.
हताश, बच्चे को छाती से चिपकाये
चलने लगती है सावरी, उलटी दिशा में पांव खींचते हुए ।
और मै सोचती हूँ कि जब मेरे माँ के जाने की खबर आई थी
तो दूरी से विवश मैं न जा सकी न आँसू ही बहा सकी
पैसे की गरमी से सूख जो गये थे ।
maa ke jane ka dard ka ahsas sman hi hota hai .
bhut marmik ankho me nami de gai aapki rachna.
संवेदना युक्त मार्मिक रचना
deadly ending di hai aapne...
तो दूरी से विवश मैं न जा सकी न आँसू ही बहा सकी
पैसे की गरमी से सूख जो गये थे ।
wahh
मार्मिक रचना !
हृदय में बहते रक्त सी कविता
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
sundar
अच्छी ,,,
एहसासमयी ,,,
भावुक रचना .
हर शब्द ...कहीं गहरे उतरता है
---मुफलिस---
Atyant sanvedansheel.Shubkamnayen.
बहुत मार्मिक रचना है मुझे अपनी बेती याद आ गयी जो विदेश मे है शयद कभी उसको भी ऐसे ही सोचना पडे आँख नम हो गयी आभार्
khubsurat bhav
hridaysparshi..
samvedansheel rachna..
padha, man ko chuu gayi aapki rachna..
asha tai ;
amhaala shabd nahi bhette ,ya poem saathi ... main kya kahun , meri aankhe bheeg gayi hai ..tai ,hi kavita mala aaj pakka udaas karun geli ...
aabhar
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
धन्यवाद आप लोगों का की मेरे विचार आप को पसंद आये. "गुरु बहन" आपका आभारी रहूँगा मैं की आप ने टिप्पणी से नवाजा मुझे.
bahut sunder----------main ro diya ek baar ko ise padh kar-----ki kahin mera bhi yahi bhavishya na ho.
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