सोमवार, 26 नवंबर 2007

यात्रा ए हवाई 5...अंतिम..

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू (हवाइ की राजधानी) के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँ से फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक सुबरू कार किराये पर ली । कवाई के खूबसूरती का आनंद उठाते हुए हम कार से हनलाई बे रिसॉर्ट की और चल पडे जहां हमे एक हफ्ते के लिये टाइम शेयर का अपार्टमेन्ट मिला था । (सुहास के बेटे अजय को सौजन्य से ) दूसरे दिन गये हनलाई बीच और पक्षी अभयोद्यान वहाँ खूब मजे किये । तीसरे दिन फार्मर्स मार्केट गये और हदाई के फल और सब्जियाँ खरीदीं । चौथे दिन हमें जाना था हिंदु मोनॅस्ट्री और वायमिया केनियॉन्स । हिंदु मोनेस्ट्री में कोई २५० विद्यार्थी हिंदु ध्रर्म की दीक्षा ले रहे हैं । ये एक शिव मंदिर है । यहां मुख्य मू्र्ती स्फटिक का शिवलिंग है । और नटराज की भी बहुतसी मूर्तीयाँ हैं । आस पास का परिसर तो बहुत ही सुंदर है । विभिन्न प्रकार के पेड पौधों से सजा हुआ । वायमिया केनियॉन्स कवाई के पश्चिम में हैं। ये हैं बडी बडी खाइयाँ और पहाड , दस मील तक फैली हुई हैं और बहुत ही भव्य हैं । इन सब सुंदर जगहों से आँखों को तृप्त कर हम थोडी देर समंदर के किनारे बैठे सी पॉन्ड बीच पर और वापिस ठिकाना पास किया । गुरुवार को हमें हवाइयन पार्टी –लुआउ में जाना था स्मिथ परिवार के घर , वहाँ पहले हम लोगों का सवागत हुआ फिर एक बडे से बागीचे की सैर फिर एक कुकिंग डेमो, फिर खाना और फिर नृत्य और गायन ।
अब आगे..

गुरुवार रात से ही खूब बारिश हो रही थी और रात भर हुई । यह हवाई की सामान्य बारिश नही थी । हमें शुक्रवार को बोट टूर पर जाना था । गुरुवार रात को ही ऑरगेनाइजर का फोन आ गया कि कल की टूर शायद न हो और आप कल कनफर्म कर लेना । सुबह ७ बजे पहुँचना था । हम सब जल्दी जल्दी तयार हुए । और फोन करने स्वागत कक्ष में पहुंचे कि बोट अगर जाने वाली हो तो हमारे तरफ से कोई देरी न हो । लेकिन पता चला -नही बोट नही जायेगी और यही क्या कोई भी बोट नही जायेगी, क्यू कि तूफान का अंदेशा है । गया दिन पानी में । बडे मायूस हो कर कमरे में लौटे। अगला दिन हमारा आखरी दिन था, इसलिये कुछ ज्यादा प्लान भी नही किया था । इतवार को सुबह ही हमारी उडान थी । उसके पहले कार भी वापस करनी थी । तो नाश्ता कर के फिर आ गये नीचे स्वागत कक्ष में कि कल के लिये ही कोशिश करते हैं पर, “नही कल भी कोई बोट टूर नही “ जवाब मिला । फिर हेलीकॉप्टर टूर के लिये पता किया वह थी पर अगले दिन । तुरंत उसके लिये बुकिंग किया वह सुबह थी १० बजे । उसके लिये हमें ९ बजे पहुंचना था । चलो शनिवार तो हुआ बुक ।
अब आज क्या करें । थोडी देर में धूप निकल आई करीब ११ बजे थे । तो सोचा चलो पहले थोडी बहुत शॉपिंग करते हैं और एक और बीच एक्सप्लोर करते हैं । फिर बैठे सुबरू में और पहुंचे एबीसी स्टोर गिफ्टस् खरीदें और फिर अनीनी बीच ।
ये वाइल्ड बीच माना जाता है । रास्ते में एक फल की दूकान से शुगर लोब पाइन एपल खरीदे और आम भी । कि थोडा चबेना हो जाये ।

ऐसे देखने से तो कोई तूफान वूफान का पता नही चल रहा था । मै और सुहास शंख और सीपियाँ ढूँढने लगे पर कोरल के टुकडों के सिवा कुछ न मिला । पर समंदर था
उग्र । काफी बडी बडी और ऊँची ऊँची लहरें आ रहीं थी । उन लहरों की बहुत सी तसवीरे ली, विडियो किया । वहाँ बडे सारे लडके सर्फिंग कर रहे थे । फिर वहाँ किनारे पर यहां से वहाँ घूमे । फिर सुहास ने और मैने रेत के घर बनाये, पाँव को रेत में डाल कर उसके ऊपर रेत थाप थाप कर । फिर सुहास को क्या सूझी उसने अपनी पॅन्ट घुटने तक ऊपर उठा कर उस पर खूब सारी रेत डाल कर थाप कर बैठी रही । पूछने पर कहा नेचरोपॅथिक ट्रीटमेन्ट ले रही हूँ आरथ्राइटिस के लिये । ३-४ घंटे वहाँ गुजारने के बाद मुल्लाजी वापस अपने मस्जिद में । फिर अपने पंछी दोस्तों के साथ चाय बिस्कुट का दौर चला । फिर थोडा टी वी देखा और नीचे रिसॉर्ट घूमने चले गये फिर वहीं के रेस्तराँ में पिज्झा खाया और वापस रूम्स में । कल हेलीकॉप्टर टूर पे जाना था सभी उत्साहित थे और थोडे आशंकित भी, पहली बार जो चढना था हेलीकॉप्टर पर । बोट पर न जा पाने का दुख सभी को था पर मुझे, सुहास और विजय को थोडा ज्यादा । झूलॉजिस्ट जो ठहरे । हमने तय किया था कि हेली टूर की बजाय बोट टूर लेंगे पर हेलीकॉप्टर पर तो चढना बदा ही था ।
दूसरे दिन सुबह ९ बजे खा पीकर पहुँच गये हॅली पॅड पर। हमारी हॅली कंपनी थी
हेली-यू एस ए । पहले हमारा कॉफी व कुकीज से सत्कार हुआ फिर हमें इस टूर के
बारे में एक फिल्म दिखाई गई जिसके कुछ अंश आप भाग ३ में देख चुके हैं ।
दर असल हेलीकॉप्टर आपको पूरे कवाई की आसमानी सैर कराता है । तो भई फिल्म देख कर तो तबियत खुश हो गई । वहाँ से बाहर निकले तो हमें सेफ्टी जॅकेट दिये गये उन्हे पहनना कैसे यह बताया गया और सुरक्षा से लैस होकर हम सब चढ गये हॅलीकॉप्टर पर (बिलकुल चढ़ जा बेटा सूली पर वाले अंदाज में) । मुझे और सुहास को आगे बिठाया गया क्यूंकि हम दोनों का वज़न अपेक्षा कृत कम था । और विजय तथा सुरेश को पीछे इस बात का उन्हें बडा मलाल रहा क्यूंकि फोटो आगे से ही अच्छे खींचे जाते और हमारी काबिलियत पर और मर्दों की तरह उन्हें भी ज्यादा भरोसा नही था । तो हमारे हेलीकॉप्टर ने उडान भरी और ले गया वो हनलाई बे के ऊपर । फिर हरे भरे खेतों के ऊपर से होता हुआ पहुंचा वाईलेले पहाड पर बीच में एक जगह न्यू्क्लीयर पॉवर हाउस दिखाई दिया और नोमोलोकामा प्रपात देखें । इस बडे प्रपात के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे झरने भी देखें । फिर दिखीं वायमिया केनियॉन्स जिनका एक बडा सा भाग काफी हराभरा और सुंदर था और ज्वालामुखी पहाडी । इसके बाद था अलक्काई स्वाम्प और पिर भव्य और दिव्य़ नापाली कोस्ट । जहाँ आप उतर नही सकते सिर्फ देख सकते हैं ,क्यूंकि यहाँ कोई बीच नही है सारा का सारा कोस्ट पहाडी है । पहाड और सीधा नीचे समंदर । जो कि हमारा आखरी पॉइन्ट था , इसके बाद वापिस । बडे एकसाइटेड उतरे सब के सब । टूर की डीवीडी हमें भेंट स्वरूप मिल गईं । वापस आये खाना खाय़ा और हनलाइ बीच पर पहुँच गये । देर तक बैठे रहे सूरज के डूबने के इंतजार में और खूब तसवीरें लीं । कल तो उगते सूरज को देख सकते थे हम कवाई में बस । तो वापिस आ कर हवाई के गाने सुनते रहे । फिर रात को पॅकिंग किया सुबह ८ बजे जो निकलना था । सोने से पहले कवाई को धन्यवाद तिया इतना अच्छा समय देने के लिये । सुबह उठे, तैयार हुए और निकल पडे, जानेसे पहले सब को महालो कहा जिसका मतलब है घन्यवाद । फिर कवाइ एयर पोर्ट फिर होनोलूलू और एक और फ्लाइट से एल ए । रात भर एल ए में गुजारने के बाद फिर अगली फ्लाइट से बॉस्टन और ड्युरहम अमित के घर । सब को सफर के खूब किस्से सुनाये और गिफ्टस दिये । हमने तो बहुत एन्जॉय किया, आपको कुछ मजा आया ?
..समाप्त...
(उपरोक्त संदर्भ मे--चित्र SlideShow देखे )





(उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे )

बुधवार, 21 नवंबर 2007

यात्रा ए हवाई ४

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू (हवाइ की राजधानी) के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँ से फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक सुबरू कार किराये पर ली । कवाई के खूबसूरती का आनंद उठाते हुए हम कार से हनलाई बे रिसॉर्ट की और चल पडे जहां हमे एक हफ्ते के लिये टाइम शेयर का अपार्टमेन्ट मिला था । (सुहास के बेटे अजय को सौजन्य से ) दूसरे दिन गये हनलाई बीच और पक्षी अभयोद्यान वहाँ खूब मजे किये । तीसरे दिन फार्मर्स मार्केट गये और हदाई के फल और सब्जियाँ खरीदीं । चौथे दिन हमें जाना था हिंदु मोनॅस्ट्री और वायमिया केनियॉन्स । हिंदु मोनेस्ट्री में कोई २५० विद्यार्थी हिंदु ध्रर्म की दीक्षा ले रहे हैं । ये एक शिव मंदिर है । यहां मुख्य मू्र्ती स्फटिक का शिवलिंग है । और नटराज की भी बहुतसी मूर्तीयाँ हैं । और आस पास का परिसर तो बहुत ही सुंदर है ।विभिन्न प्रकार के पेड पौधों से सजा हुआ । वायमियावासमिया केनियॉन्स कवाई के पश्चिम में हैं। येहैं बडी बडी खाइयाँ और पहाड , . यो दस मील तक फैली हुई हैं और बहुत ही भव्य
हैं । इन सब सुंदर जगहों से आँखों को तृप्त कर हम थोडी देर समंदर के किनारे बैठे सी पॉन्ड बीच पर और वापिस ठिकाना पास किया ।
अब आगे.........


आज था गुरुवार और आज हमें हवाइयन पार्टी में जाना था जिसे हवाइयन भाषा में लुआउ कहते हैं । हवाई में जो यहाँ के रईस परिवार हैं, वे ये डिनर कम मनोरंजन पार्टियाँ आयोजित करते हैं । यही इनका कमाई का जरिया है । क्यूं कि टिकिट खरीद कर ही इस पार्टी में आप शामिल हो सकते हैं ।
इनके पास बडे बडे बागीचे हैं और शानदार घर हैं और बडे बडे परिवार भी । एक परिवार में कम से कम ५० सदस्य होते हैं चार पाँच पीढीयाँ तो आराम से होती है। और परिवार के ही लोग स्वागत से लेकर मनोरंजन तक का भार सम्हालते हैं, जिसमें खाना बनाना, सजाना, आवभगत करना, मनोरंजन कार्यक्रम करना सब आता है। इस तरह का परिवार देखकर और इन्हें यूँ मिलजुल कर ये एकदम अभिनव बिजनेस करते देखकर बडा अच्छा लगा ।

हम जिस परिवार की पार्टी में गये थे ये था स्मिथ परिवार इनके पर-दादा मिस्टर स्मिथ
जो कि ब्रिटिश मूल के थे, कोई ८० साल पहले कवाई में आये और यहीं के हो गये । शादी भी हवाइयन लडकी से की और इन्ही दोनों का ये परिवार है । । ज्यादा तर सदस्य शक्ल से हवाइयन ही लगते हैं ।
इस परिवार में ये काम इनके दादाजी ने शुरू किया
हमें इस पार्टी के लिये साढेचार बजे पहुँचना था । तो हम ने चार बजे तक अपने और काम निबटाये जैसे सामान खरीदना, लॉंड्री करना, सोना इत्यादि । और चार बजे निकल पडे। ये स्मिथ इस्टेट वाइलुआ नामक नदी के पास है । कोई ३० एकड में फैला हुआ तो बागीचा ही है ।

ठीक साढेचार बजे हम वहाँ पहुंच गये । और लाइन में लग कर टिकिट ले लिया । टिकिट लेकर फिर स्वागत की लाइन में खडे हुए पर जैसे ही हमारी बारी आई बडे प्रेम से मुस्कुराकर हमें शंखों की माला पहनाई गई जिसको लेई कहते हैं (लेई यानि माला या हार बडे खूबसूरत ऑरकिड्स की भी लेई बनाई जाती है ) ) । , और आलोहा कह कर हमारा स्वागत किया गया । उसके बाद हवाइयन सुंदरियोंसुदरियों के साथ हमारी फोटो खींची गई । य़े सुंदरियाँ अपने पारंपरिक पोशाक में थीं (चित्र SlideShow देखे ) । वहाँ से आगे हमें ट्राम के लिये लाइन में लगना था । य़ह ट्राम ही हमें बागीचे की सैर कराने वाली थी । एक वक्त में इसमे कोई २०-२५ लोग बैठ सकते है । तो शुरू हो गई हमारी बागीचे की सैर । दुनिया भर से लाये हुए पेड पौधे इस बागीचे में देखे जा सकते हैं । चंपा, चमेली, मोगरा, जास्वंदी, सोन चंपा (मेग्नोलिया) , बोगनबेलिया, बर्ड ऑफ पेराडाइज, पपीता, अननास, कटहल, अवोकेडो,आम, इमली, तरह तरह के पाम (ताड वृक्ष) और किस्म किस्म के पक्षी । तरह तरह की का बत्तखें , कबूतर, तीतर, काकाकुवा और मोर भी । मोर के छोटे छोटे चूजे भी देखे जो मोर की तरह सुंदर रंगों वाले नही होते बल्कि थोडे भूरे मटमैले रंग के होते हैं । हवाई में तितलियाँ नही होतीं, दूसरे जमीनों से इतनी दूर का सफर तय कर पाना उनके लिये असंभव होता है । यहाँ एक जापानीज गार्डन भी था, छोटे छोटे तरतीब से कटे हुए पेड जिनकाडिनका छत्रीनुमा आकार बडा हीङी मोहक था। वहीं हमे मिले दो बतख जो कि कुछ खाना पाने की आस में हमारे पास पास आते ही जा रहे थे और मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मेरे पास उन्हे देने के लिये कुछ भी नही था। और फिर देखे मोर इतने सारे कि दिल खुश होगया । इनके खूब सारे फोटे खींचे । आप भी चित्र SlideShow देखिये ।

ये सब करते करते काफी समय गुज़र गया, अब सब लोग इकटठा होकर इमू समारोह का इंतजार कर रहे थे । इमू एक जमीन के अंदर की भट्टी को कहते हैं । इसमें हवाईयन लोग सुअर का मांस पकाते हैं (चित्र SlideShow देखे ) । आग इस भट्टी के ऊपर सुलगती है । मै तो विशुद्द शाकाहारी और हम में से जो मांसाहारी भी थे उन्होने सु्अर तो कभी नही खाया था और न ही ऐसी कोई ख्वाहिश थी । पर वो पूरी प्रक्रिया देखने के बाद लगा कि अन्न को पूर्ण ब्रह्म यूं ही नही कहा गया । तो सू्अर तो पक गया था, इस इमू समारोह में उस भट्टी को खोल कर उसे निकाला भर जाना था ।
इतने में हमने देखा कि दो पंडानुमा व्यक्ती वहाँ आये गेरुए रंग की लुंगी पहने । उनके हाथों मे बडा सा शंख था । बडे श्रध्दा से उस शंख को बजाया गया तीन बार और फिर शुरू हुई भट्टी खोदने की प्रक्रिया । उन्ही दो लोगों ने फिर कुदाल लेकर भट्टी को खोदा ऊपरी मिट्टी की कोई ६ इंच मोटी परत हटा कर सफेद चादर निकालीं गईं इस दौरान सारा धुआँ धुआँ या भाप भाप हो रहा था । चादर के हटते ही दिखीं कुछ लकडियाँ जिन्हे हटाने पर उनके नीचे एक स्टेनलेस स्टील के बडे से ट्रे में केले के पत्तों में लिपटा हुआ सुअर का माँस जो कि साफ किया हुआ था । और उसी ट्रे पर एक बडे़ से स्टील के पतीले में पानी था जो काफी़ गरम लग रहा था। जाहिर है कि पकाने की क्रिया भाप से हुई होगी । उस ट्रे को फिर वहाँ से डायनिंग हॉल में ले जाया गया । (चित्र SlideShow देखे )

अब खाने के लिये चलने की घोषणा हो चुकी थी तो हम सब चल पडे । सुंदरसुदर सजे हुए टेबलों पर फूल रखे हुए थे । हमने एक टेबल चुना और हम चारों बैठ गये । बार बार घोषणाएँ की जा रही थी कि मधुशाला खुली है, सबके लिये, आओ और जिसे जो चाहिये लेकर पीओ ,माईताई (एक हवाइयन किस्मकिसम का मद्य ) , बीअर, वाइन, हवाइयन पंच (फलों का मिलाजुला रस) सब है यहाँ । मैने और सुहास ने हवाइयन पंच लिया और विजय और सुरेश ने माईताई । थोडी देर के बाद डिनर अनाउन्स हुआ और हम खाने के टेबल पर गये इतने विभिन्न प्रकार के व्यंजन थे । पर जैसे लोग अपनी जडों को छोडना नही चाहते वैसे ही जिस पदार्थ का यहाँ महत्व था और जिसे चखने का बारबार अनुरोध किया जा रहा था वह था पोई यह शकर कंद को उबाल कर घोंट कर बनाया जाता है और जितनी श्रध्दा से इसे खाया जाता है वह देखते ही बनता है । यह शायद वह खाना हो जिसे खाकर इन लोगों ने अपने शुरू के दिन निकाले हों । बहर हाल स्वाद मे तो कुछ खास नही लगा । पर और खाना बहुत था । तरह तरह के सलाद, फल, ब्रेड (इतनी नरम) छोंकी हुई बीन्स , तरह तरह के केक, आइसक्रीम, मश्रूम और बहुतसे मांस के पदार्थ (चिकन, क्रेब, झींगे और यहाँ की प्रसिध्द मछली माही माही)। खाना लेकर हम अपने टेबल पर आये और सामने स्टेज पर स्मिथ परिवार के सदस्य रंगारंग कार्यक्रम पेश कर रहे थे (डान्स और गाने) (उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे )। और कुछ सदस्य हमारे टेबल पर आ कर और खाना लेने का अनुरोध कर रहे थे । बिलकुल भारत की याद आ गयी ।



बढिया डिनर तथा कॉफी के बाद प्रोफेशनल्स द्वारा डान्स का कार्यक्रम था , जिसके लिये हमें पास ही एक थियेटर में जाना था । तो गये और सीट पर बैठे । ये ओपन एयर थियेटर था । परदा तो था नही तो पहले बिलकुल अंधेरा कर दिया गया और जैसे ही नर्तक, नर्तिकाएँ स्टेज पर आते तो फ्लड लाइटस् उनके ऊपर फेंकी जाती । शुरू में हवाईयन नृत्य हुआ फिर ताहिती इस नृत्य द्वारा बताया गया कि कैसे यहाँ के मूल निवासी ताहिती से यहाँ आये । ये अपने आपको अग्नि पुत्र मानते है । शायद इसका इन द्वीपों पर जीवंत ज्वालामुखी होने का कोई संबंध हो । तो इस नृत्य द्वारा ये कहानी बताई गई कि कैसे अग्नि देवता ने इन्हे ताहिती से हवाई द्वीपों में जाने का आदेश दिया और कैसे ये यहाँ आकर बस गये । इसके बाद युध्द नृत्य हुआ जिसमें खूब जोर से नगाडे बजा कर नाच हुआ । इसके उपरान्त चीन व जापान के नृत्य हुए (चित्र) । तब तक ९:३० बज गये थे और बारिश भी होने लगी थी इसलिये बडी अनिच्छा से हम कार की और रवाना हुए । नई जगह रात का वक्त इसलिये सुहास को थोडी टेन्शन हो चली थी। पर बहुत मजा आया इस लूआउ में । (क्रमश:)

शनिवार, 17 नवंबर 2007

यात्रा ए हवाई ३

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू (हवाइ की राजधानी) के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँ से फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक सुबरू कार किराये पर ली । कवाई के खूबसूरती का आनंद उठाते हुए हम कार से हनलाई बे रिसॉर्ट की और चल पडे जहां हमे एक हफ्ते के लिये टाइम शेयर का अपार्टमेन्ट मिला था । (सुहास के बेटे अजय को सौजन्य से ) रास्ते में तरह तरह के पेड पौधे देखते हुए हम हनसाइ बे रिसॉर्ट पहुंचे । बेहद खूबसूरत परिसर और अपार्टमेन्ट। उस दिन तो खास कुछ किया नही पर दूसरे दिन हनलाइ बे बीच पर गये । और खूब मजे किये । उसके बाद गये लाइट हाउस और पक्षी अभयोद्यान । बहाँ पर फोटोग्राफी की ।अब आगे....


तीसरे दिन करने को कुछ खास नही था सुहास और विजय टाइम शेयर वालों का लेक्चर सुनने चले गये जिसमें हमे कोई दिलचस्पी नही थी, पर उस लेक्चर को सुनने से हमे डिसकाउन्टेड टूर टिकिटस् मिलने वाले थे। तो हम दोनों ने किताबें उठाईं और उनके आने तक पढते रहे । आते हुए वे हवाइयन लंच लेकर आये । मेरे लिये पीटा सेंडविच था अवोकेडो सॉस के साथ बाकी लोगों ने चिकन पाडा़ । दोपहर में हम फार्मर्स मारकेट देखने गये । ये हमारे यहाँ के हाट की तरह होता है । खुली जगह पर रेडियाँ लेकर लोग फल और सब्जियाँ बेच रहे थे हवाई में काफी सारे अलग तरह के फल मिलते हैं । (
यहां क्लीक करीये और देखे व्हीडिओ of Fruit market
एक होता है पॅशन फ्रूट जो ऊपर से दिखने में बडा ही सुंदर होता है स्वाद भी ठीक ही होता है पर ऊपर का सुंदर भाग केवल छिलका होता है और खाया जाने वाला भाग कुछ पक्षियों की बीट की तरह दिखता है । हम तो एक बार खाकर ही भर पाये ।
पर वहाँ के आम और अननास बडे ही मीठे होते हैं इतने कि एक तरह के अननास तो कहलाते ही शुगर पाइन एपल हैं । एक और फल होता है बेतरतीब सा कटहल की तरह खुरदरे छिलके वाला पर हम तो उसे खरीदने की हिम्मत नही जुटा पाये । खाते तो शायद अच्छा लगता पर पॅशन फ्रूट को लेकर थोडी निराशा जो हुई थी । वापसी पर फिर थोडी देर समंदर के किनारे बैठे । यहां क्लीक करीये और देखे व्हीडिओ Hanalai bay
बुधवार को हमें देखनी थी हिंदु मोनेस्ट्री । चौंक गये ना! हाँ भई हाँ कवाई में हिंदु मंदिर । मोनेस्ट्री इसलिये कि यहाँ बाकायदा हिंदु धर्म की शिक्षा दी जाती है । और कोई २५० विद्यार्थी आजकल यहाँ दीक्षित हो रहे हैं । तो हमें तो यह मोनेस्ट्री जरूर ही देखनी थी । सुबह ८ बजे निकल पडे मंदिर के लिये । इस मोनेस्ट्री की स्थापना एक तामिल गुरू श्री शिव सुब्रम्हण्यम स्वामी ने की थी । यह शिवजी का मंदिर भी दक्षिण भारतीय पध्दती का ही है और पूजा की विधी भी । किस्मत ने हमें आरती के वक्त ही वहाँ पहुंचाया, मन तो बस प्रसन्न होगया ।
यहां क्लीक करीये और देखे कवाई में हिंदु मंदिर । मोनेस्ट्री का व्हीडिओ
और यहाँ के पुजारी और गुरू ज्यादातर गोरे, अमेरिकन । कुछ दक्षिण भारतीय भी हैं । मंदिर और उसका परिसर अत्यंत रमणीय । शिवलिंग स्फटिक का बना हुआ है परंतु उसका फोटो नही लेने देते । यह मंदिर शिवजी के नटराज रूप को समर्पित है । उनकी विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियाँ शायद पीतल की बनी हुईं या सोने का पानी चढीं हो सकती हैं यहाँ देखी जा सकती हैं।
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हमें बताया गया कि विभिन्न योगासन नटराज जी की मुद्राओं पर ही आधारित हैं । मंदिर का परिसर घुमाया हमे वहीं की एक शिष्या ने । मंदिर के द्वार पर ही थी गणेश जी की एक सुंदर प्रतिमा । वहाँ का परिसर तो कमाल का था । मंदिर जाने के रास्ते के दोनो तरफ सुदर सुंदर फूलों वाले पौधे लगे हुए थे औ बीच मे लाल पत्थरों से बना एक रास्ता । मंदिर के बाहर एक तालाब था और उसमें एक नटराज की मूर्ती । एक बहुत बडा पेड था जिसकी लंबी लंबी पत्तियाँ थीं पर उसमें से बरगद की तरह जडें सी निकल रहीं थी जो जमीन में जाकर खंभों वाला मंडप सा बना रहीं थीं । और पीछे की तरफ अलग अलग तरह के पेड़ पौधे और सबसे पीछे एक बडा सा लेक ।
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न चाहते हुए भी हमें वहाँ से विदा लेनी पडी क्यूं कि आगे हमे जाना था वायमिया केनियॉन्स । केनियॉन्स प्राकृतिक रूप से बनी खाईयाँ होती हैं जो हजारों साल पानी के पठारों पर प्रचंड गती के साथ बहने से बनती है, जमीन का जो भाग इस पानी के बहाव को सह जाता है वह चोटियों के रूप में दिखता है । ये एक अद्भुत दृश्य की सृष्टी करते हैं । जहाँ ये पाये जाते हैं वहाँ बारिश नही के बराबर होती है और यह इलाका उजाड़ सा लगता है । अमेरिका के पश्चिमी भाग में अरिझोना के ग्रॅंड केनियॉनस् हैं जो इस तरह के सबसे बडे प्राकृतिक बनाव हैं।
उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे
व्हीडिओ1
व्हीडिओ2

कवाई के इन केनियॉनस् को ग्रॅंड केनियॉनस् ऑफ पेसिफिक कहा जाता है । ये इनके विभिन्न रंगों के कारण बहुत ही सुंदर दिखते हैं । इनमें तीन रंग स्पष्ट रूप से दिखते हैं, नारंगी, हरा और काला । नारंगी और काला मिट्टी और पत्थर की वजह से तथा हरा वनस्पती से । मजे़ की बात यह है कि यह कवाई का ही एक हिस्सा है जहाँ १०-१० मिनट मे बारिश होती है । और जरा सा तो है कवाई । पूर्व का हिस्सा हराभरा और नमी वाला बीच में अलक्काई स्वाम्प और एकदम उत्तर पश्चिम में ये ग्रॅंड केनियॉनस् ऑफ पेसिफिक। तो हम रास्ता ढूँढते हुए वायमिया केनियॉन्स के बोर्ड तक पहुँचे वहाँ से आगे थोडी चढाई पडती थी । उस लंबे घुमावदार रस्ते से होकर हम एक बिलकुल समतल जगह पर पहुँच गये ।
वहाँ पहुँचने तक सब को भूक सता रही थी क्यू कि मंदिर जाना था तो नाश्ता तो किया नही था । वहाँ से आगे सीढीयाँ थीं और थोडी चढाई भी । सीढीयों के पास ही कुछ लोग खाने पीने का सामान बेच रहे थे । शकरीले (sugared) अननास, आम तथा कुछ तिल की बर्फी नुमा मिठाई जो हमारे लिये तो अमृत थी ।
खाने का सामान और पानी लेकर सीढीयाँ चढकर हम एक और समतल जगह पर आ गये । वहाँ रेलिंग लगी हुई थी और सामने था केनियॉनस् का भव्य दृश्य ।
उपरोक्त संदर्भ मे-चित्र- देखे
चित्र1
चित्र2
ये केनियॉनस् हजारों सालों में वाइलेले नामक पहाड से निकली हुई वायमिया नदी के पानी के कारण बनी हैं । १० मील लंबी तथा १ मील चौडीं इन केनियॉनस् की गहराई कोई ३५०० फीट है । हम तो ऐसा कुछ पहली बार देख रहे थे, जो अपने आप में एक अनुभव था । पहाडों पर जो आडी रेखाएँ सी दिखती हैं वे ज्वालामुखी से समय समय पर निकलने वाले लावा के कारण बनती हैं । पर आजकल कवाई में कोई जीवंत ज्वालामुखी नही है ये सिर्फ मावी और बिग आयलेंड में ही देखें जा सकते हैं कितनी देर तक खडे होकर हम इन केनियॉनस् को देखते रहे खूब सारी तसवीरें और विडीओ लिये ।
जाना ही था इसलिये वहाँ से निकले, जितनी दूर तक देख सकते थे मुड मुड कर देखते रहे । कवाई का यह भाग इतना सूखा था कि पेड जले से लग रहे थे । पर जेसे ही हम चढाई से नीचे उतर कर आये एक फलों से लदा आम का पेड देखा । रास्ते में एक दुकान से सेंडविच खरीदे और एक बीच पर जाकर लंच किया । इस बीच का नाम था सॉल्ट पॉन्ड बीच । यहाँ किनारे के पास कोरल्स की एक दीवार सी बन गई है और उसकी वजह से एक खारे पानी का तालाब सा बन गया है इसीलिये नाम है सॉल्टपॉन्ड बीच। शाम के बाद फिर वापसी । (क्रमश:)सॉल्ट पॉन्ड बीच व्हीडिओ देखे
...धन्यवाद...

मंगलवार, 13 नवंबर 2007

.....यात्रा ए हवाई २...

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । अगले ही दिन हमें
होनोलूलू की फ्लाइट लेनी थी। और वहाँ से आगे फिर कवाई की । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँसे फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक कार किराये पर ली ।
अब आगे.....



हमें कार मिली थी सुबरू या सुबारू । कार मे बैठे बैठे हम बाहर के दृश्यों का आनंद लेते हुए आपस में बातें करते जा रहे थे । अरे देखो आम का पेड, और बोगनवेलिया । और ये क्या पेड हैं एक जेसे कतार में, हाँ वोही पीले फूलों वाले । सुहास ने बताया कि यहाँ मेकेडेमिया नटस् बहुत होते हैं, ये शायद वही पेड हैं । ये मेकेडेमिया नटस् देखने में बडे साइझ के चने जैसे लगते है पर तेल बीज होने की वजह से स्वाद में मूंगफली की तरह होते हैं । पर मूंगफली का स्वाद ज्यादा अच्छा होता है ।
मौसम तो हवाई का हमेशा खुशनुमा । न जादा गरम न ज्यादा ठंडा । बारिश आये भी तो दस मिनट और फिर बंद । औरे १०-१० मिनट को बारिश आती रहती है पर आपका घूमना फिरना उससे नही रुकता ।
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नजर जाय वहाँ तक हरियाली और नीलिमा (सागर की या आसमान की) । इसी को निहारते हुए, सुंदर दृश्य और सुहावने मौसम का मजा लेते हुए, हम अपने गंतव्य की और बढ़ चले । हमे जाना था हनलाई बे रिसॉर्ट । नक्शा देखते हुए रास्ते के बोर्डस् पर भी हमारी नजर थी, ताकि कहीं रास्ता चूक ना जायें। और रास्ता मिलही गया । Princeville Hotel का रास्ता और हनलाई बे रिसॉर्ट का रास्ता एक ही था और हम एक सुंदर रास्ते से गुजरते हुए पहुँच गये हनलाई बे रिसॉर्ट । इतने सुंदर सुंदर पौधे और फूल कि आंखें तृप्त हो गईं । और अभी तो ये मजा़ हम पूरे ६ दिन लूटने वाले थे ।
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सुंदर से स्वागत कक्ष में आकर हमने अपने अपार्टमेन्ट के बारे में पता किया और चाबी लेकर आ पहुंचे अपने ठिय्ये पर । हमारा अपार्टमेन्ट दूसरे मंजिल पर था, हमारे स्वागत के लिये तैयार । सोफा, डायनिंग टेबल खूबसूरत फलॉवर व्हेस में सुंदर फूल और दोनो बेडरूम्स में सफेद झक बिस्तर और प्रकृती के नजा़रे लेने के लिये एक एक खूबसूरत बालकनी । मन प्रसन्न हो गया ।
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इतना सब करते करते शाम हो चली थी चाय की चाह थी और उसका जुगाड़ भी हमारे पास था घर से लेके जो चले थे । और यहाँ था एक पूरा किचन सारी सुविधाओं के साथ । तो चाय पी और सामान लाने के लिये निकले, कार का ये फायदा तो था ही । घर वापस आये और थोडा टी वी देखा खाना खाया और सो गये ।
सुबह सुहास ने चाय बनाकर हमें जगाया और चाय के कप लेकर हम आ बैठे बालकनी में, क्या खूबसूरत हरे भरे पेड़ थे। बाहर का नजा़रा और हाथ में चाय बस जिदगी सफल हो गई । चाय पीते पीते हमने देखा कि एक बहुत ही खूबसूरत पक्षी सिर पर लाल टोपी लगाये हुए हमारे टेबल के आस पास चक्कर काट रहा था । कभी वो बालकनी की रेलिंग पर बैठता कभी टेबल पर, पर रुकता नही था यहां से उड वहाँ बैठ वहाँ से उड यहाँ बैठ यही कर रहा था । पर बिस्कुट खाने का लालच उसे ज्यादा दूर जाने नही दे रहा था ।
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हमने थोडेसे बिस्कुट तोड कर टेबल पर बिखेर दिये और थोडी देर को अंदर आगये ।
फिर क्या था देखते ही देखते पूरी टेबल साफ । और बाद में तो इन से अच्छी खासी दोस्ती हो गई । इतनी की हाथसे बिस्कुट का टुकडा़ लेने तक । और इनकी देखा देखी और भी एक दो पंछी आने लगे । और नीचे बागीचे में एक बडा ही सुंदर मुर्गा घूमता रहता था जो वक्त बेवक्त बांग दिया करता था ।
चाय नाश्ते से निबट कर हम गये हनलाई बे बीच पर ।शुरू में तो हमें रेत वाला बीच दिखा ही नही तो सोचा शायद यह कोरल वाला ही बीच है । तो हम उन कोरल्स पर चलते चले गये । कोरल्स को बीच बीच में समंदर का पानी इकट्ठा हो गया था और बिलकुल कांच की तरह साफ पानी इतना कि तैरती हुई मछलियाँ भी दिख रहीं थीं । आगे जाकर थोडी और खुली जगह थी तो सुरेश से तो रहा न गया उन्होने तो वहीं तैरना सुरू कर दिया वहाँ एक दो लोग और भी तैर रहे थे। मै और सुहास मछलियों को देख देख कर खुश हो रहे थे तभी हमें वहाँ एक साँप नजर आया पढ रखा था कि सारे समुद्री साँप जहरीले होते हैं और पट्टे वाले । था वह इतना सुंदर काले पीले पट्टों वाला चमकीला, कि हम दोनो तो डर के बावजू़द वहीं खडे रहे । धीरे धीरे वह एक छेद के अंदर चला गया । पर फिर हमने तैरने वालों को आगाह कर देना ही उचित समझा, ये तो बाद में जाके पता चला कि वो सांप नही बल्कि मुर्रे ईल नामक मछली थी जो दिखती साँप की तरह है ।
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सुरेश वैसे ही पानी से बाहर आ गये थे क्यूंकि कोरल से उनका पेट तथा बाजू छिल गये थे । इतने में हमने देखा कि आगे बाय़ीं तरफ बहुतसे लोग तैर रहे थे और कुछ नौकायें भी चल रही य़ीं तो हम भी वहाँ चले गये और वहाँ देखा एक खूबसूरत रेतीला बीच, रेत एकदम बारीक पाँव के नीचेसे रेशम की तरह फिसलती । और जब हम अंदर गये तो देखा एक एक हाथ लंबी मछलियाँ नीले और नारंगी रंग के डिझाइन में । वहाँ भाई बहन ने खूब तैराकी की । मैने भी समंदर का भरपूर मजा़ लूटा । विजय की घुटने की सर्जरी
हो चुकी है इसलिये वे भी मेरी तरह ही पानी में घूम घूम कर ही मजा़ ले रहे थे । बहुतसे लोग वहाँ सर्फिंग भी कर रहे थे । जब काफी थकान हो गई और भूक भी सताने लगी तब जाकर हमने अपने अपार्टमेन्ट का रुख किया ।
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लंच के बाद हमें जाना था लाइट हाउस और पक्षी अभयोद्यान, तो बस बैठे सुबरू में और चल पडे । ड्राइविंग का जिम्मा सुहास का था । तो कार मे बैठकर चले लाइट हाउस की और । यह जगह काफी पास थी कार पार्क करके हम बडी देर तक दूर से ही लाइट हाउस और पक्षियों को देखते रहे । वहीं पास के पेड पर अननास की तरह के फल लगे थे ।
हवाई के पेड पौधे काफी मिलेजुले किस्म के होते हैं कुछ एकदम ट्रॉपिकल और कुछ टेम्परेट । एक तरफ जास्वंदी, कृष्ण कमल, चंपा , बोगनबेल, नारियल तथा आम होते हैं तो दूसरी और मॅकेडेमिया और अवोकेडो जैसे पेड भी ।
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यहाँ के लोग ज्यादा तर आशिया के हैं । मूलत: चीन जापान, तथा ताहिती के, इन्हे पॉलिनेशियन मूल का कहा जाता है । अच्छे मिलनसार लोग होते हैं ।
फिर हमने लाइट हाउस को करीब से देखा । एक जगह समुंदर का पानी पहाडी के बीच में आकर खूब तेजीसे उछल रहा था वहाँ पानी एकदम दूधिया हो जाता था उसकी बहुतसी तसवीरें लीं
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फिर वहाँ पक्षियों के बारे में एक फिल्म देखी । जगह जगह पर पक्षियों के बारे में जानकारी भी दी हुई थी । हमने उड़ते पक्षियों को कॅमरे में कैद करने की कोशिश की । वापसी पर एक जगह झाडियों में एक मादा पक्षी को अंडे सेते हुए देखा पर फोटो नही ले पाये । समंदर की कुछ और तसवीरें लीं और फिर वापस । (क्रमश:)
उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे

व्हीडिओ1
व्हीडिओ2

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बुधवार, 7 नवंबर 2007

....यात्रा ए हवाई....


हवाई जाने का प्लान बनते ही मन जैसे हवा में तैरने लगा, और अचानक ही होटों पे आ गया वो गीत, कहते हैं मुझको हवा हवाई, हवा हवाई, हवा हवाई, हवा हवाई । वैसे पहले ही देख लिया था कि आस पास कोई नही है......... । तय हुआ कि हम चारों- मैं, सुरेश, सुहास और विजय (सुरेश के बहन और बेहनोई ) जायेंगे ताकि हम अपने तरीके से सफर का मन मुराद आनंद ले सकें । सम वयस्क होने का यही तो फायदा था । सुहास और विजय को वॉशिंगटन (डी सी )से आना था और हम दोनो को बॉस्टन(Massachusets) से । तो सोचा कि हम Los Angeles (एल ए ) में मिलेंगे वहाँ थोडा घूम-फिर लेंगे और वहीं से लेंगे होनोलूलू की उडान ।
यहां क्लीक करे और बॉस्टन से होनोलूलू व्हाया एल ए ( Los Angeles), गुगल मॅप देखे

तो तैयारी करके हमने अपनी यात्रा शुरू की । और पहुँच गये एल ए. । वहां पर एक दिन सतीश और फे (विजय के भाई और भाभी) की मेहमान नवाजी़ का लुत्फ उठाय़ा और उनके साथ घूमे युनिवर्सल स्टुडिओ, जो कि हॉलिवुड में ही स्थित है । वहाँ देखा और जाना कि मूवी कैसे बनती है सेटस् कैसे होते है, एक्सिडेन्ट्स कैसे शूट करते हैं, और मौज मस्ती कैसे की जाती है । यही सब हमने पिछले साल हैदराबाद के रामोजी स्टुडिओ में भी देखा था, छोटे पैमाने पर ।

यहां क्लिक करिये और चित्र देखें, युनिवर्सल स्टुडिओ, हॉलिवुड


दूसरे दिन सुबह ९ बजे की उडान थी हमारी । वेस्ट कोस्ट का समय ईस्ट कोस्ट से ३ घंटे पीछे होता है मतलब बॉस्टन समय से ६ बजे । हवाई का समय तो एल ए से भी
६ घंटे पीछे होता है । सारी खानापूरी करके हम अपने सफर की उडान पर चले । हमारी एयर लाइन थी एयर-ट्रान । होनोलूलु हम पहुंचे ११ बजे वहाँसे हमे जाना था कवाइ जो हवाइयन द्वीप समूह में से एक द्वीप है । हवाइयनद्वीप समूह में वैसे तो १०७ द्वीप हैं पर उनमें केवल ६ ही बसे हुए हैं । ये हैं बिग आयलेंड, मावी, कवाइ, ओहू, लनाई और मोलोकाई ।
यहां क्लिक करिये और सुनिये हवाई का संगीत,
(MP3 Files on server plays well with RealPlayer..Thanks)हरेक की अपनी अपनी विशेषता है । जैसे बिग आयलेंड में ज्वालामुखी देखने को मिलते हैं, परंतु खूबसूरती में सारे ही द्वीप एक जैसे हैं। खूबसूरत बीचेज, समंदर का नीला पानी, रेशमी रेत और तरह तरह के फूल और पत्ते कुछ परिचित और कुछ एकदम नये, और हाँ कोरल्स भी । हमने सुना था कि ज्यादा एक्टिविटीज आप कवाइ में कर सकते हैं इसी से हमने यहीं पूरा हप्ता बिताने की बात सोची । छह दिन छह जगह घूमने की न तो ताकद थी न ही बजट़ आखिर बच्चों को कितना परेशान करते! कवाई में अजय (सुहास का बेटा) का टाइम शेअर का फ्लेट भी था तो रहने का इंतजाम था ही ।
तो हवाई की राजधानी होनोलूलू में न रुकते हुए हमने कवाई के लिये आलोहा एयर की फ्लाइट ली १२:५० की और पहुँच गये कवाई १:३० बजे । आलोहा हवाई का अभिवादन है, जैसे हैलो या नमस्ते । कवाई एयरपोर्ट पर ही हमने एक कार किराये पर ले ली ताकि घूमने फिरने में आसानी हो । कार में बैठे और चल पडे अपने ठिकाने पर, रास्ते में दोनो और की खूबसूरती निहारते हुए । ( क्रमश: )
यहां क्लिक करिये और सुनिये हवाई का अगला गीत
यहां क्लिक करें और गुगल मॅप देखे





यहां क्लिक करें Asha

सोमवार, 5 नवंबर 2007

दीपावली अभिनन्दन



दिया जला, लौ कांपी
कुछ सहमी, घबराई
पवन के झकोरे से
थर थर थर्राई
पर एक क्षण, दूजे पल
इठली, मुसकाई
साथी के कानों में,
हौले से गुनगुनाई
जागो नैना खोलो
दीवाली आई।

सबको दीपावली की ढेर सारी शुभ कामनाएं ।


आजका विचार

अच्छा काम करने के लिये अच्छे माहौल की प्रतीक्षा जरूरी नही हम कहीं से भी शुरू कर सकते हैं ।


स्वास्थ्य सुझाव

गायका शुध्द घी आँखों में रात को लगा कर सोने से आँखों की ज्योती बढती है ।

शुक्रवार, 2 नवंबर 2007

वो बारिश के दिन



वो बारिश के दिन और भीगी सी रातें
तुम्हारी ही यादें तुम्हारी ही बातें

वो शाम सलोनी नदी का किनारा
वो पानी में पांव हिलाना तुम्हारा
वो पायल का बजना
वो लहरों का उठना
और पत्तों का करना हवाओ से बातें । वो बारिश....

महकता सा गजरा,और तीखा सा कजरा
वो नदिया पे बहता हुआ एक बजरा
वो बिखरी सी अलकें
वो बोझिल सी पलकें
वो प्यार की अनगिनत सौगातें । वो बारिश....

हवा का मचलना दुपट्टे का उडना
तुम्हारा सहमना सिमटना सिकुडना
वो आंचल को ओढे
फिरसे सम्हलना
और करना सहज प्यारी प्यारी सी बातें । वो बारिश....

बिजली कड़कना, बूंदों का गिरना
बूंदों का लडियों में बंध कर बिखरना
वो भीगा बदन
और भीगा सा चेहेरा
और आँखों में सिमटी हुई बरसातें । वो बारिश....

कहाँ है वो नदिया, कहाँ है वो पानी
कहाँ थम गई तेरी मेरी कहानी
भँवर में कहाँ
खो गई नाव अपनी
बिछडे हैं ऐसे कि मिल भी न पाते । वो बारिश..


आज का विचार

हारने के कई रास्ते होते हैं पर जीतने का सिर्फ एक ।


स्वास्थ्य सुझाव

बकरी का दूध पीना Cirrhosis of Liver में लाभकारी होला है ।