रविवार, 16 दिसंबर 2007

याद

आती है याद तुम्हारी हवा के साथ
महकी खुशबू से रात रानी के
फिर तो मन भी खिला खिला रहता
बे वजह रात आसमानी से

जब भी सुन लूँ पुराना गीत कोई
तुम जहन में ही उतर आते हो
और कैसे वहाँ से चोरी से
दिल के आईने में बस जाते हो

क्या तुम्हें भी मै याद आती हूँ
जब भी सुनते हो नया गीत कोई
या कि फिर किताब में छूटा
देखते हो दबा सा फूल कोई

हो गये दिन बहुत, न तरसाओ
बस मेरे पास लौटकर आओ
मेरी साँसों को फिर से महकाओ
मेरे जीवन में रंग ले आओ


आज का विचार

जो पक्षी बादलों में घोंसला बनाना चाहता है
वह सदैव ऊँची डालियों पर ही विचरण करता है ।

स्वास्थ्य सुझाव

गॅस और एसिडिटि के लिये
१ चम्मच जीरा पाउडर
१ चम्मच धनिया पाउडर
एक चौथाई चम्मच अजवायन पाउडर
१ गिलास गुनगुने पानी मे डाल कर हिलायें
और धीरे धीरे पीयें ।

13 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बहुत सुंदर कविता धन्यवाद

36solutions ने कहा…

वाह । यादों को बहुत बढिया शव्‍द दिया है आपने, धन्‍यवाद ।

होता प्रेम अंधा : कविता

पारुल "पुखराज" ने कहा…

सुंदर!

मीनाक्षी ने कहा…

बहुत खूबसूरत यादों में डूबी कविता...

Divine India ने कहा…

बेहद खूबसूरती से अभिव्यक्त लम्हा-2 यादों की पंखुड़ियों पर गिरती यह रचना सच में सुंदर है…।

प्रशांत ने कहा…

सुंदर कविता है|

Anita kumar ने कहा…

वाह वाह क्या खूब लिखा है और साथ में एसीडिटी कम करने का नुस्खा भी। बहुत बड़िया। धन्यवाद

रंजू भाटिया ने कहा…

क्या तुम्हें भी मै याद आती हूँ
जब भी सुनते हो नया गीत कोई
या कि फिर किताब में छूटा
देखते हो दबा सा फूल कोई


बहुत सुंदर आशा जी ...भाव बेहद सुंदर हैं इसके

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मेरे पास हवा भी है चौखट ब्लॉग के पवन चंदन के रूप में, जिनका आज जन्मदिन है और याद भी है रेवाड़ी के मित्र याद सुगंध के रूप में। सिर्फ एसिडिटी कम करने का नुस्खा नहीं था, आज वो भी पता चल गया। और रही रंगों की बात तो होली अभी दूर है। पर मन सतरंगी के रंग से बना इन्द्रधनुष जीवन में सभी रंग बिखराएगा। ऐसे ही गीत रचे जाओ, वे यादों में, ख्वाबों में बस जाते हैं और जीवन सुरभि को महकाते हैं, गहकाते हैं।

Asha Joglekar ने कहा…

आपके प्रोतसाहन के लिये अनेक धन्यवाद ।

Batangad ने कहा…

क्या बात है

Unknown ने कहा…

oy hoy,hum tho khalas ho gaye,aa bhi jao sajana.

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

चरणस्पर्श
मैं आपके अतीत में चला गया. "आज का विचार" एवं "स्वास्थ्य सुझाव" अभी भी ताजगी लिए लिए हैं. उनमें ना केवल देश की मिटटी की सुगंध अभी भी आ रही है बल्कि आपके भावों से स्नान करने का सुख ही अलग आनंद देता है. धीरे-धीरे सब पढ़ जाउंगा.