गुरुवार, 31 मई 2012

चलते चलो रे १ (स्नो-बर्ड माउन्टेन क्लिफ क्लब)








इस बार अमेरिका आकर हमारा प्रोग्राम बना सॉल्ट लेक सिटी ओर यलोस्टोन नेशनल पार्क देखने का । हमारा प्रोग्राम हर वर्ष की तरह सुहास ने ही प्लान किया तो हम व्हाया ब्लेक्सबर्ग (वर्जीनिया ) उनके घर मार्टिन्सबर्ग पङुँचे । इस बार हमारे टिकिट कोलंबस (ओहायो ) से थे क्यूं कि वहां से टिकिट १२५ डॉलर सस्ता पड रहा था । १२५ गुणा ६  यानि ७५० डॉलर का फर्क । तो हम कार से पहले उल्का के यहां कोलंबस गये और उसकी मेहमान नवाजी का लुत्फ उठा कर १२ तारीख को सुबह ८ बजे सॉल्टलेक सिटि के लिये उडान भरी जो व्हाया मेम्फिस थी । वहां उडान बदल कर कोई १० बज कर ३० मिनिट पर (माउन्टेन टाइम ) सॉल्ट लेक सिटि पहुँचे । आज हमारे शादी की ४७ वी वर्षगांठ थी सबने बधाइयां दी ।
यहां हमें कार लेनी थी तो हमने एयर- पोर्ट पर ही हर्ट्झ नामक कंपनी से गाडी ली । बडी सी गाडी थी शेवी ट्रव्हर्स नामक अमेरिकन गाडी जो सुहास ने या विजय ने कभी चलाई नही थी । उनके पास हॉन्डा की सी वी आर है । पर थोडे से टीथिंग ट्रबल के बाद हम चल पडे हमारे रिसॉर्ट जो स्नो बर्ड नामक जगह में स्थित है । हम ने एयरपोर्ट से ८० ईस्ट लिया फिर लिया १५ साउथ और फिर २०९ वेस्ट । यह पहाडी रास्ता कॉटनवुड केनियॉन रोड कहलाता है । एक तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड और दूसरी तरफ गहरी खाई यानि कैनियन । रिसॉर्ट का नाम था क्लिफ क्लब रिसॉर्ट । यह एक स्कीइंग रिसॉर्ट है । जहां अमेरिकन लोग स्कीइंग के लिये जाते हैं यहां कोई ८०० इंच (!!!!!) बर्फ गिरती है पर इस साल बहुत कम यानि केवल(?) ४०० इंच  ही बर्फ गिरी है । बीच में हमने के बर्गर किंग में रुक कर लंच कर लिया ।  हमें रूट २०९ लेकर आगे जाना था तो चल पडे । आगे रास्ते में बडे बडे पहाड दिखे एकदम पथरीले । । अमेरिका के और जगहों के मुकाबले यह इलाका थोडा ड्रेब लगा यानि हरियाली कम । सॉल्टलेक सिटि नाम ऐसे ही थोडे है । और हमारे रिसॉर्ट की उँचाई थी ८००० फीट और स्कीइंग स्लोप थे  कोई ११,००० फीट पर । हम रिसॉर्ट पर पहुंच कर खुश हो गये । चारों तरफ बर्फ वाले पहाड। इनका नाम है वॉसाट माउन्टेन यह रॉकी माउन्टेन्स रेन्ज का हिस्सा है । हमारे कमरे ८वी मंजिल पर हैं कमरा नं ८०८ और ८१०, बीच का दरवाजा भी है जो हमने खोल लिया तो अपारटमेन्ट ही बन गया । दोनों कमरों के साथ क बालकनी भी है, ऊँचाई से सब कुछ बहुत सुंदर दिख रहा है ।  पहुंचते पहुंचते कोई साढेतीन चार बज गये थे ।  तो आज घूमने का कोई कार्यक्रम नही बनाया। आते समय बर्गर किंग के पास एक स्मिथ नामक ग्रॉसरी स्टोर से ब्रेड आलू व प्याज ले लिये थे । रोटियां भी ( तोर्तिया) । शाम को आलू प्याज का रस्सा बनाया और खाना खा कर बात चीत की । (विडियो देखें)


रात को सोये ही थे कि राजू का फोन आ गया । कहा कि वसंत कुंज के हमारे घर में चोरी की कोशिश हुई है । मेरा तो मन ही उखड गया अभी घूमना शुरू ही हुआ था कि ये कैसी खबर आ गई । फिर पडौसियों से बात की । मेरा भतीजा जो ए आय आय एम एस में है उससे बात की तो पता चला कि एक खिडकी तोड कर चोर अंदर तो दाखिल हुए पर पडोसियों के चोकन्नेपन से कुछ कर नही पाये । हमारे एक बिलकुल नये पडौसी हैं, आर्मी मे है, उनकी जागरूकता से ही ये संभव हो पाया । भतीजे ने पुलिस रिपोर्ट की और मुआयने के बाद आनन फानन में खिडकी की ग्रिल फिर लगवा दी । मै तो स ट्रिप के तुरंत बाद वापिस जाने का सोच रही थी पर राजूने कहा कि सब ठीक है तो क्यूं जाओगी गर्मी में । मै जाउंगा जुलाय में और देख आऊंगा । मन में खुट खुट तो  अब भी है पर................................।
खैर दूसरे दिन हम गये स्कीइंग देखने । होटल के दर्शनी गेट के स्वागत कक्ष से ये स्कीइंग वाली  हिल  अच्छे से दिखती है तो हमने वहीं से पहले काफी फोटो खींचे । प्रकाश सुरेश और सुहास १२, १२ डॉलर के टिकिट लेकर एयर ट्राम से हिल के ऊपर चले गये । इस में एक साथ कोई ७५ आदमी बैठ सकते हैं । उन्होने ऊपर जाते हुए स्कीअर्स से बातें की  और ऊपर से बहुत सुंदर तस्वीरें खींची । यहां के  स्किइंग ट्रैक में घुमाव भी थे जिस पर स्किंइंग काफी मुश्किल होता है । एक आदमी तो लडखडा ही गया फर दो तीन कुलांचे मारने के बाद फिर उठ कर खडा हुआ और स्कीइंग चालू । एक भद्र महिला अपने सात और नौ साल के बच्चों के संग स्कीइंग करने आई थी । और दोनो बच्चे क्या माहिर थे । इस वक्त पहाड पर कोई पांच फीट मोटी तह रही होगी बर्फ की ।

जयश्री और मै फिर स्वागत कक्ष से निकले और ट्राम स्टेशन तक आये यहीं आगे जाकर एक गेट था जहां से स्कीअर्स नीचे आ रहे थे हमने नीचे आते हुए उनकी काफी तस्वीरें लीं । फिर वहां घूमते रहे । इस इलाके को स्नो-बर्ड सेंटर कहते हैं ।(विडियो देखें)


काफी चित्र खींचने के बाद हम वापिस अपने रिस़ॉर्ट आ गये । वापसी का रास्ता चढाई का था तो मै धीरे धीरे चल रही थी, मुझे यूं  चढते देख एक टूरिस्ट मुस्कुराया और बोला, यू कैन डू इट, मैने भी मुसकुरा कर जवाब दिया, यस आय कैन ।  थोडी देर बाद सुहास और दोनो भाई भी वापिस आ गये । उनसे ऊपर की सारी रोमांचक कहानियां सुनी और ऊपर कमरे में आये । आकर लंच किया और शाम को ग्रोसरी लेने गये । कल हमें जाना है यलोस्टोन नेशनल पार्क ।

(क्रमशः)

शनिवार, 26 मई 2012

जाने कैसी बात हुई


जाने कैसी बात हुई
उनसे मुलाकात हुई
आँख खुली तो चांदनी भरी
पूनम वाली रात हुई ।

सोचा था न कभी जीवन में
ऐसा भी क्षण आयेगा,
नियमबध्द मेरे जीवन में
जैसे वारदात हुई .।

कांटे, किरचें, कंकड वाली
डगरों से था भरा जीवन
वो क्या मिले, पांव के नीचे
मखमल की सौगात हुई ।

दिन भर की थकान से जैसे
था ये तन मन चूर हुआ
तेज धूप में चलते चलते
बिन बादल बरसात हुई .।

वो क्या आये मन वीणा के
तार सुरों को छेड उठे,
मधुर मधुर सुर गूंजने लगे
महफिल वाली रात हुई ।

काश ये समय मेरे लिये
बस अब यूँ ही ठहर जाये,
मौत भी आज अगर आये
तो कामयाब ये हयात हुई ।

रविवार, 13 मई 2012

पुत्र दिवस


सफर से पूरा थक कर
कल रात घर पे आकर
लेटा जो बिस्तर पर
दबे पांव कमरे में
दाखिल हुई थीं तुम माँ ।

मेरी आँखों से
चश्मा हटा कर
किताब रख मेज पर
ओढना ओढा कर
बालों में हाथ फेर
निहारती रही थीं तुम माँ।

उस स्पर्श ने ना जाने
कितने नये पुराने
जगा दिये अफसाने
जो तेरे मेरे साझे
सदा रहे हैं माँ ।

रात कहानी सुनाना,
फिर लोरी गाना,
पीठ थपथपा कर मेरी
सदा उछाह बढाना
तेरे कारण ही आगे
बढता रहा हूँ माँ ।

चोट जो लगी मुझ को
मरहम उस पे लगाना
मेरे दर्द में आँसू
मेरे साथ बहाना
सदा मेरी खुशियों में
हौले से मुस्कुराना
तुम्हारे सिवा कौन
करता रहा था माँ ।

मातृदिवस तो आज मना रहे हैं सभी
तुमने तो हर दिन पुत्र दिवस ही मनाया
हैं ना माँ ?

ब्र्लॉगर बंधु भगिनियों को सादर नमस्कार ।
कुछ दिनों तक सफर में हूँ कोशिश करूंगी कि ब्लॉग पढती रहूँ ।
पर आप मेरी मजबूरी समझ ही लेंगे और टिप्पणी में देर हुई तो क्षमा भी कर देंगे ।