मेरे करीब होकर ऐसे वो रात गुजरी
मुझसे नजर चुराकर हाय वो रात गुजरी ।
नींदें मेरी उडायीं सपने कहाँ से देखूँ
बस आँखों ही आँखों में मेरी वो रात गुजरी ।
ख्यालों में अपने उनको मैने सजाया भी तो
बेख्याल हो गया मै, कैसे वो रात गुजरी ।
हमने उन्हे बुलाया ले ले के नाम उनका
मेरी ये बात शायद उन्हें नागवार गुजरी ।
सांसों में नाम उनका ले ले के जी रहा था
वो ही लगीं उखडने, परेशान रात गुजरी
उनके लिये की मैने अल्लाह की इबादत
वो बुत परस्त निकले, मंदिर में रात गुजरी ।
हुई मेरी कोशिशें सब नाकाम, दोस्त मेरे,
अब तू बता कि तेरी कैसी थी रात गुजरी ।
आज का विचार
सफलता के नियमों को पढने से सफलता नही मिलती
उन्हे समझना भी बहुत जरूरी है ।
स्वास्थ्य सुझाव
अगर दिन में नींद आये तो थोडा बाहर निकल कर धूप (रोशनी) में घूमें, नींद जाती रहेगी ।
14 टिप्पणियां:
आप तो शानदार कविता लिखती हैं, और वो भी हिन्दी में । अच्छा लगा। मराठी में तो यकीन है ज़रूर ही कुछ लिखा होगा।
मुझे तो यह पसन्द आया -
उनके लिये की मैने अल्लाह की इबादत
वो बुत परस्त निकले, मंदिर में रात गुजरी ।
और यह भी कि सफलता नियमों को पढ़ने भर से नहीं मिलती। उन्हे समझना और कार्यरूप देना भी जरूरी है।
"उनके लिये की मैने अल्लाह की इबादत
वो बुत परस्त निकले, मंदिर में रात गुजरी"
बहुत ही प्रभाव छोडती रचना...बधाई
वाह ,बहुत खूब........
हमने उन्हे बुलाया ले ले के नाम उनका
मेरी ये बात शायद उन्हें नागवार गुजरी ।
हुई मेरी कोशिशें सब नाकाम, दोस्त मेरे,
अब तू बता कि तेरी कैसी थी रात गुजरी ।
आशा जी आप की पंक्तियाँ तो सीधे मेरे दिल में उतर गई ...अभी तो आपके साथ आपकी लिखी इंसानी दुनिया में घूम रही थी
पर आपके साथ इस ख्याली दुनिया में घूमना भी बहुत अच्छा लगा :)
आशाजी,
"हमने उन्हे बुलाया ले ले के नाम उनका
मेरी ये बात शायद उन्हें नागवार गुजरी ।"
बहुत ही सुंदर|
आप की ये कविता पढ के मुझे भी एक शेर सूझा|
दिल मे बसाया लेकिन इज़हार उनसे न किया
मंज़िल को थामने से पहले ही रात गुज़री|
पूरी ग़ज़ल मन को भा गई..बहुत अच्छे
बहुत बढ़िया कविता है… काफी प्रभावशाली…।
उनके लिये की मैने अल्लाह की इबादत
बहुत खूब ...
सफलता के नियमों को पढने से सफलता नही मिलती,,उन्हे समझना भी बहुत जरूरी है । --
बहुत सही कहा है !
बहुत बढ़िया ग़ज़ल, बधाई
बहुत सुन्दर भाव और बहुत सुन्दर अल्फ़ाज़.बधाई
आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद । आपकी प्रतिक्रिया ही इस ब्लॉग का पोषण है ।
आपकी कविता काफ़ी खास है आशाताईजी
“लै झक्कास झाली हं कविता !”आमच्या मराठी बाण्यात अभिप्राय दिला .जय महाराष्ट्र...आमचं हिदिंना लई कच्चं हाय..असो..शेवटी भावना कळल्यात ना ताई..झालं.
या पंक्ति आवडल्यात.
हमने उन्हे बुलाया ले ले के नाम उनका
मेरी ये बात शायद उन्हें नागवार गुजरी ।
हुई मेरी कोशिशें सब नाकाम, दोस्त मेरे,
अब तू बता कि तेरी कैसी थी रात गुजरी ।
वा व्वा !माशा अल्ला! बहोत खुब!!
रियली गुड हं..
सचिन पाटील.
khup khup chan kavita,manachya bhavna.
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