सोमवार, 26 दिसंबर 2011

गुजर गया ये भी साल


गुजर गया दो हजार ग्यारह
आ ही गया दो हजार बारह
स्वागत में फिर से नये साल के
होंगे कईयों के पौ बारह ।

नया साल शुभ हो मंगल हो
होगा दान प्रदान वचनों का
फिर एक सिलसिला चलेगा
नये साल के संकल्पों का ।

राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री
देंगे शुभाशीष जन-जन को
नया वर्ष शुभ हो मंगल हो
सारे भारत के जन गण को ।

पर लायेगा नया साल क्या
होंगी खुशियां या गम होंगे
छुपा है क्या इसके आंचल में
अमन रहेगा या फिर दंगे

सुख चैन होगा नसीब क्या
या करेंगे आतंकी, हमले
बरपा मासूमों पे कहर
देखेंगे जन्नत के महले ।

सब को सुख शांति नसीब हो
मिले पेट भर भोजन सबको
मेहनत जितनी रब करवा ले
पर हक का मिल जाये सब को ।

नौ प्रतिशत हो विकास की दर
या कि रहे सात प्रतिशत ही
भ्रष्टाचार मिटाने आयें
अण्णा से सुरजन कई कई ।

पैसे की बचत ही है आमदनी
कब ये नेताजी समझेंगे
या फिर जाग रहे होंगे पर
नाटक, आंखें भींच करेंगे ।

पैसे की अब कमी नही है
कमी है तो बस है चरित्र की
नया साल तब सुखमय होगा
जब होगी सरकार सुजन की ।

सब बंधु भगिनियों को नये वर्ष की शुभ कामनाएं ।

रविवार, 11 दिसंबर 2011

बीज और वृक्ष


मेरी जडें फैली हैं दूर दूर तक,
और मेरी टहनियां व्याप रहीं हैं सारा आकाश
कब सोचा था मैने मेरा छोटा सा अस्तित्व इतना बनेगा विशाल
बीज से उठ कर लहरायेगी डाल डाल ।
छू लेंगी आसमान मेरी टहनियाँ
इन पर बैठ कर पंछी सुनायेंगे कहानियाँ
बनायेंगे छोटे छोटे घरौंदे
तिनका तिनका डोरा डोरा गूंथ के ।
नीचे बैठेंगे थके हारे पथिक
और मेरी टहनियां झुक जायेंगी अधिक
लडकियां डालेंगी झूले, युवतियाँ कजरी गायेंगी
और मेरी पत्तियाँ मुस्कुरायेंगी ।
बच्चे खेलेंगे मेरी छांव में
चढेंगे मेरे कंधों पर एक एक पाँव रख कर
और मैं खांचे बना कर उन्हें सम्हालूंगा ।
टहनियों में झुलाउंगा ।
कितना सुख है इस सब में
कितना तृप्त हूँ मै जीवन में
सूख जाऊँगा तब भी लकडियाँ दे दूंगा
किसी के चूल्हे, किसी के अलाव, किसी की चिता के लिये ।