सोमवार, 10 अगस्त 2009

इतिहास की बातों को

ऊँचा कद देख किसी का, न तुम जलो
अपनी अपनी औकात है, मान के चलो ।
इतिहास की बातों को इतिहास में रखो
वर्तमान में ही करके कुछ, दिखायें चलो ।
बीती सो बात गई, अब उस पे क्या रोना
एक राह नयी मिल के सब बना लें चलो ।
कहने वाले तो कुछ कह के रहेंगे
तुम उनकी बात को, अनसुना कर चलो ।
सरकार को निकम्मा कह कह के थक गये
अब अपनी गिरेबान ज़रा झाँक कर चलो ।
जबाँ चलाने के लिये लगता नही ज़ोर
मेहनत के लिये हो गर तैयार, तो चलो ।
एक ठान ली है जब, तो उसी राह पर बढो
बाधायें तो आयेंगी, पर पार कर चलो ।
ऐसे दिन की फिर सुहानी ही होगी रात
आयेगी सुख की नींद ये बात मान लो ।

13 टिप्‍पणियां:

admin ने कहा…

बहुत ही प्रेरणादायक रचना. वर्तमान में जीने को प्रेरित करती हुई.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आप अमेरिका में रहती है न इसलिए ऐसा कह रही है, इंडिया में रहती और ढाई लाख रूपये की अपनी म्हणत की सालाना कमाई में से पच्चीस हजार रूपये टैक्स भरती और सुविधावो के नाम पर मुंबई के बाढ़ के पानी में घुटनों तक कपडे भिगो कर चलना पड़ता तो फिर ये सब नहीं कहती ! खैर, अगर दूसरे तरीके से आपकी रचना को लय जाए की सरकार को क्यों दोष देते हो , ऐसी सरकारे चुनते भी तो हम लोग ही है तो निश्चित तौर पर आपकी कविता का सार अच्छा है !
आपकी कविता की सुरू की दो लाइनों को मैं इस तरह से पढूंगा :
जलो खूब जलो, दूसरो का कद देखकर
जब जलोगो तभी कुछ करने की ठानोगे !

P.N. Subramanian ने कहा…

बड़ी सामायिक रचना. १५ अगस्त करीब ही है. बिलकुल यह "कदम कदम बढाये जा ख़ुशी के गीत गए जा" वाले गीत की तर्ज पर प्रेरक रचना है. आभार.

mehek ने कहा…

एक ठान ली है जब, तो उसी राह पर बढो
बाधायें तो आयेंगी, पर पार कर चलो ।
ऐसे दिन की फिर सुहानी ही होगी रात
आयेगी सुख की नींद ये मान कर लो |
ek nayi umang jagati hai kavita mann mein.sahi jo apnepaas hai ,us mein hi khushi dhundh leni chahiye.hausle aur himmat ke binah par phir koshish jarur karni hogi.khup chan kavita.sunder.

Vinay ने कहा…

बहुत ही उम्दा

Harish Joshi ने कहा…

बुरा देखन जो मे चला बुरा ना मिलया कोई ,....कबीर की पंक्तियाँ हमे प्रेरणा देती रहीं पर हमने दूसरों के अनुभव से सबक लिए कब हैं

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi sundar manthan ......jo urja de rahi hai

संगीता पुरी ने कहा…

मुसीबतें तो कहीं भी आ सकती हैं .. सोंच तो सार्थक होनी ही चाहिए .. रचना प्रेरक है .. इसमें कोई संदेह नहीं !!

Unknown ने कहा…

PRERNAADAAYI KAVITA........
ABHINANDAN !

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

atyant sundar abhivyakti....
thanks for sharing this one..

Prem Farukhabadi ने कहा…

एक ठान ली है जब, तो उसी राह पर बढो
बाधायें तो आयेंगी, पर पार कर चलो ।

bahut sundar bhav!badhai!

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 ने कहा…
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कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 ने कहा…

आपको मेरा प्रणाम, उत्साह वर्धन के लिए आभार, परिपक्व लेखनी की मालिक हैं ॥