मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

कविता



टप टप टप बूँदों से आते शब्द नाचते,
झर झर झर धारा सी बहती है कविता।

सर सर सर लहराता जाता किसी का आँचल,
पायल की रुनझुन सी खनकती है कविता।

गुलशन में चटखती नन्ही नन्ही कलियाँ,
खुशबू वाली हवा सी बहती है कविता।




माँ की घुडकी, झिडकी और मीठी सी थपकी,
फिर उसकी लोरी सी बहती है कविता।

जच्चाघर से आती अजवायन की खुशबू,
और नन्हे रुदन सी बिलखती है कविता।

बादल की शिव के डमरू सी गड गड गड गड
और बिजली की लहर सी कडकती है कविता।

मन की कभी उदासी, कभी वो बेहद खुशियाँ,
मन के इन भावों सी बदलती है कविता।

तेरे, मेरे, और हम सब के जीवन जैसी,
कभी सरल तो कभी हठीली है कविता।


चित्र गूगल से साभार।

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

प्यार

प्यार होता है कब, कहाँ, कैसे,
खिल सा जाता है दिल कली जैसे।

मन में एक रागिनि लहराती है
हवा भी खुशबूएँ सी लाती हैं,
धूप में चांदनी नहाती है।
मौसम भी हो रहा भला जैसे।

कब कैसे कोई मन को भाता है,
बिन उसके कुछ नही सुहाता है,
कैसे यकायक से सब बदलता है,
सपना साकार उठा हो जैसे।
उसके ना दिखने से वो बेचैनी,
बात ना करने पे परेशानी,
और अपनी कैसी कैसी नादानी,
होके मन बावला फिरे कैसे।

रात अपनी ना ही दिन अपने,
मन में खिलते हजारों में सपने,
उसका ही नाम बस लगे जपने,
अजनबी खुद से हो लिये जैसे।


वही अपना खुदा, वही भगवान,
उसके मुस्कान पे जहाँ कुर्बान,
उसकी बातें ही गीता और कुरान
धरम और करम सब पिया जैसे।

क्या कहें प्यार कैसे होता है,
बस इक बुखार जैसे होता है
ये कभी ना कभी उतरता है,
तब सब बचपना सा लगता है
मोड से आगे बढ जाना जैसे।

चित्र गूगल से साभार।