रविवार, 23 अक्तूबर 2011

कमल नयना कमल वदना


कमल नयना कमल वदना कमल दल निवासिनी
कमल हस्ता, कमल चरणा, कमल माला धारिणी
स्वर्ण, मौक्तिक, विविध मणिगण, आभूषण भूषिणी
सस्मित मुख, ममत्व युक्ता, अलक्ष्मी निवारिणी ।

सौभाग्य दाता वरद हस्ता मनाभिष्ट प्रदायिनी
क्षीर सागर जनित कन्या विष्णु पत्नि सुमोहिनी
तव आगमन सुलभ्य हो धन धान्य संपति अर्पिणी
मम नमन तव चरण अर्पित हे सुगंधा पद्मिनी ।

हो स्नेह दीप प्रज्वलित और ज्ञान का प्रकाश हो
हो प्रेम का वातावरण और निरापद आकाश हो
शांति का संदेश फैले, प्रहरी पर सचेत हों
मन का मिटे मालिन्य सब से मिलन का ये हेतु हो ।


आप सबकी दिवाली शुभ हो, मंगलमय हो ।

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

निमंत्रण


चांदनी झरने लगी झर झर झऱ
सुनहरे रुपहले प्यारे से पल
रात रानी, बेला और मल्लिका
इठलाने लगीं रूप यौवन पर ।

ये नदिया का जल, कल कल कल
बलखाती मछलियां चंचल चंचल
मदमाती सुगंध, सर सर सर
हवा की रुनझुनी बजती पायल

पेडों की घनी घनी डालों पर
लेटा है चाँद बांहे फैला कर
रजनी अलकों को संवांर रही
तारों से ले रही मांग भर ।

ताल मे खिलने लगी कुमुदिनि
मन पुलकित, आनंदित निर्भर
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर ।