सोमवार, 26 नवंबर 2007

यात्रा ए हवाई 5...अंतिम..

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू (हवाइ की राजधानी) के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँ से फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक सुबरू कार किराये पर ली । कवाई के खूबसूरती का आनंद उठाते हुए हम कार से हनलाई बे रिसॉर्ट की और चल पडे जहां हमे एक हफ्ते के लिये टाइम शेयर का अपार्टमेन्ट मिला था । (सुहास के बेटे अजय को सौजन्य से ) दूसरे दिन गये हनलाई बीच और पक्षी अभयोद्यान वहाँ खूब मजे किये । तीसरे दिन फार्मर्स मार्केट गये और हदाई के फल और सब्जियाँ खरीदीं । चौथे दिन हमें जाना था हिंदु मोनॅस्ट्री और वायमिया केनियॉन्स । हिंदु मोनेस्ट्री में कोई २५० विद्यार्थी हिंदु ध्रर्म की दीक्षा ले रहे हैं । ये एक शिव मंदिर है । यहां मुख्य मू्र्ती स्फटिक का शिवलिंग है । और नटराज की भी बहुतसी मूर्तीयाँ हैं । आस पास का परिसर तो बहुत ही सुंदर है । विभिन्न प्रकार के पेड पौधों से सजा हुआ । वायमिया केनियॉन्स कवाई के पश्चिम में हैं। ये हैं बडी बडी खाइयाँ और पहाड , दस मील तक फैली हुई हैं और बहुत ही भव्य हैं । इन सब सुंदर जगहों से आँखों को तृप्त कर हम थोडी देर समंदर के किनारे बैठे सी पॉन्ड बीच पर और वापिस ठिकाना पास किया । गुरुवार को हमें हवाइयन पार्टी –लुआउ में जाना था स्मिथ परिवार के घर , वहाँ पहले हम लोगों का सवागत हुआ फिर एक बडे से बागीचे की सैर फिर एक कुकिंग डेमो, फिर खाना और फिर नृत्य और गायन ।
अब आगे..

गुरुवार रात से ही खूब बारिश हो रही थी और रात भर हुई । यह हवाई की सामान्य बारिश नही थी । हमें शुक्रवार को बोट टूर पर जाना था । गुरुवार रात को ही ऑरगेनाइजर का फोन आ गया कि कल की टूर शायद न हो और आप कल कनफर्म कर लेना । सुबह ७ बजे पहुँचना था । हम सब जल्दी जल्दी तयार हुए । और फोन करने स्वागत कक्ष में पहुंचे कि बोट अगर जाने वाली हो तो हमारे तरफ से कोई देरी न हो । लेकिन पता चला -नही बोट नही जायेगी और यही क्या कोई भी बोट नही जायेगी, क्यू कि तूफान का अंदेशा है । गया दिन पानी में । बडे मायूस हो कर कमरे में लौटे। अगला दिन हमारा आखरी दिन था, इसलिये कुछ ज्यादा प्लान भी नही किया था । इतवार को सुबह ही हमारी उडान थी । उसके पहले कार भी वापस करनी थी । तो नाश्ता कर के फिर आ गये नीचे स्वागत कक्ष में कि कल के लिये ही कोशिश करते हैं पर, “नही कल भी कोई बोट टूर नही “ जवाब मिला । फिर हेलीकॉप्टर टूर के लिये पता किया वह थी पर अगले दिन । तुरंत उसके लिये बुकिंग किया वह सुबह थी १० बजे । उसके लिये हमें ९ बजे पहुंचना था । चलो शनिवार तो हुआ बुक ।
अब आज क्या करें । थोडी देर में धूप निकल आई करीब ११ बजे थे । तो सोचा चलो पहले थोडी बहुत शॉपिंग करते हैं और एक और बीच एक्सप्लोर करते हैं । फिर बैठे सुबरू में और पहुंचे एबीसी स्टोर गिफ्टस् खरीदें और फिर अनीनी बीच ।
ये वाइल्ड बीच माना जाता है । रास्ते में एक फल की दूकान से शुगर लोब पाइन एपल खरीदे और आम भी । कि थोडा चबेना हो जाये ।

ऐसे देखने से तो कोई तूफान वूफान का पता नही चल रहा था । मै और सुहास शंख और सीपियाँ ढूँढने लगे पर कोरल के टुकडों के सिवा कुछ न मिला । पर समंदर था
उग्र । काफी बडी बडी और ऊँची ऊँची लहरें आ रहीं थी । उन लहरों की बहुत सी तसवीरे ली, विडियो किया । वहाँ बडे सारे लडके सर्फिंग कर रहे थे । फिर वहाँ किनारे पर यहां से वहाँ घूमे । फिर सुहास ने और मैने रेत के घर बनाये, पाँव को रेत में डाल कर उसके ऊपर रेत थाप थाप कर । फिर सुहास को क्या सूझी उसने अपनी पॅन्ट घुटने तक ऊपर उठा कर उस पर खूब सारी रेत डाल कर थाप कर बैठी रही । पूछने पर कहा नेचरोपॅथिक ट्रीटमेन्ट ले रही हूँ आरथ्राइटिस के लिये । ३-४ घंटे वहाँ गुजारने के बाद मुल्लाजी वापस अपने मस्जिद में । फिर अपने पंछी दोस्तों के साथ चाय बिस्कुट का दौर चला । फिर थोडा टी वी देखा और नीचे रिसॉर्ट घूमने चले गये फिर वहीं के रेस्तराँ में पिज्झा खाया और वापस रूम्स में । कल हेलीकॉप्टर टूर पे जाना था सभी उत्साहित थे और थोडे आशंकित भी, पहली बार जो चढना था हेलीकॉप्टर पर । बोट पर न जा पाने का दुख सभी को था पर मुझे, सुहास और विजय को थोडा ज्यादा । झूलॉजिस्ट जो ठहरे । हमने तय किया था कि हेली टूर की बजाय बोट टूर लेंगे पर हेलीकॉप्टर पर तो चढना बदा ही था ।
दूसरे दिन सुबह ९ बजे खा पीकर पहुँच गये हॅली पॅड पर। हमारी हॅली कंपनी थी
हेली-यू एस ए । पहले हमारा कॉफी व कुकीज से सत्कार हुआ फिर हमें इस टूर के
बारे में एक फिल्म दिखाई गई जिसके कुछ अंश आप भाग ३ में देख चुके हैं ।
दर असल हेलीकॉप्टर आपको पूरे कवाई की आसमानी सैर कराता है । तो भई फिल्म देख कर तो तबियत खुश हो गई । वहाँ से बाहर निकले तो हमें सेफ्टी जॅकेट दिये गये उन्हे पहनना कैसे यह बताया गया और सुरक्षा से लैस होकर हम सब चढ गये हॅलीकॉप्टर पर (बिलकुल चढ़ जा बेटा सूली पर वाले अंदाज में) । मुझे और सुहास को आगे बिठाया गया क्यूंकि हम दोनों का वज़न अपेक्षा कृत कम था । और विजय तथा सुरेश को पीछे इस बात का उन्हें बडा मलाल रहा क्यूंकि फोटो आगे से ही अच्छे खींचे जाते और हमारी काबिलियत पर और मर्दों की तरह उन्हें भी ज्यादा भरोसा नही था । तो हमारे हेलीकॉप्टर ने उडान भरी और ले गया वो हनलाई बे के ऊपर । फिर हरे भरे खेतों के ऊपर से होता हुआ पहुंचा वाईलेले पहाड पर बीच में एक जगह न्यू्क्लीयर पॉवर हाउस दिखाई दिया और नोमोलोकामा प्रपात देखें । इस बडे प्रपात के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे झरने भी देखें । फिर दिखीं वायमिया केनियॉन्स जिनका एक बडा सा भाग काफी हराभरा और सुंदर था और ज्वालामुखी पहाडी । इसके बाद था अलक्काई स्वाम्प और पिर भव्य और दिव्य़ नापाली कोस्ट । जहाँ आप उतर नही सकते सिर्फ देख सकते हैं ,क्यूंकि यहाँ कोई बीच नही है सारा का सारा कोस्ट पहाडी है । पहाड और सीधा नीचे समंदर । जो कि हमारा आखरी पॉइन्ट था , इसके बाद वापिस । बडे एकसाइटेड उतरे सब के सब । टूर की डीवीडी हमें भेंट स्वरूप मिल गईं । वापस आये खाना खाय़ा और हनलाइ बीच पर पहुँच गये । देर तक बैठे रहे सूरज के डूबने के इंतजार में और खूब तसवीरें लीं । कल तो उगते सूरज को देख सकते थे हम कवाई में बस । तो वापिस आ कर हवाई के गाने सुनते रहे । फिर रात को पॅकिंग किया सुबह ८ बजे जो निकलना था । सोने से पहले कवाई को धन्यवाद तिया इतना अच्छा समय देने के लिये । सुबह उठे, तैयार हुए और निकल पडे, जानेसे पहले सब को महालो कहा जिसका मतलब है घन्यवाद । फिर कवाइ एयर पोर्ट फिर होनोलूलू और एक और फ्लाइट से एल ए । रात भर एल ए में गुजारने के बाद फिर अगली फ्लाइट से बॉस्टन और ड्युरहम अमित के घर । सब को सफर के खूब किस्से सुनाये और गिफ्टस दिये । हमने तो बहुत एन्जॉय किया, आपको कुछ मजा आया ?
..समाप्त...
(उपरोक्त संदर्भ मे--चित्र SlideShow देखे )





(उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे )

3 टिप्‍पणियां:

Batangad ने कहा…

आशाजी
मैंने भी पूरा किस्सा सुना। हवाई घूमने के लिए मन भी ललचा रहा है। लेकिन, मेरा गिफ्ट कहां है। बढ़िया किस्सागोई की है आपने। मजा आ गया।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बढ़िया विवरण दिया आपने!!

तस्वीरें बढ़िया है!!

मीनाक्षी ने कहा…

चित्र और चलचित्र शब्दों के साथ बहुत आनन्द दे गए. लगा जैसे हम भी कहीं आस पास थे.