बुधवार, 20 जून 2012

चलते चलो रे ४ (सॉल्ट लेक और मॉरमॉन टेबरनेकल (टेम्पल)



सुबह नही धो कर तैयार हुए और कॉम्प्लिमेन्ट्री कॉन्टिनेन्टल ब्रेकफास्ट कर के वापसी के प्रवास पर चल दिये । वही रास्ता, पर, एक अलग नजरिये से देखा उल्टा जो जा रहे थे । एक जगह बर्गरकिंग में रुक कर कॉफी और ओनियन रिंग्ज का समाचार पूछा । रास्ते में फोटो शूट और
गप-शप चल ही रही थी । जब ४ घंटे बाद आयडाहो पहुँचे तो फिर से अरीमो गांव में रुके । कार मे गैस भरवाई और  फिर से क्रॉस कट फ्राइज खाईं । फिर रुके यूटा के एन्टिलोप नामक गांव में जहां हमें सॉल्ट लेक देखना था । यह स़ॉल्टलेक सिटि से कोई ३० मील दूर है ।
सॉल्टलेक को अमेरिका का डेड-सी भी कहते हैं । यहां का पानी सामान्य समंदर के पानी से पांच गुना ज्यादा खारा है । पानी का घनत्व इतना ज्यादा है कि कुछ डूबता ही नही । यहां पहले एक स्टोर में गये और कुछ बायसन खरीदे (खिलौने) । फिर लेक पर गये पानी में पांव भिगोये पानी चखा और मुंह बनाया । पानी पे शायद चल भी लेते क्राइस्ट की तरह पर कोशिश ही नही की ।
इस लेक का परिसर कोई ७५ X २८ मील है ।
हमने देखा कि पंछी मजे से पानी पर बैठे थे, कुछ तो उन्हे मिल ही रहा था खाने को । वैसे यहां ब्राइन श्रिंप और ब्राइन अल्गी के अलावा कुछ होता नही है ।   वहां एक महिला बोटिंग करने आई थी, उन्होने बताया कि यहां पास में एक द्वीप है, एक रशियन आदमी ने वहां कुछ बायसन और कुछ हाइना (लकडबग्घे) बसाये थे पर उससे ये काम सम्हला नही । वह तो छोड छाड के भाग गया पर अब वहां बाइसन कम हो रहे हैं और लकडबग्घे ज्यादा ।vdo1(विडियो) 


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 वे बता रहीं थी कि द्वीप से वे कभी भी यहां मेनलैंड पर आ सकते हैं और यहां के लोगों और जानवरों के लिये खतरा बन सकते हैं । 
सॉल्टलेक सिटि से वापिस क्लिफ-क्लब आते हुए गलत रास्ते पर चले गये पर एक अमेरिकन महिला ने हमारे साथ साथ अपनी गाडी चला कर हमें सही रास्ते पहुंचाया । ईश्वर उसका भला करे । वापस आये तो थके पडे थे, खाना खाया और निद्रादेवी के आधीन ।
आज १७ तारीख है और हमें जाना है मोरमोन टैबरनेकल देखने । अमेरिका का ये सबसे बडा मोरमोन टेंपल है । अब रिपब्लिकन प्रेसिडेन्शियल कैंन्डिडेट  श्री. मिट रॉमनी के मंदिर जाना तो बनता था न ।
वहां पहुंचे तो मंदिर (दिखता तो ये चर्च जैसा ही है पर कहते टेंपल या टेबरनेकल हैं ) का परिसर बहुत सुंदर था । सुंदर बगीचे में खूब फूल खिले हुए थे और एक हलकी सी मनभावनी महक हवा में फैल रही थी । पर ये क्या, इस चर्च या मंदिर में सिर्फ मोरमोन्स को ही प्रवेश था । हम तो हम,  क्रिस्चियन्स को भी अंदर जाना वर्जित था ।  नये नये दीक्षित मोरमोन्स भी नही जा सकते हैं अंदर । एक साल तक उनको देखा परखा जाता है फिर ही उन्हें प्रवेश की अनुमति मिलती है । यह कुछ अजीब सा लगा । वहां की दो भद्र महिलाओं नें हम पर तरस खा कर हमें एक बडा सा एल्बम दिखाया जिसमें अंदर की तस्वीरें थीं ।  तस्वीरों से तो लग रहा था अंदर बडा सुंदर होगा पर  ना देख पाने का मलाल तो रह ही गया ।
पता चला कि यहां एक ऑरगन वादन का कार्यक्रम है १२ बजे, तो तय किया कि ये तो देखेंगे । बहुत सुंदर से ऑडिटोरियम में  था यह कार्यक्रम । इस खूबसूरत ऑडिटोरियम में स्टेज पर छोटे बडे कोई १०० ऑरगन पाइप्स वाला ऑरगन था, यह ज्यादा का भी हो सकता है । थोडी देर के इंतजार के बाद कार्यक्रम शुरु हुआ ।  खूबसूरत म्यूझिक के साथ ऑरगन के पीछे से रंगों का अद्भुत खेल चल रहा था । कभी हरा तो कभी गुलाबी, कभी नीला कभी बैंगनी,कभी पीला कभी नारंगी, आँख और कान दोनो तृप्त हो गये । vdo3 (विडियो) 


vdo4(विडियो) (Courtesy Youtube.com)


य़ह खूबसूरत प्रोग्राम देख कर वापिस पार्किंग-लॉट में आये तो देखा कार की खिडकी खुली है । धक रह गये सब के सब ! पर गाडी ठीक थी और प्रकाश के १५० डॉलर जो एक लिफाफे में रख कर वे गाडी के डैश बोर्ड पर ही भूल गये थे वे भी इनटैक्ट थे । जो खिडकी खुली छूटी थी वह ड्राइवर सीट की थी, तो हम सब तो गालियां खाने से बच गये । सुहास भी एक खिसियानी हंसी हंस कर गाडी में बैठ गई । फिर हम टैंपल स्केवर  ट्रेन स्टॉप पर गये और एक चक्कर ट्रेन में बैठ कर स़ॉल्टलेक सिटि के एक हिस्से का लगाये टेंम्पल स्क्वेअर से वेस्ट व्हेली तक और  वापिस । फिर तो कार से अपने क्लिफ क्लब पर । हमे परसों कोलंबस जाना था  हमारी उडान १९ को सुबह की थी तो सोचा कि कल यानि १८ को ही लंच के  बाद हम क्लिफ क्लब छोड कर सॉल्टलेक सिटि के एयरपोर्ट वाले होटेल ( Residence inn) में चैक-इन कर लेंगे । वहां से एयरपोर्ट शटल का पता कर के गाडी भी आज ही वापिस कर देंगे ता कि कल सुबह कोई झंझट ना रहे । वैसा ही किया, रात को आराम से सोये और दूसरे दिन सुबह शटल से एयरपोर्ट और फिर प्लैन पकड कर हम वापिस कोलंबस । उल्का के यहां एक दिन और रहे और २१ को सुबह चल कर मार्टिन्स बर्ग वापिस । प्रकाश और जयश्री एटलांटा में ही उतर कर अपनी बेटी (माधुरि)के घर चले गये । हम लोग और दो दिन मारटिन्सबर्ग रह और २३ को एन्डरसन वापिस आये । यह ट्रिप हमारे और ट्रिप्स के मुकाबले छोटी थी (थोडी गडबडी भी हुई, दिल्ली में चोरी ....)पर मज़ा बहुत आया ।
आप को कैसी लगी हमारी ये यात्रा ?

(समाप्त)

मंगलवार, 12 जून 2012

चलते चलो रे -३ (यलोस्टेन नेशनल पार्क- मैमथ हॉट स्प्रिंग्ज़, मड वॉल्केनो इत्यादि)





आज १५ तारीख है । कल की थकान थी तो उठने की कोई जल्दी नही की पर फिर भी तैयार होकर सुबह ९ बजे निकल पडे । आज विजय भी हमारे साथ थे । उसके पहले कॉम्लिमेन्ट्री कॉन्टिनेन्टल ब्रेकफास्ट किया । लंच के लिये एक डेलि से सैंडविचेज़ बंधवा लिये और गेट पर पास दिखा कर चल पडे पार्क की सैर पर । आज हमें दूसरा लूप लेना था । कुछ देर तक कल वाला रास्ता लेकर आगे गये और टी जंक्शन पर कल के विपरीत रास्ता लेकर आगे चल पडे ।  पहले हमने देखा गिब्बन फॉल्स । यह एक मझोले आकार का प्रपात है पर है बडा सुंदर पानी काफी वेग से गिरता है । गिरती धारा ऐसी प्रगाढ  प्रपात की बहुत सी तस्वीरें खींची । इसके बाद फिर से गरम पानी के गाइजर दिखे  । एक बडा सा इलाका है नाम है नॉरिस बेसिन । यह इस पार्क का सबसे गरम इलाका है । 
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इनमें से कुछ को फ्यूमाहोल्स भी कहते हैं क्यूं कि इनमें से सिर्फ भाप ही निकलती रहती है । प्रेशर इतना नही होता कि पानी का फव्वारा बने । कल के मुकाबले इस रास्ते पर बायसन ज्यादा दिखे । जगह जगह लिखा था बाइसन बडे विराट और खतरनाक जानवर होते हैं इन्हें अकेला ही छोडें । कार का हॉर्न ना बजायें ना ही हेड लाइटस जला कर इन्हें चौकायें ।  हम पहले जाने वाले थे मेमथ हॉट स्प्रिंग्ज । अब सारे रास्ते लंबे लंबे थे कुछ भी पास नही था । इस बार हम यलोस्टोन नदी के किनारे किनारे जा रहे थे ।यह पूरा लूप जो कि  अंग्रेजी ८ के आकार का है कोई ९० मील का है । रास्ता सारा पहाडी और ये बडे बडे पहाड हैं वाकई रॉकी माउन्टेन ।
सब से पहले रुके मैमथ हॉट स्प्रिंगज़ पर । एक पूरी पहाडी या पहाड उबलते सल्फ्यूरिक एसिड के प्रभाव से गल सा गया है । (विडियो) vdo2

रंग में एकदम चूने सा सफेद और कहीं कहीं एसिड बहने से पीला सा और जंग के रंग का। यहां सुंदर रंगीन सीढीनुमा टेरेसेस सी बन गई हैं । ये टेरेसेज फॉल्ट में से गरम पानी के बहते रहने से बनी है जो  घुले हुए केल्शियम बायकार्बोनेट को ऊपर ले आता है और फिर कार्बनडायऑक्साइड हवा में निकल जाती है तथा केल्शियम कारबोनेट यह सफेद रंग की तहें बनाता जाता है । यह भूभाग  अपने आकार-प्रकार को बदलता रहता है क्यूं कि लगभग पांच साल में गरम पानी के झरने बंद हो जाते हैं पर दूसरे झरने निकल आते हैं । कुछ रंग बेक्टिरिया की वजह से होते हैं । कमाल है उबलते पानी में जीवन !   यह अपने आप में एक अदभुत दृष्य है । यहां पूरे इलाके में बोर्ड-वॉक बना हुआ है और इसी पे चलना होता है । सारी जमीन गर्म और एसिडिक (तेजाबी) है कहीं से भी फव्वारा फूट कर आपको जला सकता है । यह बोर्ड वॉक भी काफी लंबा है पर पूरा ऊपर जाने से ज्यादा फायदा नही होता क्यूंकि ऊपर सब कुछ सुप्त है । तेजाब बहता नीचे ही दिखाई देता है । इतने तेजाबी माहौल में भी बैंगनी रंग के कुछ फूल खिले दिखाई दिये । कुछ पाइन के वृक्ष भी । हम लोग निचली टैरेसेस तक गये जहां पीला सा तेजाबी पानी बह रहा था । मैमथ स्प्रिंग से नीचे आने के बाद पास में ही एक बडा कोन के आकार सा दिखाई दिया, कुछ कुछ देवी के मंदिरों में जो दीपमालिका होती है उसकी तरह का।  इसे लिबर्टी कैप कहते हैं क्यूं कि यह रिवाल्यूशनरी युद्ध के सिपाहियों की टोपी की तरह का है । अब इसमे से कोई पानी नही बहता । आप भी देखिये  ।
यहीं पास में ही रूज़वेल्ट इनफॉर्मेशन सेंटर था वहां पिकनिक बेन्चेज़ भी थे तो हमने वहीं बैठ कर लंच किया । हम अपने साथ लड्डू बना कर लाये थे, वो लेकर ही चले थे ताकि लंच के बाद स्वीट डिश भी हो जाये । उससे मज़ा दुगना हो गया । वहां हमें बहुत से एल्क हिरण दिखे । हमें तो मौका मिल गया बस, खूब तस्वीरें लीं ।
फिर आगे निकले कैनियॉन विलेज के लिये वहीं से आगे हम ग्रैंड केनियॉन ऑफ यलोस्टेन देख पाते । पर आगे जाकर रास्ता बंद था तो उतना ही लंबा वापिस आना पडा कोई ४० मील । इससे बडी खीझ हुई पर एक फायदा हुआ ग्रिझली बेअर यानि भालू देखने को मिल गये । एक बार को तो लगा कि वापिस चलते हैं होटल  पर फिर हमने मड-वॉल्केनो का रस्ता ले लिया और बहुत अच्छा किया वरना यह प्रकृति  की प्रयोग शाला कैसे देख पाते ।vdo3 (विडियो)

 
यहां हमने पहले देखे सल्फर कैल्ड्रॉन्स यानि बडे बडे कढाईनुमा बेसिन्स जहां पानी मिट्टी सल्फर का एक अजीब मिश्रण उबलता रहता है । हाइड्रोजन सल्फाइड और सल्फर डाय ऑक्साइड की मिली जुली गंध यहां वातावरण में फैली रहती है । ऐसे छोटे बडे अलग अलग आकार के कई केल्ड्रॉन्स यहां है । हरेक का आकार अलग और रंग अलग कोई हरा सा तो कोई मटमैला तो कोई पीली झांक लिये । कोई गोल कोई चौकोर और कोई टेढा मेढा । प्रकृति की केमिस्ट्री लैब हो जैसे ।
हायड्रोजन सल्फाइड को माइक्रोबज् गंधक के तेजाब में बदलते रहते है । और गंधक के अलग अलग योगिक इन घोलों को अलग अलग रंग देते हैं । हमने तो अपने जीवन में पहली बार देखा ये सब और ये सब सिर्फ यहीं देखने को मिलता है ।
छोटे मोटे भूकंप यलोस्टोन की धरती को झकझोरते रहते हैं और तापमान १०० डिग्री सेंटिग्रेड तक पहुंच जाता है । इन विविध कैल्ड्रॉन्स के अलग अलग नाम भी हैं ।

मड वॉल्केनो – पहले इसका आकार एक ऊँचे कोन की तरह था और इससे उछलने वाला तेजाबी कीचड कोई तीस फीट ऊंचे और ३० फीट चौडे इलाके में फैल जाता था । किसी ज्वालामुखीय विस्फोट से यह अब एक बडे गढ्ढे की तरह हो गया है । इसमें से आयरन के सल्फाइड्स से युक्त मिट्टी और कीचड निकलता रहता है । यहां तो गंध के मारे खडे रहना मुश्किल हो रहा था । (विडियो)vdo4

इसके बाद हम फिशिंग ब्रिज़ की तरफ चल पडे क्यूं कि हमें वापिस इसी रस्ते से जाना था ।यहीं पर एक स्टोर था जहां से हमने कुछ गिफ्टस् खरीदे ये स्टोर्स ज्यादा तर महंगे होते हैं पर कुछ तो लेना ही था बच्चों के लिये ।
हम यलोस्टोन नदी के किनारे किनारे चले जा रहे थे ।  कुछ देर बाद हमे यलोस्टोन लेक दिखाई दिया यह  इस ऊंचाई पर अमेरिका का सबसे बडा सरोवर है ।  यह कोई २० मील लंबा और १४ मील चौडा है । बहुत ही सुंदर दृष्य था । एक जगह तो पूरी ऊपरी सतह बर्फ बन गई थी । सुंदर बर्फीले पहाड और यह कांच जैसा सरोवर बहुत आनंद आया आप लोग भी देखें (विडियो)  ।vdo5
 
वापसी पर रास्ते में एक २५-३० बायसन्स का झुंड सामने से आते हुए मिला । हमारे आगे और भी एक दो कारें थीं । थोडा डर तो लग रहा था पर चुप चाप बैठे रह कार के अंदर । बायसन भी बिचारे कोई १० मिनट में अपने रास्ते चले गये । थोडी दूर आगे जाने के बाद एक जगह ४-५ हिरण एक लाइन में एक के पीछे एक जाते दिखे, परिवार था शायद । नर आगे आगे चल रहा था, बाकी उसके पीछे एक कतार में ।  
बीच में एक हिरण रास्ता क्रॉस कर के कार के आगे से तेजी से निकल गया, बेचारा बहुत डर गया था चलती कार से ।
शाम को ७ बजे वापिस पहुंचे । मैकडॉनल्ड में खाना खाया और वापिस रूम पर कल तो हमें वापिस जाना था ।
 (क्रमशः)

सोमवार, 4 जून 2012

चलते चलो रे २ -सफर चार राज्यों का और पहुंचना यलोस्टोन (वायोमिंग)



सुबह साढेपांच बजे उठ कर तैयार हुए । नाश्ता सीरीअल का ही कर लिया ताकि ज्यादा समय ना लगे । आठ बजे तक निकलने का सोच लिया था ताकि समय से गंतव्य पर पहुंच जायें । यह कोई ६ घंटों की ड्राइविंग निकली हालांकि बताय़ा गया था कि ४-५ घंटे की है ।  हमारे रिसॉर्ट से कॉटनवुड केनिय़न रोड लेकर आगे २०९ नॉर्थ लिया फिर लिया २१५  नॉर्थ सॉल्ट लेक सिटि से लिया ८० वेस्ट और फिर १५ नॉर्थ जो कि इंटर स्टेट रोड है । यह सोचा था कि एक रात और एक दिन यलोस्टोन पार्क में रह कर, आते हुए सॉल्ट लेक पर रुकते हुए आयेंगे । सॉल्ट लेक समंदर से भी ज्यादा नमकीन ताल(?) है

.यह रास्ता चार राज्यों से होता हुआ जाता है । यूटा, आयडाहो, मॉन्टाना और वायोमिंग ।  यूटा काफी अलग सा लगा रेगिस्तानी सा हरियाली काफी कम है .यहां । अब तक देखी सुंदर अमरीका से निराला । पहाडी तो है पर हरा भरा नही । यूटा के बाद लगा आयडाहो । हमने यहां के वेलकम सेंटर से कुछ ब्रॉशर उठा लिये थे । इसमें आयडाहो फॉल का चित्र देख कर मन ललचा उठा देखने को । पर सोचा जो तय है वही पहले करेंगे । यहां खेत दिखे हरे भरे । यहां आलू की खेती बहुत की जाती है । यहां के आलू अमरीका भर में बिकते हैं । आप अगर अमरीका में रहते हों तो आयडाहो पोटेटोज का बैग जरूर खरीदा होगा । ये आलू ज्यादा तर बेक्ड आलू बनाने के लिये इस्तेमाल किये जाते हैं ।


गैस (पेट्रोल) लेना था तो एक गैस स्टेशन पर रुके । जगह का नाम था अरीमो । गैस भी लिया और कॉफी पीने अंदर चले गये । गैस स्टेशन पर ये सुविधा होती ही है । भूख लगी थी देखा तो एक अलग तरह के फ्रेंच फ्राइज रखी थीं, उनका नाम था क्रॉस-कट-फ्राइज । कुछ कुछ जाली वाले चिप्स जैसी पर मोटी प्रेंच फ्राइज़ की तरह । बहुत ही टेस्टी थीं,  सीझनिंग तो कमाल की थी । तो ६ लोगों के लिये अलग अलग सर्विंग ले लिये । हमने उनसे पूछा भी कि क्या सीझनिंग है पर काउंटर वाली ल़डकी को कुछ पता नही था । ऐसे ही मौज मस्ती में सुहास का ड्राइविंग का स्ट्रेस कम करते हुए हमारा सफर चल रहा था ।



यहां हमने सिंचाई की गजब सिस्टिम देखी । अपने आप सारे खेत को मजे से पानी जा रहा था । आप भी देखिये । यूटा के बाद मोन्टाना लगा यहां पहुंचते पहुंचते पूरे ६ घंटे लग गये थे । हमारा होटेल मोन्टाना में ही था नाम था
ग्रे वूल्फ इन यानि भूरे भेडियों का बसेरा । चैक इन करने गये तो वहां स्वागत टेबल पर जो बंदा था वह मार्टिन्सबर्ग का ही निकला वहां समर जॉब करने आया था । वह भी वहां टीचर था एक स्कूल में । सुहास की और उसकी तो बातें ही खतम ना हों फिर उसीने कहा कि आप जल्दी से फ्रेश हो कर निकलें तो अभी भी पार्क का एक हिस्सा देख सकते हैं । होटल अच्छा था कमरे बडे और साफ थे और सुंदर भी । हमेशा की तरह हम तीनों महिलाएं एक कमरे में और वे तीनो पुरुष दूसरे में ऐसा बंटवारा था । चाय के पैकेट रखे मिल गये तो चाय पी और रवाना हुए । विजय बहुत थक गये थे तो कमरे में ही आराम के लिये रुक गये .

पहले फॉरेस्ट डिपार्टमेन्ट में जाकर पास बनवाया । १० डॉलर में एक गाडी का पास ( वह भी हर नेशनल पार्क के लिये वेलिड और जीवन भर के लिये ) पर ये सुविधा सिर्फ सीनियर सिटिझन्स के लिये थी । हम गाडी लेकर जैसे कि स्वागत डेस्क पर बताया था पार्क के पश्चिमी भाग के लिये चल पडे । सुंदर रास्ता, बीच बीच में दिखते विशाल काय बायसन और सुंदर स्वच्छ मेडिसन नदी और हरियाली भी । मन प्रसन्न हो गया । (विडियो)
यह यलोस्टोन नेशनल पार्क शुरू होता है मॉन्टाना (राज्य) में पर इसका बहुत बडा हिस्सा वायोमिंग (राज्य) में है । यह इलाका ज्वालामुखी का इलाका है । इसके बारे में कहते हैं कि इसका भूत, भविष्य और वर्तमान सब ज्वालामुखीय है और कभी भी विस्फोट हो सकते हैं पर फिर भी विरोधाभास देखिये कि अंदर क्रोध से उबलती धरती बाहर से शांत सुंदर, हरीभरी और जीव-जंतुओं को पालती दिखती है ।


आगे चल कर बहुत से छोटे बडे गर्म पानी के फव्वारे देखे । इन्हे गाइज़र कहते हैं । एक छोटा सा परंतु गोलाकार फव्वारा था जो सतत चल रहा था इसका नाम था बिस्किट बेसिन । पानी इनमें इतना अधिक गरम होता है कि बाहर निकलते ही भाप बन जाता है, बहुत से फव्वारों से सिर्फ भाप ही दिखाई दे रही थी । एक जगह एल्क नामक हिरन देखे और देखा कोयोडि जो कि लकडबघ्घे की तरह होता है पर आकार में लोमडी की तरह । विडिया)


पर हमें तो तलाश थी ओल्ड फेथफुल की जो यहां का सबसे बडा गर्म पानी का फव्वारा है और एक एक घंटे के अंतराल से जागृत होकर जोर से फूटता है । तो वहां पहुंचे । बैठ गये, मना रहे थे कि जल्दी ही चालू हो जाये पर सिर्फ भाप ही भाप थी । पर सब बैठ कर धैर्य से प्रतीक्षा कर रहे थे तो हम भी बैठे रहे ।  कोई पौने घंटे बाद जोर जोर से भाप निकलनी शुरु हुई लगा कि बस अब देखेंगे वो अद्भुत नज़ारा पर कहां भाप ही भाप बस । थोडी सी निराशा हुई । इतने में एक बार पानी जोर से उछला पर फिर भाप । ऐसा पांच, छै बार हुआ । करते करते फिर पानी का ऐसा जोरदार फव्वारा छूटा कि आंखे तृप्त हो गईं। नज़ारा देखते ही बनता था । पूरा घंटा लगा दिया बंदे ने प्रतीक्षा करवाने में। मनुष्य के मन में जैसे क्रोध दबा रहता है और मौका मिलते ही फूट पडता है कुछ वैसे ही लग रहा था ये । गरमा गरम पानी कोई ३० फीट ऊंचाई तक ऊपर जा रहा था । देर तक हम विडियो खींचते रहे । आप भी देखिये ।


फॉल देख कर फिर मैकडॉनल्ड में लंच किया रात के लिये फ्रोजन डिनर खरीदा और वापिस, पर प्रकाश की रेड वाइन कैसे भूलते, ना भूले जी ।  कल बचा हुआ पार्क देखना था जो कि बडा हिस्सा था और दूरी भी बहुत ज्यादा थी । तो यही सोचा कि कल रात भी यहीं रुक जाते हैं ताकि वापसी की जल्दी ना हो और यह तो अच्छे से देख लें । मै तो रात को उठती नही पर जो लोग उठते हैं उन्हें काफी परेशानी हुई क्यूं कि किसी कारण वश पूरी रात (१ बजे से ५ बजे तक )बिजली ही नही थी, अमरीका में पॉवर कट पहली बार देखा ।

 (क्रमशः)