रविवार, 31 मई 2009

एक शाम



कहीं दूर क्षितिज पर
समंदर में डूबता सूरज
शायद, छन्न की आवाज करता हुआ ।

रेत में पाँव फैलाये तुम
उडते हुए अलक ,चेहेरा
आभा से दमकता हुआ

सांझ के बिखरते रंग
फैलते आकाश पर
मै हिंडोले पर झूलता हुआ

सलेटी रंग में घुलते से सारे रंग
आकाश में इक पतंग
अकेली सी

अंधेरे की दूब पर
तारों के खिलते फूल
चाँद खिसियाया हुआ

चलो चलते हैं वाली
भंगिमा में, उठतीं तुम
मेरा दिल बुझता हुआ ।

आज का विचार
अगर आप खिडकी खुली रखेंगे तो लोग तो झाकेंगे ही ।

स्वास्थ्य सुझाव
मूली के पत्ते केल्शियम और विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत तो हैं ही, साथ ही बिलीरूबीन को कम करने में भी कारगर हैं

शनिवार, 23 मई 2009

झूट और सच


झूट और सच
झूट की चमक में कहीं सच है खोगया
कोयले की खान में हीरा फिसल गया।
अब कौन करेगा यकीन सच्ची बात पर
जब झूट ने इत्ता बडा वकील कर लिया ।
सबूत चाहिये, वह तो जुटा ही लेगा झूट
सच के सबूतों को इसने कबका ढक दिया ।
हम आप भी तो अक्सर अब बोलते हैं झूट
बचपन की सच्ची बात को हमने भुला दिया ।
सच का पहन के सूट चला जा रहा है झूट
सच को तो उसने अपना कफन है उढा दिया ।
कोशिश न करो तुम भी कभी बोलने की सच
कहना नही है झूट, तो बस मौन रख लिया ।
छोडो न यार ये किस झमेले में पड गये,
क्या सच है और झूट क्या किसने पता किया ।

सोमवार, 18 मई 2009

नीड का निर्माण फिर फिर

राष्ट्रवादी ताकतों की हार पर दुख और हताशा जताने वाला एक लेख पढा । पर लेख के अंत में उत्साह बढाने वाली हरिवंश राय बच्चन की यह कविता पढकर बहुत अच्छा लगा । काँग्रेस ने शायद इसी तर्ज पर काम किया होगा । अब भाजपा हो या हम में से कोई सबके लिये यह कविता संबल बनकर उभरती है । कितनी बार जीवन में ऐसे प्रसंग आते है जब हम चारों तरफ से निराश और हताश हो जाते हैं । उस वक्त के लिये यह कविता ।

नीड का निर्माण फिर फिर
नेह का आव्हान फिर फिर

यह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँती घेरा
रात सा दिन हो गया
फिर रात आई और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा
रात के उत्पात भय से
भीत जन जन भीत कण कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर फिर
नीड का निर्माण फिर फिर
नेह का आव्हान फिर फिर

क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों में
उषा है मुसकराती
घोर गर्जनमय गगन के
कंठ में खग पंक्ति गाती
एक चिडिया चोंच में तिनका लिए
जो जा रही है
वह सहज में ही पवन
उनचास को नीचा दिखा रही है
नाश के दुःख से कभी
दबता नहीं निर्माण का सुख
प्रलय की निस्तब्धता में
सृष्टि का नवगान फिर फिर
नीड का निर्माण फिर फिर
नेह का आव्हान फिर फिर ।

रविवार, 10 मई 2009

माँ, तुमने

माँ, तुमने
सही मेरी कितनी ही शैतानियाँ
और अनदेखी सी कर दीं कितनी ही नादानियाँ
डाले परदे मेरी कितनी ही बदमाशियों पर
और फिर बांटीं हमेशा दु:खभरी तनहाइयां

पऱ अकेले में सदा ही दी समझ पहचान की
क्या सही है क्या गलत है, मान की अपमान की
तभी तो बन सका हूँ मैं जो कुछ भी आज हूँ
धन्यवाद कह नही सकता, मै तेरा ही साज़ हूँ ।

आज का विचार
जब आप कुछ पाना चाहते हैं तो सारा ध्यान उसीपर केंद्रित करें, आप अवश्य सफल होंगे ।
स्वास्थ्य सुझाव
चुकंदर को उबाल कर सलाद में खाइये ये हीमोग्लोबीन की मात्रा बढाता है ।

शनिवार, 2 मई 2009

हो गये चुनाव


लो हो गये चुनाव
वोट डालने का पांच सालाना याग खत्म हो गया
हमें न कुछ मिलना है न मिला था
बस बंदर बांट का सिलसिला नये से शुरू हो गया ।
तो फिर क्यू डालें हम वोट, क्यूं उठायें जहमत
कतार में खडे होने की एक बार और
हो गये हैं खासे बोर
कोई जीते कोई हारे हमें क्या,
हम वोट दें ना दें तुम्हें क्या,
जो भी आयेगा
खूब खायेगा
औघा जायेगा तब भी
ना रुकेगा
क्यूं कि लालच का अंत नही
सात पीढियों तक की ही सोचें ऐसे वो संत नहीं
हमें तो करनी है वही मजदूरी
जमींदारों की बेगारी
मालिकों की तलबगारी
वही सोचना है दो वक्त की रोटी का
बडी होती बेटी का
खाली पेट और खाली झोटी का ।
और गरमी भी क्या गजब़ की पडी है इस बार
न कहीं छाँव न पानी की फुहार
सब तरफ से हमारी ही हार
ऊपर वाला भी ना सुने गरीब की पुकार
तो ये नेता क्या सुनेंगे
इनके कान में तो ये इसके बाद रुई ठूँस लेंगे
कहाँ है रोजगार, कहाँ हैं सडकें, कहाँ है पीने का साफ पानी
और कहाँ है सुरक्षा ?
सिक्कों की खन खन में, ना नोटों के फुसफुस में
ये बातें लगतीं हैं बेमानी
पर अगर अभी हम ना जागे
जो हैं थोडे से लोग अच्छे
उन्हें ना लाये आगे
तो ये ऐसा ही चलेगा
बद से बदतर होता जायेगा
इसलिये शायद करना चाहिये हमें
इस इकलौती ताकत का इस्तेमाल
तो शायद कभी सुधरे हमरे बेटों का हाल ।


आज का विचार
ईश्वर मुझे अपने बारे में ऊँचे विचार रखने में मदद करे ।

स्वास्थ्य सुझाव
जौ का पानी लगातार ३ महीने पीने से आपके शरीर से विषैले पदार्थों का निकास होने में मदद मिलती है ।