मेरी तरह जो कितनों की कलम चल पडी है,
इस कलम से निकल कर स्याही फिसल पडी है ।
स्याही से ही बन बन कर अक्षर बिखर रहे हैं
उन मोतियों को चुन कर शायर पिरो रहे हैं ।
कितनों ने यहाँ देखो कितने कलाम लिख्खे
संपादकों के दफ्तर कितने पयाम रख्खें ।
जूते ही घिस गये रे चक्कर लगा लगा कर
फिर देखा प्रकाशक की भी हाजिरी लगा कर ।
कविता की ये किताबें बिकती नही है यारों
शायर की मुफलिसी है दुनिया में आम यारों ।
इसी से तो ब्लॉग पर ही लिखने की हमने ठानी
और शुक्रिया है उनका जो पढें हमारी बानी ।
26 टिप्पणियां:
सुन्दर कविता. या कहें तो सुन्दर ब्लॉग-कविता!!
इसी से तो ब्लॉग पर ही लिखने की हमने ठानी
और शुक्रिया है उनका जो पढें हमारी बानी
ekdam barobar muddha mandla aahe,blogging muley khup fiada jhala,nave mitra bhetle,aanni sunder kavita lekh vachayala milale.
बहुत सुंदर रचना .. बिल्कुल सही कहा !!
कविता के माध्यम से आपने ठीक ही कहा कि कम से कम सम्पादकों से तो निजात मिली।
रचना छपने के लिए भेजे पत्र अनेक।
सम्पादक ने फाड़कर दिखला दिया विवेक।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपने सब ब्लागरों की दास्ताँ लिख दी है...अपने आप को अभिव्यक्त करने का ऐसा माध्यम और दूसरा कहाँ?
नीरज
सुन्दर और सटीक रचना. बाकी कुछ हो न हो "नवे मित्रा भेंटले" यह तो एक उपलब्धि रही है
ek rachana ke publish karane ke liye ek rachcnaakar ko jin taklifo se gujarana padata hai us taklif ko bahut hi sundar se wyakt kari hai ....sundar
सही कल.. अब हम कहेगें ब्लोगिंग यूँ..
सही कहा.. अब हम कहेगें ब्लोगिंग यूँ...
गजब इत्तफाक है, आज यही बात मैंने अपनी पोस्ट में कही है। पर आपकी कवितामय प्रस्तुति लाजवाब है-
कितनों ने यहाँ देखो कितने कलाम लिख्खे
संपादकों के दफ्तर कितने पयाम रख्खें ।
जूते ही घिस गये रे चक्कर लगा लगा कर
फिर देखा प्रकाशक की भी हाजिरी लगा कर ।
कविता की ये किताबें बिकती नही है यारों
शायर की मुफलिसी है दुनिया में आम यारों ।
अपनी पोस्ट में इस कविता का लिंक दे रहा हूँ। इसके लिए आभार।
ये तो सभी ब्लॉगरों की तरफ से शुक्रिया है. :)
आपकी पोस्ट पढ़कर बहुत ख़ुशी हुयी !
आशा है आगे भी आप ऐसी ही पठनीय रचनाएं लिखती रहेंगी !
पुनः आऊंगा !
हार्दिक शुभ कामनाएं !
बहुत अच्छी बात कही , शुक्रिया !
एक बहुत ही सुंदर रचना.
धन्यवाद
सच में - कई झंझटों की दवा है ब्लॉगिंग। :)
aasha ji dhanyawad aapan majhi athavan keli, actualy me english blog warti jast kahi lihit nahi,maza hindi blog wordpress var aahe.
http://mehhekk.wordpress.com/
aplya blogwar fakt googlewale blogger comment karu shaktat mhanun kadachit aplyala mahit nasawe.me pan aadhi sangitale nahi sorry for that.
kadhi time milala tar jarur vachayala yawe.me vaat pahin.wish u good health.
aasha ji aaple khup khup aabhar sundr sunder pratrikriya dilya baddal.
Kayi dinon baad aapke blog pe aa payee hun..!
Hameshaki tarah padhna behad achha anubhav raha...seedhe,saral alfaaz...eemandaree se kahee gayee dilkee baat...!
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
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http://shama-kahanee.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://chindichindi-thelightbyalonelypath.blogspot.com
बहुत सुन्दर कविता सुन्दर अभिव्यक्ति .
कविता की ये किताबें बिकती नही है यारों
शायर की मुफलिसी है दुनिया में आम यारों ।
इसी से तो ब्लॉग पर ही लिखने की हमने ठानी
और शुक्रिया है उनका जो पढें हमारी बानी ।
बहुत सच कहा आपने!
Chaliye apne to blogars ki kahani hi padya rup men likh dali..sundar rachna.
Bahut khub.Bahut khub.
amazing....really its very wonderful post...indeed a good poem..
जी ये हमारा सौभाग्य है जो आपको पढ रहे है.. लग रहा है काफ़ी मूड मे थी आप इसको लिखते समय..
bahut se card jin par chpa hai .hme khed hai abhi tak sambhalkar rkhe the krreb 10 salo tk .aaj ham garv se kh skte hai ham svnth sukhay ke liye likhte hai .
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